सबसे बड़ा सवाल क्या चीन उतरेगा 5000 KM दूर ईरान के लिए युद्ध में... क्या उसकी मिलिट्री के पास इतनी क्षमता है?

क्या चीन 5000 किमी दूर ईरान के लिए हस्तक्षेप करेगा? चीन की सेना में 20 लाख सैनिक, 425 जहाज और 3200 विमान हैं, लेकिन वैश्विक स्तर पर युद्ध में शामिल होने की शक्ति सीमित है. चीन कूटनीतिक और आर्थिक समर्थन दे सकता है, सैन्य हस्तक्षेप संभावना कम है.

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ईरान के सबसे बड़े समर्थक देश चीन पर दुनिया की नजर है, क्या ये संभावना है कि वो ईरान युद्ध में शामिल हो? (फाइल फोटोः AP/AFP/Getty) ईरान के सबसे बड़े समर्थक देश चीन पर दुनिया की नजर है, क्या ये संभावना है कि वो ईरान युद्ध में शामिल हो? (फाइल फोटोः AP/AFP/Getty)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 23 जून 2025,
  • अपडेटेड 12:28 PM IST

ऑपरेशन मिडनाइट हैमर में अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर सटीक हमले किए. इन हमलों ने मध्य पूर्व में तनाव को चरम पर पहुंचा दिया. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या चीन, जो ईरान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और तेल खरीदार है, 5000 किलोमीटर दूर ईरान के लिए सैन्य हस्तक्षेप करेगा?

क्या उसकी पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) में इतनी दूर तक शक्ति प्रदर्शन करने की क्षमता है? आइए जानते हैं चीन की सैन्य शक्ति कितनी है? क्या चीन इस संकट में ईरान की मदद के लिए सैन्य कदम उठा सकता है?

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चीन-ईरान संबंध: क्यों है यह सवाल महत्वपूर्ण?

चीन और ईरान के बीच 25 साल का रणनीतिक सहयोग समझौता (2021) है, जिसमें ऊर्जा, व्यापार, बुनियादी ढांचा और सैन्य सहयोग शामिल है. 

  • तेल व्यापार: ईरान चीन को प्रतिदिन लगभग 20 लाख बैरल तेल आपूर्ति करता है, जो चीन के तेल आयात का 15% है. ईरान के 90% तेल निर्यात चीन को जाते हैं, जो पश्चिमी प्रतिबंधों से बचने के लिए "डार्क फ्लीट" टैंकरों के जरिए होता है.
  • रणनीतिक साझेदारी: ईरान चीन के लिए मध्य पूर्व में अमेरिकी प्रभाव को कम करने का एक महत्वपूर्ण साझेदार है.
  • सैन्य सहयोग: चीन ने ईरान को मिसाइल तकनीक, ड्रोन पार्ट्स और रॉकेट ईंधन की आपूर्ति की है.

ऑपरेशन मिडनाइट हैमर के बाद, जिसमें अमेरिका ने 7 B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स और 125 विमानों का इस्तेमाल कर ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया, यह सवाल उठा कि क्या चीन सैन्य रूप से ईरान का समर्थन करेगा? 

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चीन की सैन्य शक्ति: एक विस्तृत विश्लेषण

चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) दुनिया की सबसे बड़ी सेनाओं में से एक है, जिसमें 20 लाख सक्रिय सैनिक, 10 लाख रिजर्व फोर्स और उन्नत हथियार प्रणालियां शामिल हैं. लेकिन क्या यह सेना 5000 किमी दूर मध्य पूर्व में प्रभावी हस्तक्षेप कर सकती है? आइए, PLA की ताकत और सीमाओं को समझें.

1. PLA की संरचना और क्षमता

जमीनी सेना (PLAGF) 

  • सैनिक: 9.7 लाख सक्रिय जवान.
  • हथियार: 7000 टैंक (जैसे टाइप-99A), 35000 बख्तरबंद वाहन और 12,000 तोपें.
  • रोल: मुख्य रूप से क्षेत्रीय रक्षा (जैसे ताइवान, भारत सीमा) के लिए. मध्य पूर्व जैसे दूरस्थ क्षेत्रों में तैनाती के लिए लॉजिस्टिक्स सीमित हैं.

नौसेना (PLAN)

  • युद्धपोत: 425 जहाज, जिनमें 3 विमानवाहक पोत (लियाओनिंग, शेडोंग, फुजियान), 72 पनडुब्बियां और 150 युद्धपोत शामिल हैं. 
  • मिसाइलें: DF-21D और DF-26 "कैरियर किलर" बैलिस्टिक मिसाइलें, जो 1800-4000 किमी तक नौसैनिक लक्ष्यों को नष्ट कर सकती हैं.
  • क्षमता: PLAN हिंद महासागर में उपस्थिति बढ़ा रही है, लेकिन इसके पास केवल एक विदेशी सैन्य अड्डा (जिबूती) है, जो छोटा और पश्चिमी अड्डों से घिरा है.

