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म्यांमार में तख्तापलट की आहट, हिरासत में राष्ट्रपति और आंग सान सू की

ये जानकारी नेशनल लीग पर डेमोक्रेसी के प्रवक्ता ने दी है. म्यांमार में सत्तारुढ़ पार्टी और वहां की सेना के बीच एक चुनाव के परिणामों के बाद से भारी तनाव चल रहा है. म्यांमार की लोकप्रिय नेता आंग सान सू को डिटेन किए जाने के बाद म्यांमार में एक बार फिर से तख्तापलट की आशंका जताई जा रही हैं.

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आंग सान सू की सत्तारुण पार्टी की सबसे लोकप्रिय नेता हैं (फाइल फोटो)
आंग सान सू की सत्तारुण पार्टी की सबसे लोकप्रिय नेता हैं (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सेना ने सत्तारुढ़ पार्टी लीडर्स को हिरासत में ले लिया
  • आर्मी का राज म्यांमार के लिए नया नहीं है
  • म्यांमार में दशकों तक आर्मी का राज रहा है

वर्षों तक आर्मी राज झेलने वाले म्यांमार में एक बार आर्मी राज की आहत हो रही है. म्यांमार की सत्तारुढ़ पार्टी 'नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी की नेता आंग सान सू की और राष्ट्रपति को म्यांमार की सेना द्वारा सोमवार की सुबह-सुबह डिटेन कर लिया गया है.

ये जानकारी नेशनल लीग पर डेमोक्रेसी के प्रवक्ता ने दी है. म्यांमार में सत्तारुढ़ पार्टी और वहां की सेना के बीच एक चुनाव के परिणामों के बाद से भारी तनाव चल रहा है. म्यांमार की लोकप्रिय नेता आंग सान सू को डिटेन किए जाने के बाद म्यांमार में एक बार फिर से तख्तापलट की आशंका जताई जा रही हैं.

म्यांमार में एक लंबे समय तक आर्मी का राज रहा है. साल 1962 से लेकर साल 2011 तक देश में 'मिलिट्री जनता' की तानाशाही रही है. साल 2010 में म्यांमार में आम चुनाव हुए और 2011 में म्यांमार में 'नागरिक सरकार' बनी. जिसमें जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों को राज करने का मौका मिला.

नागरिक सरकार बनने के बाद भी असली ताकत हमेशा 'आर्मी' के पास ही रही. अप्रत्यक्ष रूप से 'मिलिट्री जनता' म्यांमार की पहली शक्ति ही बनी रही, उसे उन अर्थों में हटाया नहीं जा सका, जैसा कि बाहर से लग रहा था. इसलिए सोमवार की जो घटना हुई है वह कुछ और नहीं बल्कि म्यांमार के राजनीतिक परिदृश्य का असली रूप है.

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नेशनल पार्टी फॉर डेमोक्रेसी के प्रवक्ता ने कहा 'अमेरिका और अन्य देशों को आर्मी राज पर प्रतिबंध लगाकर एक मजबूत संदेश देना चाहिए. सभी देशों को मिलिट्री जनता की लीडरशिप और इसके आर्थिक सहयोगियों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने चाहिए. जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों को अपना बिजनेस वापस लेने चाहिए. बर्मा (म्यांमार) की जनता दोबारा से चीन की जागीरदारी नहीं बनना चाहती है.'

सत्तारुढ़ पार्टी के प्रवक्ता ने कहा 'अमेरिका ने शुक्रवार के दिन ही बाकी देशों से अपील की थी कि वे मिलिट्री द्वारा तख्तापलट किए जाने की संभावनाओं में सहयोग न करें. लेकिन चीन म्यांमार (सेना) के साथ उसी तरह खड़ा रहेगा जैसे रोहिंग्याओं को देश से बाहर निकालने के समय खड़ा था.

'बाइडेन शासन ने कहा है कि वो लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए खड़ा रहेगा, लेकिन चूंकि आर्मी लीडरों पर प्रतिबंध तो पहले से ही लगाए हुए हैं. ऐसे में ये क्लियर नहीं है कि अभी एकदम से अमेरिका ऐसे क्या ठोस कदम उठा सकता है.'

 

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