Delhi : 'भारत पर धौंस जमाना बंद करे US', अमेरिकी दूतावास के बाहर लगाया विवादित पोस्टर, FIR

अमेरिकी दूतावास के बाहर पोस्टर लगाने पर दिल्ली प्रिवेंशन ऑफ डिफेसमेंट ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट के तहत दिल्ली पुलिस ने केस दर्ज किया है. मालूम हो कि भारत दौरे पर आए अमेरिकी डिप्टी एनएसए द्वारा भारत को चेतावनी देने के एक दिन बाद ही यह पोस्टर लगाया गया है.

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यूएस दूतावास के बाहर साइन बोर्ड पर लगाया पोस्टर यूएस दूतावास के बाहर साइन बोर्ड पर लगाया पोस्टर

श्रेया चटर्जी

  • नई दिल्ली,
  • 02 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 12:02 PM IST
  • प्रिवेंशन ऑफ डिफेसमेंट ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट के तहत हुआ केस
  • अमेरिकी डिप्टी एनएसए के बयान पर नाराजगी

दिल्ली में अराजक तत्वों द्वारा अमेरिकी दूतावास के बाहर अमेरिका के विरोध में पोस्टर लगा दिया गया है. पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज कर लिया है. पुलिस ने बताया कि शुक्रवार रात करीब 10:15 बजे उन्हें सूचना मिली कि अज्ञात लोगों ने कुछ पोस्टर लगाए गए हैं. इस पोस्टर में अमेरिका को कहा गया है कि वो भारत को धमकी देना बंद करे. पोस्टर में कहा गया है कि भारत को अमेरिका की जरूरत नहीं है, बल्कि अमेरिका को ही चीन के खिलाफ भारत की जरूरत है. 

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पुलिस ने बताया कि इस मामले में दिल्ली प्रिवेंशन ऑफ डिफेसमेंट ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है. बहरहाल पुलिस अब सर्विलांस की मदद से दोषियों को पकड़ने की कोशिश कर रही है. बता दें कि अमेरिका के डिप्टी एनएसए दलीप सिंह के भारत के खिलाफ दिए गए बयान के अमेरिकी दूतावास के बाहर पोस्टर चिपकाने का ये मामला हुआ है. 

पोस्टर में यूएस के खिलाफ क्या लिखा है?

अमेरिकी दूतावास के साइन बोर्ड पर जो पोस्टर लगाया गया है, उसमें लिखा है कि भारत को बदनाम करना बंद करो. हमें यूएस की जरूरत नहीं है बल्कि अमेरिका को चीन के खिलाफ भारत की जरूरत है. हमें अपनी अनुशासित और बहादुर भारतीय सेना पर गर्व है.

अमेरिकी NSA ने भारत के खिलाफ क्या कहा था?

पोस्टर लगाने की घटना से एक दिन पहले अमेरिका के डिप्टी एनएसए दलीप सिंह ने यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस के लिए भारत के स्टैंड पर चेतावनी दी थी. उन्होंने कहा था कि रूस पर लगाए प्रतिबंधों का उल्लंघन करने वाले देशों को भी गंभीर नतीजे भुगतने होंगे. अमेरिका नहीं चाहेगा कि भारत के ऊर्जा और दूसरी चीजों के आयात में रूस की हिस्सेदारी बढ़े. भारत को इस बात की उम्मीद भी नहीं करनी चाहिए कि अगर चीन ने कभी LAC पर उल्लंघन किया तो रूस उसके बचाव में आएगा.

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हालांकि यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि रहे सैयद अकबरूद्दीन अमेरिकी डिप्टी एनएसए के बयान की आलोचना करते हुए तुरंत  ट्वीट किया था. उन्होंने लिखा कि ये कूटनीति की भाषा नहीं है. ये जबरदस्ती की भाषा है. कोई इन्हें बताए कि एकतरफा दंडात्मक प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है.'

 

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