INS Vikramaditya से बराक-1 मिसाइल सिस्टम हटाकर डीआरडीओ VL-SRSAM लगाने जा रहा, जानिए इस मिसाइल खासियत

INS विक्रमादित्य पर बराक-1 को VL-SRSAM से बदलना भारत की नौसेना और रक्षा उद्योग के लिए एक ऐतिहासिक कदम है. VL-SRSAM की उन्नत तकनीक, लंबी रेंज और स्वदेशी डिज़ाइन इसे बराक-1 का एक बेहतर विकल्प बनाती है. 2026-27 तक INS विक्रमादित्य पर VL-SRSAM की तैनाती भारत की रणनीतिक ताकत को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी.

Advertisement
INS Vikramaditya पर डीआरडीओ द्वारा बनाया गया मिसाइल सिस्टम VL-SRSAM लगाया जाएगा. (फाइल फोटोः PTI) INS Vikramaditya पर डीआरडीओ द्वारा बनाया गया मिसाइल सिस्टम VL-SRSAM लगाया जाएगा. (फाइल फोटोः PTI)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 26 मई 2025,
  • अपडेटेड 12:53 PM IST

भारतीय नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रमादित्य, जल्द ही अपनी हवाई रक्षा प्रणाली को और मजबूत करने जा रहा है. वर्तमान में इस विमानवाहक पोत पर इजरायल की बराक-1 मिसाइल प्रणाली तैनात है, लेकिन 2026-27 तक इसे DRDO द्वारा विकसित स्वदेशी वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (VL-SRSAM) से बदल दिया जाएगा. आइए VL-SRSAM की खासियतों और इसके महत्व को समझते हैं.

Advertisement

INS विक्रमादित्य और बराक-1

INS विक्रमादित्य भारतीय नौसेना का एक प्रमुख विमानवाहक पोत है, जो हिंद महासागर में भारत की रणनीतिक ताकत का प्रतीक है. यह पोत वर्तमान में इजरायल की बराक-1 मिसाइल प्रणाली से लैस है, जो विमानों, ड्रोन, और एंटी-शिप मिसाइलों जैसे हवाई खतरों से सुरक्षा प्रदान करती है.

यह भी पढ़ें: BrahMos hit Bulls Eye: अंडमान में हुए ब्रह्मोस मिसाइल के परीक्षण की सटीकता देखिए... ऐसे ही PAK की धज्जियां उड़ाई थीं

बराक-1 एक पॉइंट-डिफेंस सिस्टम है, जिसका मतलब है कि यह छोटी दूरी के खतरों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन की गई है. यह 8-सेल कंटेनर में तैनात होती है.500 मीटर की दूरी तक हवाई खतरों को रोक सकती है. इसकी रेंज केवल 10-12 किमी है, जो आधुनिक खतरों के खिलाफ सीमित है.

2017 में भारतीय नौसेना ने बराक-1 को बदलने के लिए नए SRSAM सिस्टम की तलाश शुरू की थी, जिसमें स्वदेशी तकनीक को प्राथमिकता दी गई. VL-SRSAM इसी दिशा में एक बड़ा कदम है, जो न केवल बराक-1 से बेहतर है, बल्कि भारत की अपनी तकनीक पर आधारित है.

Advertisement

यह भी पढ़ें: पृथ्वी, अग्नि, ब्रह्मोस...भारत की गाइडेड न्यूक्लियर मिसाइलें जो एक बार में PAK को कब्रिस्तान में बदल सकती हैं

VL-SRSAM क्या है?

VL-SRSAM (वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल) DRDO द्वारा विकसित एक स्वदेशी मिसाइल सिस्टम है, जो भारतीय नौसेना और वायु सेना के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह मिसाइल Astra Mark 1 हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल पर आधारित है. इसे नौसेना के युद्धपोतों पर तैनात करने के लिए अनुकूलित किया गया है. इसका मुख्य उद्देश्य बराक-1 को बदलना और जहाजों को हवाई खतरों, जैसे विमान, ड्रोन, हेलीकॉप्टर और समुद्र-सतह पर उड़ने वाली एंटी-शिप मिसाइलों से बचाना है.

VL-SRSAM की खासियतें

VL-SRSAM कई उन्नत तकनीकों से लैस है, जो इसे बराक-1 से कहीं अधिक प्रभावी बनाती है. इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं...