वायुसेना (PLAAF)

  • विमान: 3200 विमान, जिनमें 600 स्टील्थ J-20 फाइटर जेट्स, 400 J-16 और 250 बॉम्बर्स (H-6K) शामिल हैं.
  • मिसाइलें: PL-15 हवा-से-हवा मिसाइल (200 किमी रेंज) और CJ-20 क्रूज मिसाइल.
  • सीमा: PLAAF की लंबी दूरी की तैनाती सीमित है, क्योंकि इसके पास केवल 50 हवाई ईंधन टैंकर हैं, जो 5000 किमी दूर बड़े पैमाने पर ऑपरेशन के लिए अपर्याप्त हैं.

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रॉकेट फोर्स (PLARF)

मिसाइलें: 2000 बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलें, जिनमें DF-41 ICBM (12000 किमी रेंज) और हाइपरसोनिक DF-17 शामिल हैं.
रोल: क्षेत्रीय और वैश्विक निशाना साधने में सक्षम, लेकिन मध्य पूर्व में तैनाती के लिए जटिल लॉजिस्टिक्स चाहिए.

साइबर और अंतरिक्ष सेना

PLA की साइबर युद्ध क्षमता उन्नत है, जो रडार और संचार को जाम कर सकती है. अंतरिक्ष में 400 सैटेलाइट्स हैं, जो निगरानी और मार्गदर्शन के लिए उपयोगी हैं. अप्रत्यक्ष समर्थन (जैसे खुफिया जानकारी) दे सकती है, लेकिन प्रत्यक्ष युद्ध में सीमित प्रभाव.

2. हथियारों की बिक्री और तकनीकी सहायता

ईरान को आपूर्ति: चीन ने ईरान को C-802 एंटी-शिप मिसाइलें, कादर मिसाइल की तकनीक और ड्रोन इंजन दिए. 2025 में 1000 टन सोडियम परक्लोरेट (रॉकेट ईंधन) की आपूर्ति की गई, जिससे 260 खैबर शेकन मिसाइलें बन सकती हैं.

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हाल की चर्चा: कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान ने रूसी S-300 के बजाय चीनी HQ-9 या J-35 फाइटर जेट्स खरीदे होते तो वह इजरायली हमलों का बेहतर जवाब दे सकता था.

सीमा: चीन ने ईरान को उन्नत हथियार (जैसे PL-15 मिसाइल) देने से परहेज किया है, क्योंकि यह वैश्विक प्रतिबंधों और अमेरिका के साथ टकराव का जोखिम बढ़ाता है.

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3. विदेशी सैन्य अड्डे और लॉजिस्टिक्स

जिबूती अड्डा: PLA का एकमात्र विदेशी अड्डा, जिसमें 2000 सैनिक और छोटे जहाज तैनात हैं. यह मध्य पूर्व से 3000 किमी दूर है. अमेरिकी, फ्रांसीसी और जापानी अड्डों से घिरा है.

लॉजिस्टिक्स चुनौतियां: 5,000 किमी दूर सैन्य अभियान के लिए PLA को बड़े पैमाने पर समुद्री और हवाई लॉजिस्टिक्स चाहिए, जो अभी अपर्याप्त है। X पर कुछ यूजर्स का कहना है कि चीन की सेना "नियर-शोर डिफेंसिव फोर्स" है, जो समुद्र से दूर युद्ध में कमजोर है।

4. सैन्य बजट और तकनीकी प्रगति

  • बजट: 2025 में चीन का सैन्य बजट $296 बिलियन है (SIPRI), जो अमेरिका ($877 बिलियन) से कम लेकिन रूस ($84 बिलियन) से कहीं अधिक है. 
  • तकनीक: चीन ने हाइपरसोनिक मिसाइलें, स्टील्थ जेट्स और AI-आधारित युद्ध प्रणालियां विकसित की हैं, लेकिन इनका युद्ध में परीक्षण नहीं हुआ है.
  • सीमा: PLA की वैश्विक शक्ति प्रक्षेपण (पावर प्रोजेक्शन) क्षमता अमेरिका (800 विदेशी अड्डों) के मुकाबले कमजोर है. 

क्या चीन ईरान के लिए हस्तक्षेप करेगा?

चीन के हस्तक्षेप के पक्ष में तर्क

आर्थिक हित: ईरान से तेल आपूर्ति चीन की ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है. यदि इजरायल या अमेरिका ईरान के तेल रिफाइनरियों पर हमला करते हैं, तो चीन की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है. स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज, जहां से चीन का आधा तेल आयात होता है, बंद होने का खतरा है.

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रणनीतिक साझेदारी: चीन ईरान को अमेरिकी प्रभाव के खिलाफ एक प्रॉक्सी के रूप में देखता है. 2023 में चीन ने ईरान और सऊदी अरब के बीच शांति समझौते में मध्यस्थता की, जिससे उसकी क्षेत्रीय प्रभाव बढ़ा.

