144 मिसाइलों से लैस विध्वंसक बर्बाद कर देगा दुश्मन की नेवी... क्यों खास है भारत का 'प्रोजेक्ट 18'

प्रोजेक्ट 18 भारतीय नौसेना को नई ऊंचाई देगा. 144 मिसाइलों और 500 किमी रेंज वाले रडार के साथ यह जहाज दुश्मनों के लिए डरावना होगा. यह आत्मनिर्भरता और सुरक्षा का मिश्रण है, जो हिंद महासागर में भारत की ताकत बढ़ाएगा. हालांकि, इसे तैयार करने में समय और मेहनत लगेगी, लेकिन सफलता से भारत समुद्र में अग्रणी बन सकता है.

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प्रोजेक्ट-18 में जो विध्वंसक बनेंगे उनमें कई तरह की मिसाइलें तैनात होगीं. (File Photo: Wikipedia/WDB) प्रोजेक्ट-18 में जो विध्वंसक बनेंगे उनमें कई तरह की मिसाइलें तैनात होगीं. (File Photo: Wikipedia/WDB)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 04 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 1:43 PM IST

भारत अपनी नौसेना को और ताकतवर बनाने के लिए एक नई परियोजना पर काम कर रहा है, जिसे प्रोजेक्ट 18 (P-18) कहा जा रहा है. यह एक अगली पीढ़ी का विध्वंसक होगा, जो 144 मिसाइलें ले जा सकेगा, जिसमें ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल भी शामिल है. यह दुश्मनों को 500 किलोमीटर दूर से ट्रैक कर सकेगा.

आइए, समझते हैं कि यह विध्वंसक क्या है? इसके फायदे क्या होंगे? यह भारत की सुरक्षा को कैसे मजबूत करेगा?

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प्रोजेक्ट 18 क्या है?

प्रोजेक्ट 18 भारतीय नौसेना का एक नया और आधुनिक युद्धपोत है, जिसे वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो (WDB) ने डिजाइन किया है. यह मौजूदा विशाखापट्टनम-क्लास विध्वंसकों से कहीं बड़ा और ताकतवर होगा. इसका वजन करीब 13,000 टन होगा, जो इसे भारत की सबसे बड़ी नौसैनिक गश्ती पोत बना सकता है. इसे अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत क्रूजर की श्रेणी में भी रखा जा सकता है, क्योंकि 10,000 टन से ज्यादा वजन वाले जहाज क्रूजर कहलाते हैं.

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यह विध्वंसक पूरी तरह से स्टील्थ (छिपने की क्षमता) से लैस होगा यानी दुश्मन की रडार से इसे आसानी से पकड़ना मुश्किल होगा. इसे 2023 में डिजाइन करना शुरू किया गया था. आने वाले 5 से 10 साल में यह तैयार हो सकता है.

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कितनी ताकतवर है इसकी मिसाइल क्षमता?

प्रोजेक्ट 18 की सबसे बड़ी खासियत है इसकी 144 वर्टिकल लॉन्च सिस्टम (VLS) सेल्स. ये सेल्स अलग-अलग तरह की मिसाइलों को लॉन्च करने के लिए हैं, जो इसे बहुउद्देश्यीय बनाती हैं. इन मिसाइलों में शामिल हैं...

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  • ब्रह्मोस मिसाइल: 48 सेल्स में ब्रह्मोस एक्सटेंडेड-रेंज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल और स्वदेशी टेक्नोलॉजी क्रूज मिसाइल (ITCM) लगेंगी. ये मिसाइलें दुश्मन के जहाजों और जमीन पर निशाना लगा सकती हैं.
  • लॉन्ग-रेंज सर्फेस-टू-एयर मिसाइल (LRSAM): 32 सेल्स में ये मिसाइलें हवाई हमलों और बैलिस्टिक मिसाइलों से बचाव के लिए होंगी. इनकी रेंज 250 किलोमीटर तक है.
  • वेरी शॉर्ट-रेंज सर्फेस-टू-एयर मिसाइल: 64 सेल्स में ये मिसाइलें नजदीकी हवाई और मिसाइल हमलों से रक्षा करेंगी.
  • हाइपरसोनिक ब्रह्मोस-2: 8 स्लैंट लॉन्चर में आने वाली यह मिसाइल अभी डेवलपमेंट स्टेज में है, लेकिन यह और तेज और खतरनाक होगी.

इतनी मिसाइलों के साथ यह जहाज एक साथ कई तरह के खतरे- हवाई, समुद्री और जमीन पर से निपट सकता है.

500 किमी दूर दुश्मन पर नजर कैसे?

इस विध्वंसक में चार एडवांस्ड एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे (AESA) रडार लगे होंगे, जो DRDO और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने मिलकर बनाए हैं. ये रडार...

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  • 360 डिग्री सर्विलांस देंगे यानी हर दिशा में खतरे को देख सकेंगे.
  • 500 किलोमीटर तक हवाई और समुद्री लक्ष्यों को ट्रैक कर सकेंगे.
  • इसमें S-बैंड रडार, वॉल्यूम सर्च रडार और मल्टी-सेंसर मास्ट होंगे, जो कठिन माहौल में भी काम करेंगे.

ये रडार न सिर्फ दुश्मनों को ढूंढेंगे, बल्कि सटीक निशाना लगाने में भी मदद करेंगे.

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आत्मनिर्भर भारत का हिस्सा

प्रोजेक्ट 18 में 75% से ज्यादा स्वदेशी तकनीक होगी, जो 'आत्मनिर्भर भारत' पहल का हिस्सा है. इसमें शामिल हैं...

  • स्वदेशी मिसाइलें और रडार.
  • इंटीग्रेटेड इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम, जो जहाज को तेज और चुपचाप चलाएगा.
  • दो मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर (जैसे HAL ध्रुव) और ऑटोनॉमस अंडरवॉटर ड्रोन, जो पनडुब्बी रोधी जंग में मदद करेंगे.

यह जहाज न सिर्फ ताकतवर है, बल्कि भारत की तकनीकी क्षमता को भी दिखाएगा.

कब तक तैयार होगा और क्या फायदा?

  • तैयारी का समय: डिजाइन 2028 तक फाइनल हो सकता है. निर्माण 2030-2035 के बीच पूरा होगा. इसे मझगांव डॉक और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स बनाएंगे.
  • नौसेना का लक्ष्य: भारत 2035 तक अपनी नौसेना को 170-175 जहाजों तक ले जाना चाहता है. प्रोजेक्ट 18 इसकी रीढ़ होगी.
  • सुरक्षा: यह जहाज चीन की बढ़ती नौसैनिक ताकत और हिंद महासागर में चुनौतियों का जवाब देगा.

इससे भारत की समुद्री सीमाओं की रक्षा मजबूत होगी. वह एक बड़े समुद्री शक्ति के रूप में उभरेगा.

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क्या चुनौतियां हैं?

  • समय: डेवलपमेंट में 5-10 साल लग सकते हैं, जो दुश्मनों के लिए समय दे सकता है.
  • लागत: इतना बड़ा और उन्नत जहाज बनाना महंगा होगा, जिसके लिए बजट की जरूरत पड़ेगी.
  • टेस्टिंग: रडार और मिसाइल सिस्टम को सही से टेस्ट करना जरूरी होगा.
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