प्याज की बढ़ती कीमतों को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने 5 सितंबर से 35 रुपये किलो के भाव से प्याज की बिक्री शुरू कर दी है. नेफेड और नेशनल कॉपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (NCCF) इस दाम पर प्याज बेच रहे हैं.
बता दें कि खुले बाजार में प्याज की कीमतें 50 से 60 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई हैं. इस बीच त्योहारों में मांग ज्यादा होने के चलते कीमतें और बढ़ने की आशंका को देखते हुए सरकार ने प्याज का स्टॉक उतारा है.
आज तक के सहयोगी किसान तक के मुताबिक, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रह्लाद जोशी ने दिल्ली के कृषि भवन से नेफेड और एनसीसीएफ की प्याज वैन को रवाना किया. दिल्ली-NCR की बात की जाए तो NCCF यहां 38 जगहों पर सस्ते प्याज की बिक्री कर रहा है.
किसानों को झेलना पड़ सकता है नुकसान
सरकार का यह फैसला कई मायनों में महत्वपूर्ण है. सरकार ने आम आदमी को राहत देने के लिए यह कदम उठाया है, लेकिन इससे मार्केट में प्याज के दाम कम हो जाएंगे, जिसका सीधा नुकसान किसानों को झेलना पड़ सकता है.
लोकसभा चुनाव में लग चुका है झटका
प्याज का उत्पादन करने वाले सबसे बड़े राज्य महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव बेहद नजदीक हैं. वहीं, लोकसभा चुनाव में प्याज की कीमत के मुद्दे पर BJP और उसके सहयोगियों को पहले ही बड़ा राजनीतिक झटका लग चुका है. ऐसे में देखना होगा कि सरकार के इस फैसले का महाराष्ट्र चुनाव पर क्या असर पड़ता है?
'किसानों के लिए परेशानी का सबब'
महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक संगठन के चेयरमैन भारत दिघोले के मुताबिक,'बफर स्टॉक बढ़ाकर सरकार संदेश देती है कि वो किसानों के हित के लिए प्याज खरीद रही है. लेकिन असल में यह स्टॉक ही किसानों के लिए परेशानी का कारण बन जाता है. जब दाम बढ़ने शुरू होते हैं, तब इस स्टॉक को बाहर निकालकर सरकार दाम गिरा देती है. सरकार अब यही करने जा रही है. लगता है कि केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव में प्याज की कीमतों पर नजर आई किसानों की नाराजगी से कोई सबक नहीं लिया है.'