भारत अपनी नौसेना को और ताकतवर बनाने के लिए एक नई परियोजना पर काम कर रहा है, जिसे प्रोजेक्ट 18 (P-18) कहा जा रहा है. यह एक अगली पीढ़ी का विध्वंसक होगा, जो 144 मिसाइलें ले जा सकेगा, जिसमें ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल भी शामिल है. यह दुश्मनों को 500 किलोमीटर दूर से ट्रैक कर सकेगा.
आइए, समझते हैं कि यह विध्वंसक क्या है? इसके फायदे क्या होंगे? यह भारत की सुरक्षा को कैसे मजबूत करेगा?
प्रोजेक्ट 18 क्या है?
प्रोजेक्ट 18 भारतीय नौसेना का एक नया और आधुनिक युद्धपोत है, जिसे वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो (WDB) ने डिजाइन किया है. यह मौजूदा विशाखापट्टनम-क्लास विध्वंसकों से कहीं बड़ा और ताकतवर होगा. इसका वजन करीब 13,000 टन होगा, जो इसे भारत की सबसे बड़ी नौसैनिक गश्ती पोत बना सकता है. इसे अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत क्रूजर की श्रेणी में भी रखा जा सकता है, क्योंकि 10,000 टन से ज्यादा वजन वाले जहाज क्रूजर कहलाते हैं.
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यह विध्वंसक पूरी तरह से स्टील्थ (छिपने की क्षमता) से लैस होगा यानी दुश्मन की रडार से इसे आसानी से पकड़ना मुश्किल होगा. इसे 2023 में डिजाइन करना शुरू किया गया था. आने वाले 5 से 10 साल में यह तैयार हो सकता है.
कितनी ताकतवर है इसकी मिसाइल क्षमता?
प्रोजेक्ट 18 की सबसे बड़ी खासियत है इसकी 144 वर्टिकल लॉन्च सिस्टम (VLS) सेल्स. ये सेल्स अलग-अलग तरह की मिसाइलों को लॉन्च करने के लिए हैं, जो इसे बहुउद्देश्यीय बनाती हैं. इन मिसाइलों में शामिल हैं...
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इतनी मिसाइलों के साथ यह जहाज एक साथ कई तरह के खतरे- हवाई, समुद्री और जमीन पर से निपट सकता है.
500 किमी दूर दुश्मन पर नजर कैसे?
इस विध्वंसक में चार एडवांस्ड एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे (AESA) रडार लगे होंगे, जो DRDO और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने मिलकर बनाए हैं. ये रडार...
ये रडार न सिर्फ दुश्मनों को ढूंढेंगे, बल्कि सटीक निशाना लगाने में भी मदद करेंगे.
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आत्मनिर्भर भारत का हिस्सा
प्रोजेक्ट 18 में 75% से ज्यादा स्वदेशी तकनीक होगी, जो 'आत्मनिर्भर भारत' पहल का हिस्सा है. इसमें शामिल हैं...
यह जहाज न सिर्फ ताकतवर है, बल्कि भारत की तकनीकी क्षमता को भी दिखाएगा.
कब तक तैयार होगा और क्या फायदा?
इससे भारत की समुद्री सीमाओं की रक्षा मजबूत होगी. वह एक बड़े समुद्री शक्ति के रूप में उभरेगा.
क्या चुनौतियां हैं?
ऋचीक मिश्रा