'ऑक्सीजन शॉर्टेज से हुई थीं मौतें', पहली बार सरकार ने माना, कोरोना की दूसरी लहर पर दी ये रिपोर्ट

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन संकट से मौतों पर केंद्र सरकार ने पहली बार चुप्पी तोड़ी है. सरकार ने संसद में माना है कि आंध्र प्रदेश में ऑक्सीजन संकट की कमी की वजह से कुछ मरीज़ों की मौत हुई थी.

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कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश में था ऑक्सीजन संकट (फाइल फोटो: PTI) कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश में था ऑक्सीजन संकट (फाइल फोटो: PTI)

मिलन शर्मा / पॉलोमी साहा

  • नई दिल्ली,
  • 11 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 11:53 AM IST
  • ऑक्सीजन की कमी से मौत पर सरकार का बयान
  • आंध्र प्रदेश में कुछ मरीज़ों की गई थी जान: सरकार

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) ने मंगलवार को संसद में जानकारी दी है कि आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) में ऑक्सीजन (Oxygen) की कमी के कारण कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कुछ लोगों की मौत हुई थी. सरकार के मुताबिक, कुछ मरीज़ जो वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे, उनकी मौत कोरोना की दूसरी लहर के दौरान इसी कारण हुई थी.

केंद्र सरकार द्वारा ये पहली बार माना गया है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश में ऑक्सीजन की कमी के कारण मरीज़ों की जान गई है. 

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इस अस्पताल में गई थी मरीज़ों की जान...

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बताया गया है कि 9 अगस्त, 2021 को आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा ये जानकारी सौंपी गई है जिसे अब संसद के जरिए बताया जा रहा है.  

सरकार ने संसद में जानकारी दी है कि आंध्र प्रदेश सरकार के मुताबिक, 10 मई 2021 को SVRR अस्पताल में कुछ मरीज़ जो कि वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे, उनकी मौत हुई थी. शुरुआती जांच में ये बात सामने आई है कि ऑक्सीजन टैंक और बैकअप सिस्टम में बदलाव के बीच ऑक्सीजन लाइन में प्रेशर कमज़ोर हुआ था, जिसकी वजह से मरीज़ों को तकलीफ हुई.

आपको बता दें कि कुछ वक्त पहले केंद्र सरकार ने संसद में बयान दिया था कि राज्य सरकारों द्वारा जो आंकड़े दिए गए हैं, उनमें किसी में भी ये नहीं कहा गया कि किसी मरीज़ की मौत ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई है.

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हालांकि, राज्य सरकारों ने स्वीकारा है कि दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन का भारी संकट था. लेकिन किसी मरीज की मौत के पीछे इसे कारण नहीं माना गया. सरकार द्वारा दिए गए इसी जवाब पर तब काफी बवाल हुआ था. विपक्षी पार्टियों द्वारा केंद्र सरकार पर निशाना साधा गया था, जबकि भाजपा का कहना था कि केंद्र ने सिर्फ वही रिपोर्ट किया है जो राज्य सरकारों द्वारा आंकड़ा दिया गया है. 

 

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