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अमेरिकी संसद कैपिटल बिल्डिंग कैंपस में आग लगने के चलते बंद की गई

अमेरिकी संसद भवन कैपिटल बिल्डिंग परिसर को अस्थायी तौर पर बंद करना पड़ा है. कैपिटल बिल्डिंग परिसर में आग लगने की छोटी सी घटना के बाद अमेरिकी प्रशासन ने यह कदम उठाया है. पहले अज्ञात खतरे की आशंका जताई जा रही थी.  

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कैपिटल बिल्डिंग के आसपास सुरक्षा बंदोबस्त कड़े (फोटो-AP)
कैपिटल बिल्डिंग के आसपास सुरक्षा बंदोबस्त कड़े (फोटो-AP)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • संसद परिसर में आग लगने की घटना
  • परिसर में आग पर काबू पाया गया
  • ऐहतियात के तौर पर संसद परिसर बंद

अमेरिकी संसद भवन कैपिटल बिल्डिंग परिसर को अस्थायी तौर पर बंद करना पड़ा है. कैपिटल बिल्डिंग परिसर में आग लगने की छोटी सी घटना के बाद अमेरिकी प्रशासन ने यह कदम उठाया है. पहले अज्ञात खतरे की आशंका जताई जा रही थी.  

एनबीसी न्यूज के मुताबिक फिलहाल कैपिटल कॉम्प्लेक्स के भीतर सभी इमारतों की खिड़कियों और दरवाजों को बंद रखने को कहा गया है. वहीं यूएस सेक्रेट सर्विस ने बताया कि कैपिटल हिल इलाके में आग लगने की छोटी सी घटना सामने आई है जिस पर काबू पा लिया गया है. ऐहतियात के तौर पर कैपिटल बिल्डिंग परिसर को अस्थायी तौर पर बंद किया गया है. जनता को कोई खतरा नहीं है.

वॉशिंगटन डीसी में यह हचलच तब देखने को मिली है जब दो दिन बाद 20 जनवरी को जो बाइडेन राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले हैं.  फिलहाल, डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों की हिंसा के बाद से कैपिटल बिल्डिंग के आसपास सुरक्षा बंदोबस्त कड़े कर दिए गए हैं. शहर में हजारों की संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात कर दिया गया है. वॉशिंगटन डीसी में चेक प्वांइट के पास नेशनल गार्ड के जवानों को तैनात कर दिया गया है.

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जो बाइडन 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे. अमेरिका में राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण करने को इनॉगरेशन डे भी कहा जाता है. बाइडेन के राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां तेज से चल रही हैं. लेकिन ट्रंप समर्थकों की हिंसा के बाद से वॉशिंगटन डीसी की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है.

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असल में, 6 जनवरी को उस वक्त अमेरिका में हंगामा खड़ा हो गया, जब डोनाल्ड ट्रंप के समर्थक कैपिटल बिल्डिंग में घुस गए. इस दौरान सुरक्षा बलों और ट्रंप समर्थकों में झड़प हुई जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई.

कैपिटल बिल्डिंग में हंगामे के लिए ट्रंप को जिम्मेदार बताया गया और उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लाया गया. प्रस्ताव में यह आरोप लगाया गया कि ट्रंप के भाषण से उनके समर्थक उत्तेजित थे. बाद में सोशल मीडिया साइट्स फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब से उनके भाषण के वीडियो हटा लिए गए. ट्विटर ने तो ट्रंप को अस्थायी रूप से बैन भी कर दिया है.

 

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