पाकिस्तान अऱबों डॉलर कश्मीर को लेकर सोशल मीडिया पर चल रही बहस को प्रभावित करने में खर्च कर रहा है. इसका खुलासा पाकिस्तान के ही पत्रकारों के झगड़े और फिर मामले के कोर्ट में पहुंचने से हुआ.
पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ख्वाजा और जस्टिस आरिफ इन दिनों एक पिटीशन की सुनवाई कर रहे हैं. इसमें आरोप लगाया गया है कि पाकिस्तान की इन्फॉर्मेशन मिनिस्ट्री अपने मकसद पूरा करने के लिए कुछ चुने हुए पत्रकारों और मीडिया संस्थानों को करोड़ों रुपये बांट रही है. मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मंत्रालय को आदेश दिया कि उनसे पैसा पाए सभी लोगों और संस्थाओं के नाम बताए जाएं. सरकारी बाबुओं ने कोर्ट में आधी अधूरी जानकारी मुहैया कराई. नाराज जज साहब ने हुकुम सुनाया कि सीक्रेट फंड के नाम पर पिछले तीन साल में जिस विभाग ने जितना पैसा दिया है, उन सबका विस्तार से ब्यौरा दिया जाए.
इस ब्यौरे के आंकड़े सामने आए, तो लोग हैरान रह गए. अमूमन किसी भी मुल्क में सबसे ज्यादा सीक्रेट फंड, होम मिनिस्ट्री, डिफेंस मिनिस्ट्री या फाइनेंस मिनिस्ट्री खर्च करती है. मगर पाकिस्तान में सबसे ज्यादा सीक्रेट फंड, अरबों डॉलर की रकम देश के इन्फॉर्मेशन और टेक्नोलॉजी यानी आईटी मिनिस्ट्री ने खर्ची है.
पाकिस्तान अखबार डॉन के मुताबिक आईटी मिनिस्ट्री को फेडरल बजट से मिलने वाले सीक्रेट फंड में लगातार दो साल इजाफा हुआ. फिर अचानक इस फंड को कागजों पर जीरो दिखा दिया गया. अखबार के मुताबिक मिनिस्ट्री के सचिव साहब तो इस फंड की जानकारी से ही इनकार करते हैं. जफर कादिर के मुताबिक, ‘मुझे नहीं पता कि विभाग में इस तरह की भी कोई चीज है. इसके बारे में तो मुझसे पहले यहां काम संभाल रहे लोग ही बता सकते हैं.’
मगर अखबार ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि इस रकम का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मरी में साइबर वॉर चलाने के लिए खर्च किया गया. इस पूरे ऑपरेशन में सोशल मीडिया और साइबर वर्ल्ड के दूसरे हिस्सों में पाकिस्तान के कश्मीर पर जारी प्रोपेगेंडा को बढ़ावा देना शामिल रहा है.
इस फंड का इस्तेमाल ब्रिटिश सांसदों को भारत के खिलाफ बोलने के लिए मनाने में भी खर्च किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक मई 2011 में पाकिस्तान के विदेश विभाग ने यह स्वीकार किया था कि ब्रिटेन में लेबर पार्टी के सांसद जॉर्ज गैलोवे को एक लाख पैंतीस हजार पाउंड की रकम दी गई थी. इसका मकसद सिर्फ यही था कि जॉर्ज कश्मीर पर भारत के रुख को लेकर नकारात्मक प्रचार करें.