केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के सांसद और उनके बहनोई अरुण भारती ने बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार की तरफ से 2023 में कराए गए जातिगत सर्वेक्षण को खारिज किया है. उन्होंने कहा कि यह सर्वे दलितों और आदिवासियों सहित समाज के हाशिए पर खड़े वर्ग के खिलाफ एक साजिश थी.
तेजस्वी ने वोट बैंक किया मजबूत
अरुण भारती ने कहा कि महागठबंधन सरकार में जातिगत सर्वेक्षण एक धोखा और बहुजन समाज को उनके अधिकारों से वंचित रखने की साजिश थी. अरुण भारती ने महागठबंधन सरकार में कराए गए जातिगत सर्वेक्षण पर सवाल उठाते हुए तत्कालीन उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर आरोप लगाया कि उन्होंने इस पूरी कवायद का इस्तेमाल आरजेडी के मुस्लिम और यादव वोट बैंक को मजबूत करने के लिए किया.
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भारती ने कहा, 'तेजस्वी यादव ही थे जिन्होंने जातिगत सर्वे को लेकर सबसे ज्यादा शोर मचाया था और दावा किया था कि यह सामाजिक न्याय की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम होगा, लेकिन जो हुआ वह सिर्फ राजनीतिक चाल के तहत एक आधा-अधूरा जातिगत सर्वे था, जिसमें न तो सामाजिक न्याय था और न ही समावेशी सोच. यह सिर्फ अपने MY वोट बैंक की संख्या का पता लगाकर कुर्सी पर अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए किया गया था.'
सर्वे में सिर्फ जातियों की गणना
एलजेपी (आर) सांसद भारती ने कहा कि जाति सर्वेक्षण में सिर्फ जातियों की संख्या की गणना की गई है, लेकिन इस बारे में ब्योरा नहीं दिया गया है कि कौन सी जाति कितनी गरीब है, किस जाति की शिक्षा तक पहुंच है और किसकी नहीं, सरकारी सेवाओं में विभिन्न जातियों की हिस्सेदारी क्या है और भूमि और संसाधनों पर किसका कितना अधिकार है.
उन्होंने कहा, 'जाति सर्वेक्षण मुस्लिम और यादव वोट बैंक को सत्ता और प्रशासन में बनाए रखने के लिए एक सुनियोजित साजिश थी. यह सर्वेक्षण दलित, महादलित और आदिवासी समुदाय के साथ सीधा धोखा था. इसका असली मकसद जातियों की संख्या को वोट बैंक में बदलना और सत्ता पर अपनी दावेदारी मजबूत करना था, न कि वंचित वर्ग को अवसर और अधिकार देना.'
केंद्र ने कराई जातिगत जनगणना
केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में नोटिफाइड प्रस्तावित जाति जनगणना की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि चिराग पासवान ने वास्तविक जाति जनगणना के लिए मंजूरी दिलाने में सरकार में अहम भूमिका निभाई, जिसमें न सिर्फ डेटा जमा किया जाएगा, बल्कि विभिन्न जातियों की शैक्षिक, आर्थिक और प्रशासनिक भूमिकाओं के बारे में भी डिटेल हासिल की जाएगी.
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उन्होंने कहा कि अब सिर्फ संख्या नहीं बल्कि पूरा सामाजिक आर्थिक ब्यौरा दर्ज किया जाएगा. संविधान, नीति और न्यायालय में बहुजन समाज की स्थिति को सबूत के साथ पेश किया जाएगा ताकि उन्हें संवैधानिक और न्यायसंगत आरक्षण मिल सके. जनगणना के बाद जमा हुआ डेटा बहुजन समाज के पक्ष में आरक्षण के विस्तार और नीति निर्माण के लिए ठोस आधार बनेगा.
रोहित कुमार सिंह