सैन्य आपूर्ति: हाल के महीनों में तीन बोइंग 747 कार्गो विमान चीन से ईरान गए, जिससे सैन्य उपकरण (जैसे ड्रोन या रडार पार्ट्स) की आपूर्ति की अटकलें लगीं. हालांकि, यह पुष्टि नहीं हुई. X पर कुछ यूजर्स का दावा है कि चीन ईरान को "40 जहाज, 200 कार्गो विमान और 1000 ट्रक" हथियार भेज सकता है, लेकिन यह कठिन लगता है.

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हस्तक्षेप के खिलाफ तर्क

सीमित सैन्य क्षमता: PLA की वैश्विक शक्ति प्रक्षेपण क्षमता सीमित है. 5000 किमी दूर सैन्य अभियान के लिए बड़े पैमाने पर नौसैनिक और हवाई समर्थन चाहिए, जो PLA के पास नहीं है. चीन की सेना विदेशी युद्ध में अनुभवहीन है और इसके पास विदेशी अड्डे नहीं हैं. 

गैर-हस्तक्षेप नीति: चीन की विदेश नीति "गैर-हस्तक्षेप" पर आधारित है, जिसके तहत वह विदेशी युद्धों से बचता है. चीन सैन्य समर्थन की बजाय कूटनीतिक बयान और आर्थिक सहायता (जैसे तेल खरीद) पर ध्यान देगा. 

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अमेरिका से टकराव का जोखिम: यदि चीन सैन्य रूप से हस्तक्षेप करता है, तो उसे अमेरिका और इजरायल से टकराव का सामना करना पड़ सकता है, जो उसकी अर्थव्यवस्था (अमेरिका पर निर्भर) को नुकसान पहुंचा सकता है. रिटायर्ड ब्रिगेडियर जनरल जॉन टीचर्ट ने कहा कि चीन के पास मध्य पूर्व में सैन्य शक्ति प्रदर्शन की क्षमता नहीं है, क्योंकि वहां अमेरिकी अड्डे उसे घेरे हुए हैं. 

कूटनीतिक रुख: चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इजरायली हमलों की निंदा की और युद्धविराम की मांग की, लेकिन सैन्य समर्थन का कोई संकेत नहीं दिया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि चीन "संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से शांति के लिए काम करेगा."

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

सैन्य हस्तक्षेप की संभावना कम: विलियम फिगुरोआ (यूनिवर्सिटी ऑफ ग्रोनिंगन) का कहना है कि चीन की गैर-हस्तक्षेप नीति और सैन्य सीमाएं उसे ईरान में प्रत्यक्ष युद्ध से रोकती हैं. जू झाओयी (यूनिवर्सिटी ऑफ इंटरनेशनल बिजनेस, बीजिंग) ने कहा कि चीन केवल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के जरिए दबाव डाल सकता है.

आर्थिक और कूटनीतिक समर्थन: चीन ईरान के तेल का 90% खरीदता है, जो ईरान की अर्थव्यवस्था का 20% है. यह खरीदारी जारी रखकर चीन ईरान को आर्थिक रूप से समर्थन दे सकता है. बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत चीन ईरान में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं (जैसे शीआन-तेहरान रेलवे) को बढ़ावा दे सकता है.

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छिपा हुआ समर्थन: कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि चीन ड्रोन तकनीक, साइबर खुफिया या रडार पार्ट्स जैसे दोहरे उपयोग वाले उपकरण ईरान को दे सकता है, जो प्रत्यक्ष सैन्य हस्तक्षेप के बिना मदद है.

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चीन की संभावित रणनीति

विशेषज्ञों और वर्तमान स्थिति के आधार पर, चीन की संभावित रणनीति निम्नलिखित हो सकती है... 

  • कूटनीतिक दबाव: चीन संयुक्त राष्ट्र और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के माध्यम से इजरायल और अमेरिका की निंदा करेगा. वह रूस के साथ मिलकर युद्धविराम प्रस्ताव ला सकता है. 
  • आर्थिक समर्थन: ईरान के तेल की खरीदारी बढ़ाकर और युआन में भुगतान कर चीन ईरान को आर्थिक संकट से बचा सकता है. 
  • सीमित सैन्य सहायता: चीन J-35 फाइटर जेट्स, HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम या ड्रोन पार्ट्स की आपूर्ति बढ़ा सकता है, लेकिन उन्नत हथियार देने से बचेगा. 
  • क्षेत्रीय प्रभाव बढ़ाना: चीन इस संकट का फायदा उठाकर मध्य पूर्व में अपनी कूटनीतिक स्थिति मजबूत कर सकता है, जैसे 2023 में ईरान-सऊदी समझौते में किया. 

चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेनाओं में से एक है, लेकिन 5000 किमी दूर मध्य पूर्व में सैन्य हस्तक्षेप करने की उसकी क्षमता सीमित है. PLA की नौसेना और वायुसेना क्षेत्रीय युद्ध (जैसे ताइवान या दक्षिण चीन सागर) के लिए डिज़ाइन की गई है, न कि वैश्विक शक्ति प्रयोग के लिए. इसके अलावा, चीन की गैर-हस्तक्षेप नीति और अमेरिका से टकराव का डर उसे प्रत्यक्ष सैन्य कार्रवाई से रोकता है.

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