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अमेरिका में फ्लॉयड की मौत को लेकर ब्रिटेन में प्रदर्शनों का जोर, निशाने पर मूर्तियां

ब्रिटेन की गृहमंत्री प्रीति पटेल ने इस घटना को बहुत शर्मनाक करार दिया है. उन्होंने लंदन में प्रदर्शन के दौरान भीड़ के बर्ताव पर भी सख्त आपत्ति जताई.

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जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद प्रदर्शन (फाइल फोटो-पीटीआई)
जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद प्रदर्शन (फाइल फोटो-पीटीआई)

  • ब्रिटेन में भी प्रदर्शनों का उफान
  • विविधता आयोग किया गया लॉन्च

अमेरिका में अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की 25 मई को पुलिस हिरासत में मौत को लेकर ब्रिटेन में भी प्रदर्शनों का उफान आया हुआ है. इस दौरान लंदन के पार्लियामेंट स्क्वॉयर में स्थित ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल और महात्मा गांधी की प्रतिमाओं को भी ‘नस्लवादी’ लिखकर विकृत किया गया.

प्रदर्शनकारियों ने ब्रिस्टल में एडवर्ड कॉलस्टन की प्रतिमा को गिरा दिया. कॉलस्टन रॉयल अफ्रीकन कंपनी के सदस्य थे जो 80,000 लोगों को अफ्रीका से अमेरिका ले गए थे. ब्रिस्टल पर कॉलस्टन की गहरी छाप मानी जाती है, जिन्होंने जीवित रहते ही एलान कर दिया था कि मौत के बाद उनकी सारी संपत्ति चैरिटी संगठनों को बांट दी जाए. कॉलस्टन का निधन 1721 में हुआ था.

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ब्रिटेन की गृहमंत्री प्रीति पटेल ने इस घटना को बहुत शर्मनाक करार दिया है. उन्होंने लंदन में प्रदर्शन के दौरान भीड़ के बर्ताव पर भी सख्त आपत्ति जताई, जहां 60 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हो गए. लेबर पार्टी सांसद फ्लोरेंस एशालोमी ने भारतीय मूल की गृहमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि उनमें नस्लवाद के मुद्दे पर समझ की कमी है.

एशालोमी ने सवाल किया, “क्या गृहमंत्री कबूल करेंगी कि ढांचागत असमानता, भेदभाव और नस्लवाद हमारे देश में मौजूद है? क्या गृह मंत्री कबूल करेंगी कि लोग सरकार से कार्रवाई चाहते हैं?” भारतीय मूल की गृहमंत्री प्रीति पटेल ने जवाब में खुद पर हुईं नस्ली टिप्पणियों का हवाला दिया लेकिन साथ ही साफ किया कि इस मामले में विपक्षी लेबर पार्टी से उन्हें लेक्चर लेने की जरूरत नहीं है.

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प्रीति पटेल ने कहा, "ओह! तो इस आधार पर ये गृहमंत्री बहुत अलग होनी चाहिए. जिसे बचपन में अक्सर प्लेग्राउंड्स में ‘पाकी’ कहा जाता था. बहुत अलग गृहमंत्री जिसे सड़कों पर नस्ली अपशब्द सुनने पड़ते थे. यहां तक कि सरनेम हटाने के लिए भी कहा गया?" ब्रिटेन में ऐसी मूर्तियों को हटाने की मांग जोर पकड़ती जा रही है जिनका संबंध गुलामों के व्यापार और नस्लवाद से जुड़ाव था.

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ऑक्सफोर्ड में करीब 1000 प्रदर्शनकारियों ने सेसिल रोड्स की मूर्ति हटाने की मांग की. उन्होंने रोड्स पर साम्राज्यवादी और नस्लवादी होने का आरोप लगाया. रोड्स ने भी अपनी सारी संपत्ति दान कर दी थी. उन्हीं के नाम पर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पोस्ट ग्रेजुएट स्टडी के लिए रोड्स स्कॉलरशिप दी जाती है.

विविधता आयोग

लंदन डॉक्स से 18वीं सदी की रॉबर्ट मिलिगन की मूर्ति को हटा दिया गया है. सुरक्षा कारणों से इसे म्युजियम में लगाया जाएगा. मिलिगन की पहचान गुलामों के मालिक के तौर पर थी. दासता और नस्लवाद से जुड़ी सभी मूर्तियों और सड़कों के नामों को हटाने की मांग जोर पकड़ने पर लंदन के मेयर सादिक खान ने ‘विविधता आयोग’ लॉन्च किया है.

इस आयोग का मकसद ये देखना होगा कि किस मूर्ति को हटाने की जरूरत है और किसे बदला जा सकता है जिससे लंदनवासियों की उपलब्धियों की नुमाइंदगी में समानता लाई जा सके. खास तौर पर उन लोगों की जो अश्वेत या अल्पसंख्यक जातीय ग्रुपों से जुड़े हैं.

कोविड लॉकडाउन पूरी तरह नहीं हटने के बावजूद फ्लॉयड की मौत ने ब्रिटेन के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शनों की बाढ़ ला दी है. इनमें सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य सुरक्षा उपायों का उल्लंघन होते देखा गया. इनका असर आने वाले हफ्तों में महसूस किया जा सकता है.

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