मध्य प्रदेश कैबिनेट ने 'कृषक कल्याण मिशन' के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जिसका उद्देश्य किसानों की कल्याणकारी योजनाओं को एक छतरी के नीचे लाना है. मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में कृषक कल्याण मिशन (KKM) पर सैद्धांतिक मुहर लगाई गई.
यह मिशन किसान कल्याण एवं कृषि विकास, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण, मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी, सहकारिता, खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभागों की योजनाओं को एकीकृत कर किसानों के समग्र विकास को बढ़ावा देगा.
एक अधिकारी ने बताया कि मिशन का लक्ष्य राज्यभर में किसानों के लिए समन्वित विकास सुनिश्चित करना है. इसके उद्देश्यों में किसानों की आय में वृद्धि करना, जलवायु-अनुकूल और स्थायी कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना, जैव विविधता और पारंपरिक कृषि ज्ञान का संरक्षण करना, पोषण और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना और किसानों की उपज के लिए उचित मूल्य की गारंटी देना शामिल है.
मुख्यमंत्री इस मिशन की आम सभा के अध्यक्ष होंगे, जबकि मुख्य सचिव कार्यान्वयन के लिए गठित कार्यकारी समिति का नेतृत्व करेंगे. जिला स्तर पर मिशन का संचालन जिलाधिकारी की अध्यक्षता में होगा.
सरकार की ओर से बताया गया कि मध्यप्रदेश ने कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है. कृषि उत्पादकता 2002-03 में 1,195 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 2024 में 2,393 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई, जो 200 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है. इसी तरह, फसल उत्पादन 2002-03 में 224 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 2024 में 723 लाख मीट्रिक टन हो गया, जो 323 प्रतिशत की वृद्धि है.
प्रदेश में कृषि विकास दर 2002-03 में 3 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 9.8 प्रतिशत हो गई. साथ ही, कृषि बजट 2002-03 में 600 करोड़ रुपए से बढ़कर 2024 में 27,050 करोड़ रुपए हो गया. राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में कृषि क्षेत्र का योगदान 39 प्रतिशत है.