  • वर्टिकल लॉन्च सिस्टम: मिसाइल को वर्टिकल लॉन्चर से लॉन्च किया जाता है, जो 360-डिग्री कवरेज देता है. यह किसी भी दिशा से आने वाले खतरे को तुरंत नष्ट कर सकता है.
  • रेंज और गति: इसकी रेंज 50-80 किमी है, जो बराक-1 (10-12 किमी) से कहीं अधिक है. यह मैक 4.5 की गति (ध्वनि की गति से 4.5 गुना तेज) से उड़ती है, जिससे यह तेजी से लक्ष्य को भेद सकती है.
  • नेविगेशन और गाइडेंस: मिसाइल में फाइबर-ऑप्टिक जायरोस्कोप आधारित इनर्शियल गाइडेंस (मध्य उड़ान के लिए) और एक्टिव रडार होमिंग (अंतिम चरण के लिए) का उपयोग होता है. यह लॉक-ऑन-बिफोर-लॉन्च (LOBL) और लॉक-ऑन-आफ्टर-लॉन्च (LOAL) क्षमता के साथ डेटालिंक के माध्यम से मध्य उड़ान में अपडेट प्राप्त करती है.
  • धुएं रहित प्रणोदन: मिसाइल में स्मोकलेस सॉलिड प्रोपेलेंट मोटर है, जो लॉन्च के बाद धुआं नहीं छोड़ता. इससे मिसाइल का पता लगाना मुश्किल हो जाता है.
  • उच्च सटीकता: यह पिनपॉइंट सटीकता के साथ लक्ष्य को नष्ट करती है, जैसा कि 26 मार्च 2025 को चांदीपुर, ओडिशा के इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR) में टेस्ट में दिखा, जहां इसने कम ऊंचाई पर तेज गति के हवाई लक्ष्य को नष्ट किया.
  • वजन और डिज़ाइन: मिसाइल का वजन 170 किलो, लंबाई 3.93 मीटर और व्यास 178 मिमी है. इसमें चार छोटे-पंखों वाला डिज़ाइन है, जो इसे हवा में स्थिरता देता है.
  • इलेक्ट्रॉनिक काउंटरमेजर: इसमें इलेक्ट्रॉनिक काउंटर-काउंटरमेजर (ECCM) विशेषताएं हैं, जो इसे इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में प्रभावी बनाती हैं.
  • क्षमता: प्रत्येक वर्टिकल लॉन्च सिस्टम में 40 मिसाइलें (ट्विन क्वाड-पैक कनस्तर में 8 मिसाइलें) हो सकती हैं, जो जहाज के आकार के आधार पर कई लॉन्चरों में लगाई जा सकती हैं.

Advertisement

INS विक्रमादित्य पर VL-SRSAM क्यों?

INS विक्रमादित्य पर बराक-1 को VL-SRSAM से बदलने के कई कारण हैं...

स्वदेशीकरण: बराक-1 एक आयातित सिस्टम है, जबकि VL-SRSAM पूरी तरह से भारत में विकसित और निर्मित है, जो आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को पूरा करता है.

उन्नत तकनीक: VL-SRSAM की रेंज, गति और सटीकता बराक-1 से कहीं बेहतर है. यह आधुनिक खतरों, जैसे समुद्र-सतह पर उड़ने वाली मिसाइलों और ड्रोन को प्रभावी ढंग से नष्ट कर सकती है.

लॉजिस्टिक सुविधा: भारतीय नौसेना विभिन्न प्रकार की SAM प्रणालियों (बराक-1, श्तिल-1, V601) का उपयोग करती है, जो रखरखाव और प्रशिक्षण को जटिल बनाता है. VL-SRSAM इन सभी को एकीकृत कर लॉजिस्टिक्स को सरल बनाएगी.

दो-स्तरीय रक्षा: VL-SRSAM और बराक-8 (LRSAM/MRSAM) मिलकर नौसेना के जहाजों को दो-स्तरीय हवाई रक्षा प्रदान करेंगे, जिसमें VL-SRSAM छोटी दूरी और बराक-8 लंबी दूरी के खतरों को नष्ट करेगी.

यह भी पढ़ें: न्यूक्लियर वेपंस की तैयारी देखने के लिए अमेरिका ने मिनटमैन ICBM मिसाइल दागी

रणनीतिक महत्व

हिंद महासागर में ताकत: INS विक्रमादित्य हिंद महासागर में भारत की रणनीतिक उपस्थिति का प्रतीक है. VL-SRSAM इसे और मजबूत बनाएगी, खासकर चीन और पाकिस्तान जैसे प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ.

आधुनिक खतरों से रक्षा: ड्रोन, हाइपरसोनिक मिसाइलें, और लो-एल्टीट्यूड एंटी-शिप मिसाइलें आधुनिक युद्ध में बड़े खतरे हैं. VL-SRSAM की चपलता और सटीकता इन्हें प्रभावी ढंग से रोक सकती है.

Advertisement

निर्यात की संभावना: VL-SRSAM की कम लागत और स्वदेशी आपूर्ति श्रृंखला इसे निर्यात के लिए आकर्षक बनाती है, जिससे भारत की रक्षा उद्योग को वैश्विक बाजार में बढ़ावा मिलेगा.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement