
भारत का चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) शुक्रवार को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया. करीब 42 दिनों की यात्रा के बाद चंद्रयान-3 23-24 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा. चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग पर कई देशों से भारत को बधाई संदेश मिल रहे हैं. जापान, ब्रिटेन की अंतरिक्ष एजेंसियों ने भारत को इस सफलता के लिए बधाई दी है. चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने भी भारत के लिए बधाई संदेश जारी किया है.
जापान और ब्रिटेन की अंतरिक्ष एजेंसियों ने क्या कहा?
जापान की अंतरिक्ष एजेंसी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट में लिखा है, 'भारत को चंद्रयान के सफलतापूर्वक लॉन्च पर बधाई.'
वहीं, ब्रिटेन की अंतरिक्ष एजेंसी यूके स्पेस एजेंसी ने भारत को बधाई देते हुए ट्विटर पर लिखा, 'मंजिल- चांद... चंद्रयान के सफलतापूर्वक लॉन्च के लिए ISRO को बधाई.'
चीनी अखबार ने भी दी बधाई
भारत की सफलताओं पर हमेशा तंज कसने वाला चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने एक ट्वीट में चंद्रयान-3 के सफलतापूर्वक लॉन्च के लिए भारत को बधाई दी है.
अखबार ने लिखा है, 'बधाई हो! भारत ने शुक्रवार को अपने चंद्र मिशन चंद्रयान-3 को ऑर्बिट में सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है. उम्मीद है कि अंतरिक्ष यान अगस्त में चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कर लेगा. अगर भारत इस कोशिश में सफल हो जाता है तो वह चंद्रमा पर कंट्रोल्ड लैंडिंग करने वाला विश्व का चौथा देश बन जाएगा.'
2021 में ही लॉन्च किया जाना था चंद्रयान-3
चंद्रयान-3 को LVM3-M4 रॉकेट से लॉन्च किया गया. इसी रॉकेट का इस्तेमाल कर भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरों ने चंद्र-मिशन चंद्रयान-2 को भी लॉन्च किया था. इसरो ने जनवरी 2020 में ही ऐलान किया था कि साल 2021 में चंद्रयान-3 को लॉन्च किया जाएगा. लेकिन कोविड के कारण इसकी लॉन्चिंग टाल दी गई थी.
इसरो ने अपने चंद्र मिशन के लिए पहला चंद्रयान-1 साल 2008 में लॉन्च किया था जिसमें सिर्फ एक ऑर्बिटर था. इसरो ने साल 2019 में चंद्रयान-2 लॉन्च किया जिसमें ऑर्बिटर के साथ-साथ लैंडर और रोवर भी थे.
वहीं, चंद्रयान-3 की बात करें तो इसमें सिर्फ लैंडर और रोवर है, ऑर्बिटर नहीं. इसरो ने लैंडर को 'विक्रम' और रोवर को 'प्रज्ञान' नाम दिया है. रोवर छह पहियों का एक रोबोट है जो लैंडर के अंदर होता है. यह लैंडिंग के बाद बाहर आता है.

इस मिशन से क्या हासिल करना चाहता है भारत?
इस मिशन के जरिए भारत का मकसद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कराना है. इसरो के इस मिशन की लागत करीब 615 करोड़ बताई जा रही है.
इसरो ने इस मिशन के तीन मकसद बताए हैं- विक्रम लैंडर की चांद पर सुरक्षित और सफल सॉफ्ट लैंडिंग कराना, प्रज्ञान रोवर को चांद की सतह पर चलाना और चांद की सतह पर वैज्ञानिक परीक्षण करना. अगर भारत अपने इस मिशन में कामयाब हो जाता है तो वो अमेरिका, रूस और चीन के बाद चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला चौथा देश बन जाएगा.