समंदर में चीन-PAK के खिलाफ इंडिया का फर्स्ट डेटरेंस होगा न्यूक्लियर सबमरीन 'INS अरिदमन', जानिए ताकत

INS अरिदमन का कमीशन होना भारत की सैन्य ताकत को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा. यह न सिर्फ दुश्मनों के खिलाफ सुरक्षा बढ़ाएगा, बल्कि भारत को तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में भी आगे ले जाएगा. 2025 के अंत तक इस पनडुब्बी के नौसेना में शामिल होने से हिंद महासागर में भारत का दबदबा और मजबूत होगा.

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नौसेना में जल्द शामिल होगी तीसरी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिदमन. (Photo: Representational/X/DefenceDecode) नौसेना में जल्द शामिल होगी तीसरी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिदमन. (Photo: Representational/X/DefenceDecode)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 19 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 9:50 PM IST

भारतीय नौसेना अपने रणनीतिक ताकत को और मजबूत करने जा रही है. खबर है कि इस साल के अंत तक नौसेना अपनी तीसरी न्यूक्लियर-पावर्ड बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) 'INS अरिदमन' (S4) को कमीशन करने वाली है. यह कदम भारत की समुद्री सुरक्षा और न्यूक्लियर ट्रायड को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. आइए, समझते हैं कि INS अरिदमन क्या है? यह क्यों खास है? इससे भारत को क्या फायदा होगा? 

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INS अरिदमन क्या है?

INS अरिदमन एक उन्नत न्यूक्लियर-पावर्ड बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) है, जो अरिहंत-क्लास का हिस्सा है. इसे 'S4' कोडनेम के साथ विकसित किया गया है. यह भारत की पहली दो पनडुब्बियों, INS अरिहंत और INS अरिघाट से थोड़ा बड़ा और उन्नत है.

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इसकी लंबाई करीब 125 मीटर और वजन 7,000 टन है, जो इसे पहले मॉडलों से 1000 टन ज्यादा भारी बनाता है. यह पनडुब्बी भारतीय नौसेना के एडवांस्ड तकनीक वाहन (ATV) प्रोजेक्ट के तहत विशाखापत्तनम में बनाई गई है. (नीचे दिखाया गया वीडियो आईएनएस अरिघाट का है)

यह क्यों खास है?

  • बढ़ी हुई ताकत: INS अरिदमन में 8 वर्टिकल लॉन्च ट्यूब हैं, जो इसे 24 छोटी रेंज की K-15 मिसाइलें (750 किमी रेंज) या 8 लंबी रेंज की K-4 मिसाइलें (3,500 किमी रेंज) ले जाने की क्षमता देते हैं. यह पहले की पनडुब्बियों की तुलना में ज्यादा शक्तिशाली है.
  • चुपके की तकनीक: इसमें बेहतर सोनार-एब्जॉर्बिंग कोटिंग और शोर-कम करने वाली तकनीक है, जिससे यह दुश्मन के लिए पता करना मुश्किल हो जाता है.
  • लंबी दूरी: K-4 मिसाइलों के साथ यह दुश्मन के गहरे इलाकों को निशाना बना सकती है, जो भारत की सुरक्षा के लिए जरूरी है.
  • स्वदेशी तकनीक: इस पनडुब्बी में करीब 70% स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल हुआ है, जो भारत की आत्मनिर्भरता को दर्शाता है.

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भारत को क्या फायदा होगा?

  • न्यूक्लियर ट्रायड मजबूत: INS अरिदमन के साथ भारत की जमीन, हवा और समुद्र से न्यूक्लियर हमले की क्षमता (न्यूक्लियर ट्रायड) और मजबूत होगी. यह भारत की 'नो फर्स्ट यूज' नीति को सपोर्ट करता है, यानी दुश्मन पहले हमला करे तो जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार रहना.
  • चीन और पाकिस्तान के खिलाफ सुरक्षा: चीन की बढ़ती नौसैनिक मौजूदगी और पाकिस्तान के साथ तनाव को देखते हुए यह पनडुब्बी एक मजबूत जवाबी ताकत होगी.
  • समुद्री सुरक्षा: अरब सागर और हिंद महासागर में भारत की मौजूदगी बढ़ेगी, जो क्षेत्रीय शांति के लिए जरूरी है.
  • रणनीतिक संतुलन: यह पनडुब्बी भारत को अपने दुश्मनों के खिलाफ दूसरा हमला (सेकंड स्ट्राइक) करने की क्षमता देती है, जो शांति बनाए रखने में मदद करेगी.

निर्माण और परीक्षण

INS अरिदमन का निर्माण 2021 में शुरू हुआ था. पिछले कुछ सालों से इसके समुद्री परीक्षण चल रहे हैं. इन परीक्षणों में इसकी गति, हथियार प्रणाली और चुपके की क्षमता को परखा गया है. अब ज्यादातर परीक्षण पूरे हो चुके हैं. यह 2025 के अंत तक नौसेना में शामिल हो सकती है.

क्षेत्रीय चुनौतियां

चीन की नौसेना अपने जिन-क्लास SSBN और लंबी रेंज वाली मिसाइलों के साथ हिंद महासागर में बढ़ रही है. वहीं, पाकिस्तान भी चीनी मदद से अपनी पनडुब्बी शक्ति बढ़ा रहा है. ऐसे में INS अरिदमन भारत के लिए एक जरूरी जवाब है. आने वाले समय में S5-क्लास जैसी और बड़ी पनडुब्बियां भी बनाई जा रही हैं, जो 13000 टन की होंगी और 5000-8000 किमी रेंज की मिसाइलें ले सकेंगी.

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