चिराग पासवान ने बिहार चुनाव से पहले कास्ट सेंसस का खुल कर सपोर्ट किया है. ये बात महत्वपूर्ण इसलिए हो जाती है, क्योंकि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी जातिगत जनगणना के लिए जोरदार मुहिम चला रहे हैं. अहमदाबाद में हुए कांग्रेस अधिवेशन में भी राहुल गांधी ने केंद्र की बीजेपी सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लेते हुए, सत्ता में आने पर जातिगत जनगणना कराने की बात कही है.
2025 में बिहार का ताबड़तोड़ तीन दोरा कर चुके राहुल गांधी ने नीतीश कुमार के जातिगत गणना को फर्जी करार दिया था. जातिगत जनगणना के पैरोकार लालू यादव भी हैं, और राहुल गांधी की सक्रियता के कारण कहीं न कहीं टकराव की भी नौबत आ रही है.
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने लालू यादव की राजनीति को भी निशाने पर लिया है, और ये जताने की कोशिश की है कि वो मुस्लिम-यादव की राजनीति को भी सही नहीं मानते हैं.
और लालू यादव को टार्गेट पर रखते हुए बड़ी ही बुद्धिमानी से वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन वाली बात भी कर देते हैं - वैसे भी वो मोदी के हनुमान जो हैं.
सवाल ये है कि कास्ट सेंसस की पैरवी करके वो बीजेपी और मौदी का विरोध नहीं कर रहे हैं?
क्या चिराग पासवान बिहार चुनाव के लिए अपनी अलग रणनीति पर काम कर रहे हैं?
जातिगत जनगणना के पक्ष में चिराग पासवान
चिराग पासवान ने जातिगत जनगणना की ये कहते हुए वकालत की है कि ऐसा होने से सरकार को लोगों के लिए कल्याणकारी योजनाएं बनाने के लिए आंकड़े मिलेंगे.
खास बात ये है कि चिराग पासवान कतई नहीं चाहते कि जातिगत जनगणना के आंकड़ों को सार्वजनिक किया जाये. लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) नेता का कहना है कि अगर जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी कर दिये गये तो जातिवाद को बढ़ावा मिल सकता है.
इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक इंटरव्यू में चिराग पासवान कहते हैं, ये विरोधाभासी लग सकता है कि मैं जाति की राजनीति को सपोर्ट नहीं करता, लेकिन जातिगत जनगणना का समर्थन करता हूं.
चिराग पासवान का M-Y फैक्टर
चिराग पासवान ने जातीय राजनीति के साथ साथ लालू यादव के मुस्लिम-यादव राजनीति को अलग अंदाज में काउंटर किया है. हालांकि, लालू परिवार के साथ रिश्तों को लेकर कहते हैं, ‘मेरे परिवार के रिश्ते लालू परिवार से हमेशा अच्छे रहे हैं, और मैं खुले मंच पर ये बात कहता भी रहा हूं… मैंने इसे कभी छिपाया भी नहीं है… जैसे रिश्ते मेरे पिता के वक्त थे, वैसा आज भी है… तेजस्वी को मैं अपना छोटा भाई मानता हूं.
लालू यादव की मुस्लिम-यादव पॉलिटिक्स को M-Y फैक्टर की राजनीति के रूप में जाना जाता है. चिराग पासवान का कहना है कि मेरे लिए MY का अलग मतलब है.
चिराग पासवान ने MY फैक्टर की नई परिभाषा गढ़ी है - महिला और युवा.
बताते हैं, मेरे 5 सांसदों में से 2 महिलाएं हैं… मैं 14 करोड़ बिहारियों की बात करता हूं… जैसे ही बिहारी बिहार से बाहर निकलते हैं, और जाति से बाहर निकलते हैं, वे हर फील्ड में बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं. चाहे वो मीडिया का क्षेत्र हो, कॉर्पोरेट हो या फिर नौकरशाही.
क्या चिराग पासवान का कुछ खास प्लान है
1. कास्ट सेंसस की पैरवी तो चिराग पासवान को राहुल गांधी की तरफ ले जाती है, और ऐसा लगता है वो भविष्य में तेजस्वी यादव के साथ जाने का भी इशारा कर रहे हैं.
2. लेकिन, MY फैक्टर की चिराग पासवान की नई परिभाषा तेजस्वी यादव के खिलाफ जाती है, बल्कि उसमें मोदी के मन की बात भी छिपी हुई लगती है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में जातिगत गणना को काउंटर करने के लिए अपने हिसाब से जिन जातियों का जिक्र किया था, महिला और युवा भी उसमें शामिल हैं. यहां तो चिराग पासवान बीजेपी का ही पक्ष ले रहे हैं.
3. देखा जाये तो कास्ट सेंसस चिराग पासवान की मजबूरी भी है, क्योंकि वो नेता तो एक जाति विशेष के ही हैं. और, पासवान वोटर के बूते ही चार साल के कड़े संघर्ष के बाद बाउंसबैक भी किया है.
4. चिराग पासवान भी लगता है, नीतीश कुमार की तरह एनडीए में प्रेशर पॉलिटिक्स करने की कोशिश कर रहे हैं. वैसे भी, बीजेपी और नीतीश कुमार की वजह से चिराग पासवान ने जो फजीहत झेली है, वो भूल पाना तो उनके लिए जिंदगी भर मुश्किल ही होगा.
वो कहते भी हैं, अगर आप अपने आपको मजबूत रखते हैं, तो कोई आपको निगल नहीं सकता, या फिनिश नहीं कर सकता.
मृगांक शेखर