GST on Gold Silver: सोने-चांदी पर अब कितना GST, ज्वेलरी के लिए अलग नियम... क्या आपको पता है?

Gold GST Rate: जब आप गोल्ड ज्वेलरी खरीदते हैं तो आपको दो तरह से जीएसटी का भुगतान करना होता है. अधिकतर लोगों को इस बारे में पता नहीं होता है. गोल्ड के वजन पर अलग जीएसटी चार्ज होता है, जबकि मेकिंग पर भी 5% का जीएसटी वसूला जाता है.

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ज्वेलरी की मेकिंग चार्ज पर अलग से GST का नियम (Photo: File Getty) ज्वेलरी की मेकिंग चार्ज पर अलग से GST का नियम (Photo: File Getty)

आजतक बिजनेस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 11 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:52 AM IST

अगर आप सोने-चांदी में निवेश करना चाहते हैं तो फिर ज्वेलरी खरीदने से बचें. वैसे भी भारत में सोना-चांदी हमेशा से निवेश और आभूषणों के लिहाज से बेहद अहम रहे हैं. हर त्योहार, शादी और खास अवसर पर सोने-चांदी की मांग बढ़ जाती है. लेकिन जब भी कोई उपभोक्ता सोना या चांदी खरीदता है, तो उसके दाम सिर्फ बाजार भाव से तय नहीं होते, बल्कि उस पर लगने वाले TAX का भी सीधा असर पड़ता है. वर्तमान में सोना और चांदी पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू है, जो उनकी कीमत को प्रभावित करता है. 

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सरकारी नियमों के मुताबिक सोना और चांदी पर 3% जीएसटी लगाया जाता है, यानी अगर सोने का बाजार भाव 1,00,000 रुपये प्रति 10 ग्राम है, तो उस पर 3000 रुपये अतिरिक्त GST के रूप में देना होगा. इसी तरह चांदी पर भी 3% जीएसटी की दर लागू है. इसके अलावा, अलग से ज्वेलरी पर मेकिंग चार्जेस (Making Charges) के तौर पर 5% जीएसटी वसूला जाता है. इस वजह से उपभोक्ताओं को सोने-चांदी के गहने खरीदते समय असली दाम से ज्यादा राशि चुकानी पड़ती है. 

सोना-चांदी पर लागू GST की दरें- 
धातु                            जीएसटी दर
सोना (Gold)-                 3%
चांदी (Silver)-                3%
ज्वेलरी पर मेकिंग चार्ज-    5%

उदाहरण के लिए मान लीजिए सोने का बाजार भाव ₹1,00,000 प्रति 10 ग्राम है. उस पर जीएसटी और मेकिंग चार्ज इस तरह से जुड़ते हैं. 
सोने का बेस प्राइस: ₹1,00,000
3% जीएसटी: ₹3000
मेकिंग चार्ज (10%): ₹10,000
मेकिंग चार्ज पर 5% जीएसटी: ₹500

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कुल कीमत = ₹1,00,000 + ₹3000 + ₹10,000 + ₹500 = ₹1,13,500
इस हिसाब से ग्राहक को 10 ग्राम गोल्ड ज्वेलरी के लिए करीब  ₹113,500 चुकाने होंगे, जबकि सोने का ऑरिजनल भाव सिर्फ ₹100,000 है. 
 
बता दें, जीएसटी लागू होने से पहले सोने-चांदी पर अलग-अलग राज्यों में टैक्स संरचना थी. कहीं वैट (VAT), कहीं एक्साइज ड्यूटी और कहीं सर्विस टैक्स लागू होता था. लेकिन जुलाई 2017 में GST आने के बाद देशभर में टैक्स प्रणाली एक समान कर दी गई. इससे कारोबारियों और उपभोक्ताओं के लिए पारदर्शिता बढ़ी है. 

सोने-चांदी पर टैक्सेशन का असर निवेशकों पर भी पड़ता है. क्योंकि भारत सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है, इसलिए सरकार यहां से बड़ी टैक्स आय हासिल करती है. हालांकि उद्योग जगत लंबे समय से मांग करता रहा है कि सोने पर जीएसटी की दर को 3% से घटाकर 1% किया जाए, ताकि खपत और निवेश दोनों को बढ़ावा मिल सके.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत हर साल करीब 800 से 900 टन सोना आयात करता है. इस पर लगने वाला कस्टम ड्यूटी और जीएसटी मिलाकर उपभोक्ता को काफी महंगा सोना खरीदना पड़ता है. 

फिलहाल सोना और चांदी पर 3% जीएसटी और मेकिंग चार्ज पर 5% जीएसटी वसूला जाता है. टैक्स का यह ढांचा उपभोक्ताओं की जेब पर अतिरिक्त बोझ डालता है, लेकिन सरकार के लिए यह एक अहम राजस्व स्रोत है. 

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