भारत का हाउसिंग मार्केट अपने स्थापित नियमों को तोड़ रहा है, जहां बेचे जाने वाले घरों की संख्या कम हो रही है, वहीं बिक्री का कुल मूल्य पहले से कहीं अधिक तेजी से बढ़ रहा है. ANAROCK Group की नई रिपोर्ट मुताबिक, देश के टॉप सात शहरों में वित्तीय वर्ष 2026 (FY26) तक होम सेल्स का मूल्य लगभग 20% तक बढ़कर 6.65 लाख करोड़ रुपये को पार कर सकता है, भले ही बेची गई इकाइयों की संख्या स्थिर रहने का अनुमान है.
Home Sales Value in FY26 नाम की इस रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत का हाउसिंग मार्केट नए चरण में प्रवेश कर चुका है. इस चरण में, किफायती आवास की मांग धीमी होने के बावजूद, लग्जरी और प्रीमियम घर बाज़ार को गति दे रहे हैं. FY25 में, शीर्ष सात शहरों में लगभग 4.22 लाख घरों की बिक्री हुई, जिसका कुल बिक्री मूल्य 5.59 लाख करोड़ रुपये था.
FY26 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर 2025) के दौरान, 1.93 लाख से अधिक घरों की बिक्री हुई, जिनका कुल मूल्य 2.98 लाख करोड़ रुपये था. यह आंकड़ा पहले ही FY25 के कुल बिक्री मूल्य का 53% है. इस बदलाव को समझाते हुए, एनारॉक ग्रुप (ANAROCK Group) के चेयरमैन, अनुज पुरी ने कहा- “भारत का हाउसिंग मार्केट एक स्पष्ट मूल्य-आधारित वृद्धि देख रहा है. प्रॉपर्टी की उंची कीमतों और उधार लेने की लागत के कारण किफायती आवास धीमा होने के बावजूद, प्रीमियम और लग्जरी सेगमेंट में मांग मजबूत बनी हुई है. डेवलपर्स अपनी नई लॉन्चिंग को इसी नई मांग वास्तविकता के अनुरूप ढाल रहे हैं.'
अनुज पुरी ने आगे कहा कि घरों की सेल का मूल्य बढ़ती कीमतों, महंगी खरीद में उछाल और स्थिर घरेलू मांग के संयोजन से बढ़ रहा है. उन्होंने कहा, "कुल बिक्री में अब लग्जरी और अपर मिड-सेगमेंट घरों का हिस्सा बहुत बड़ा है. आज के खरीदार बड़े घर, बेहतर सुविधाएं और गुणवत्तापूर्ण रहने की जगह पसंद करते हैं."
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एनारॉक के कार्यकारी निदेशक और अनुसंधान प्रमुख, डॉ. प्रशांत ठाकुर ने कहा “FY2024 में कुल बाज़ार खपत में शिखर पर पहुंचने के बाद, विभिन्न विपरीत परिस्थितियों के बीच आवास बिक्री धीमी हो गई है. हालांकि, बेचे गए कुल घरों का बिक्री मूल्य बढ़ रहा है. मौजूदा रुझान बताते हैं कि बिक्री की मात्रा स्थिर रहने पर भी, इस वित्तीय वर्ष के अंत तक दोहरे अंकों में मूल्य वृद्धि संभव है.”
प्रीमियम घरों की मांग अमीर घर खरीदारों, एनआरआई और महामारी के बाद बड़ी रहने की जगह चाहने वाले पेशेवरों द्वारा बढ़ाई जा रही है. डेवलपर्स इस मांग का जवाब प्रमुख शहरी क्षेत्रों में उच्च मार्जिन वाली परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करके दे रहे हैं, जिसे मजबूत घरेलू लिक्विडिटी और जीवन शैली की प्राथमिकताओं में बदलाव का समर्थन मिल रहा है.
भारत का हाउसिंग मार्केट एक बड़े बदलाव से गुज़र रहा है, जहां बेची गई इकाइयों की कुल संख्या स्थिर रहने के बावजूद, बिक्री का कुल मूल्य रिकॉर्ड गति से बढ़ रहा है. एनारॉक समूह के अनुसार, FY26 में शीर्ष सात शहरों में होम सेल्स वैल्यू लगभग 20% बढ़कर 6.65 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है. यह वृद्धि मुख्य रूप से लग्जरी और प्रीमियम सेगमेंट की मज़बूत मांग से प्रेरित है. क्योंकि खरीदार अब बड़े घर, बेहतर सुविधाएं और गुणवत्तापूर्ण जीवन शैली को प्राथमिकता दे रहे हैं.
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शहरों के प्रदर्शन में भिन्नता देखने को मिली है. NCR और चेन्नई मूल्य वृद्धि में सबसे आगे रहे हैं, जबकि मुंबई (MMR) और पुणे में गति धीमी रही.
NCR: 29,175 घरों की बिक्री हुई, जिनका मूल्य ₹ 75,859 करोड़ था (FY25 के कुल मूल्य का 74%).
चेन्नई: 11,670 घरों की बिक्री हुई, जिनका मूल्य ₹ 12,370 करोड़ था (FY25 के कुल मूल्य का 71%).
MMR (मुंबई): 61,540 घरों की बिक्री हुई, जिनका मूल्य ₹ 1 लाख करोड़ था (FY25 के कुल मूल्य का 45%).
बेंगलुरु: 29,955 घरों की बिक्री हुई, जिनका मूल्य ₹ 43,627 करोड़ था.
पुणे: 32,030 घरों की बिक्री हुई, जिनका मूल्य ₹ 30,324 करोड़ था.
हैदराबाद: 22,345 घरों की बिक्री हुई, जिनका मूल्य ₹ 30,646 करोड़ था.
कोलकाता: 7,655 घरों की बिक्री हुई, जिनका मूल्य ₹ 5,429 करोड़ था.
अनुज पुरी का कहना है कि यह रुझान भारतीय संपत्ति बाज़ार में एक स्पष्ट बदलाव है, जहां हाउसिंग सेक्टर अब विशुद्ध रूप से कितनी संख्या में घर बिके से हटकर, कितने मूल्य के बिके पर चलने लगा है. डेवलपर्स अब ज्यादा घर बनाने के बजाय उनकी गुणवत्ता और सही जगह पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जिससे रियल एस्टेट को निवेश के रूप में देखने का तरीका बदल रहा है.
हालांकि, खर्च बढ़ने के दबाव के कारण मध्य-आय वर्ग और किफायती घरों का सेगमेंट धीमा हो गया है, डेवलपर्स महंगे घरों में लंबे समय का अवसर देख रहे हैं. लोगों की बढ़ती आय, शहरों की ओर पलायन और स्थिर ब्याज दरें प्रीमियम आवास की मांग को लगातार मज़बूत बनाए हुए हैं.
हालांकि, कंसल्टेंसी चेतावनी देती है कि जो लोग कम कीमत में घर खरीदना चाहते हैं, वे अब बाज़ार से बाहर हो रहे हैं. बाज़ार की लगातार बढ़ोतरी इस बात पर निर्भर करेगी कि बिल्डर और सरकारें सस्ते घर उपलब्ध कराने की कमी को कैसे ठीक करते हैं. अनुज पुरी ने अपनी बात को इस तरह खत्म किया- "भारत का हाउसिंग बाज़ार कम घर बेच रहा है, लेकिन ज़्यादा पैसा कमा रहा है. यह दो बातें दिखाता है. लोगों की इच्छाएं बदल रही हैं और उन्हें रियल एस्टेट के लंबे समय के मूल्य पर पूरा भरोसा है."
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