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ब्रिटेन की संसद ने यूरोपीय संघ से देश के बाहर निकलने की प्रक्रिया यानि ब्रेग्जिट समझौते को 29 मार्च से आगे ले जाने के पक्ष में गुरुवार को एक प्रस्ताव पारित किया. ब्रेग्जिट को लेकर देश में जारी राजनीतिक गतिरोध के बीच यह प्रस्ताव पारित हुआ है. हाउस ऑफ कॉमन्स में ‘ब्रेक्जिट डे’ में देरी से जुड़े इस प्रस्ताव के पक्ष में 412 सांसदों ने जबकि विपक्ष में 202 सदस्यों ने वोट डाला.
हालांकि, ब्रेग्जिट में देरी के लिए यूरोपीय संघ के सभी 27 देशों की सहमति की जरूरत होगी. इस बीच यूरोपीय संघ के नेताओं ने संकेत दिया है कि वे ब्रिटेन में जारी राजनीतिक गतिरोध के आधार पर ब्रेग्जिट की तारीख और आगे बढ़ाने के पक्ष में नहीं हैं. इससए पहले ब्रिटिश सांसदों ने बुधवार को प्रधानमंत्री थेरेसा मे के ब्रेग्जिट डील को खारिज कर दिया था.
188 Tories votes against the Government’s motion in the name of @theresa_may tonight, only 112 Tory MPs supported it.
— Labour Whips (@labourwhips) March 14, 2019
हाउस ऑफ कॉमन्स में डील के विपक्ष में 278 के बदले 321 वोट पड़े. दूसरी तरफ यूरोपीय संघ ने कहा कि वह इससे ज्यादा कुछ नहीं कर सकता. अगर ब्रिटिश संसद यूरोपीय संघ के साथ हुए समझौते को मंजूर करने में असफल होती है और संघ ज्यादा समय देने में असमर्थ रहता है तो ब्रिटेन 29 मार्च को संघ से बिना किसी समझौते के अलग हो जाएगा. अब इस प्रक्रिया की तारीख आगे बढ़ाने के लिए प्रस्ताव पारित किया गया है.
After an exasperating few days, Parliament’s rejection of no deal and desire for an extension shows there is still some common sense in Westminster. But without a radically new approach, business fears this is simply a stay of execution. @josh_hardie pic.twitter.com/H68jEZFUQo
— CBI (@CBItweets) March 14, 2019
ब्रिटिश संसद के इस प्रस्ताव का कई व्यापार प्रमुखों ने स्वागत किया है. हालांकि, उन्होंने चेतावनी भी दी है कि ब्रिटेन का भविष्य अभी भी चाकू की नोंक पर है. ब्रिटिश उद्योग परिसंघ (CBI) ने कहा कि सरकार को अब सांसदों के बीच आम सहमति बनाने के लिए नया तरीका अपनाना चाहिए.