अमेरिकी रक्षा मंत्रालय (पेंटागन) की 2025 की सालाना रिपोर्ट में चीन की सैन्य गतिविधियों का विस्तार से जिक्र है. अक्टूबर 2024 में भारत और चीन ने LAC पर बचे हुए टकराव वाले इलाकों से सेनाओं को पीछे हटाने पर सहमति जताई. इससे सीमा पर तनाव कुछ कम हुआ है. लेकिन पेंटागन का कहना है कि चीन का मुख्य उद्देश्य भारत को अमेरिका से ज्यादा करीब आने से रोकना है. चीन चाहता है कि भारत-अमेरिका के रणनीतिक रिश्ते मजबूत न हों.
यह भी पढ़ें: भारत ने समंदर में किया पनडुब्बी से बैलिस्टिक मिसाइल का सीक्रेट परीक्षण, जानिए K-4 की ताकत
रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि भारत और चीन के बीच भरोसे की कमी अभी बरकरार है. पुरानी सीमा घटनाओं की वजह से रिश्तों में पूरा बदलाव मुश्किल है. खासकर अरुणाचल प्रदेश को चीन अपना कोर इंटरेस्ट मानता है. इसे वह ताइवान और दक्षिण चीन सागर की तरह गैर-बातचीत वाला मुद्दा समझता है. इससे भारत की संप्रभुता पर सीधा सवाल उठता है.
यह भी पढ़ें: आकाश-NG... जो मिसाइलें 'ऑपरेशन सिंदूर' में पाकिस्तान में दागी थी भारत ने, आ गया उससे भी खतरनाक वर्जन
पेंटागन ने पाकिस्तान के साथ चीन के सैन्य संबंधों पर भी गहरी चिंता जताई है. 2020 से अब तक चीन ने पाकिस्तान को 36 J-10C लड़ाकू विमान दिए हैं, जो पाकिस्तानी वायुसेना को काफी मजबूत बना रहे हैं. इसके अलावा दोनों देश मिलकर JF-17 फाइटर जेट बना रहे हैं. पाकिस्तान को चीनी ड्रोन, नौसेना के जहाज और अन्य हथियार भी मिल रहे हैं. दिसंबर 2024 में दोनों देशों ने आतंकवाद विरोधी संयुक्त अभ्यास भी किया.
रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि पाकिस्तान भविष्य में चीनी सैन्य ठिकानों की जगह बन सकता है. इससे चीन की पहुंच भारत के बहुत करीब पहुंच जाएगी. चीन का वेस्टर्न थिएटर कमांड 2024 में ऊंचाई वाले इलाकों में जोरदार अभ्यास कर रहा था. यह भारत से जुड़े मामलों की जिम्मेदारी संभालता है. यह पहाड़ी युद्ध की तैयारी का संकेत है.
यह रिपोर्ट साफ दिखाती है कि चीन की नीति दोहरी है. एक तरफ भारत से रिश्ते सामान्य रखकर अमेरिका-भारत गठजोड़ को कमजोर करना चाहता है. दूसरी तरफ पाकिस्तान को हथियार देकर भारत पर अप्रत्यक्ष दबाव बनाना. भारत को LAC पर शांति के बावजूद पूरी सतर्कता बरतनी होगी और अपनी रक्षा तैयारियां और मजबूत करनी होंगी.
शिवानी शर्मा