सीमा पर भारत से उलझे चीन के खिलाफ अमेरिका ने बड़ी कार्रवाई की है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उईगर मुस्लिमों के उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून पर हस्ताक्षर कर दिया है. अमेरिका ने चीन को दंडित करने और उसको मानवाधिकार पर कड़ा संदेश देने के लिए यह कानून बनाया है.
वहीं, अमेरिका के इस कदम से चीन भड़क गया है और जवाबी कार्रवाई करने की धमकी दी है. गुरुवार को चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका को इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा. अमेरिका को चीन के आंतरिक मामले में दखल देना और हितों को नुकसान पहुंचाना बंद करना चाहिए.
इससे पहले 27 मई को अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने उइगर मुस्लिमों का उत्पीड़न करने के जिम्मेदार चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून को भारी बहुमत से पास किया था. इस कानून का रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक पार्टी दोनों ने समर्थन किया. अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हस्ताक्षर के बाद उईगर मानवाधिकार नीति अधिनियम 2020 अस्तित्व में आ गया है.
बताया जा रहा है कि चीन में उईगर मुस्लिमों के साथ अत्याचार हो रहा है और उनको कैम्पों में हिरासत में रखा गया है. संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक शिनजियांग प्रांत में 10 लाख से ज्यादा उईगर मुस्लिमों को कैम्पों में हिरासत में रखा गया है.
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वहीं, अमेरिकी विदेश विभाग ने चीनी अधिकारियों पर उईगर मुस्लिमों को टॉर्चर करने, उनके साथ दुर्व्यवहार करने और उनकी संस्कृति को खत्म करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है. हालांकि चीन इन आरोपों को खारिज करता है. चीन का कहना है कि ये कैम्प उईगर मुस्लिमों को व्यवसायिक प्रशिक्षण देते हैं और उग्रवाद से लड़ने के लिए जरूरी हैं.
अमेरिका ने उइगर मुस्लिमों के उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून उस समय बनाया है, जब कोरोना वायरस को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव चल रहा है. अमेरिका कोरोना वायरस के लिए पूरी तरह से चीन को जिम्मेदार ठहरा रहा है. चीन के वुहान शहर से फैले कोरोना वायरस ने अमेरिका और भारत समेत पूरी दुनिया को चपेट में ले लिया है. कोरोना वायरस के मरीजों और इससे मरने वालों का आंकड़ा भी लगातार बढ़ता जा रहा है.
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