1500 करोड़ की अंतरराष्ट्रीय ठगी के जाल का मास्टरमाइंड समझा जाने वाला रविंद्र नाथ सोनी जब स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) के सामने आया तो उसका रौब नदारद था. पांच स्टार होटलों में निवेशकों की भीड़ लगवाने वाला, बुर्ज खलीफा के पास अपना ऑफिस बताने वाला और विदेशी कंपनियों को करोड़ों का मुनाफा दिखाने वाला यही शख्स, पूछताछ के शुरुआती मिनटों में ही हाथ जोड़कर बोला 'साहब, मैं तो दुबई में कचौड़ी बेचकर गुजारा कर रहा हूं… परिवार चलाना मुश्किल हो गया था.'
लेकिन एसआईटी के पास उसके इस दावे पर यकीन करने का कोई कारण नहीं था. सामने ढेरों कागज, लैपटॉप, बैंक स्टेटमेंट, निवेशकों की शिकायतें और विदेशी अकाउंट्स की डिटेल पड़ी थी. पुलिस अफसरों को पता था कि कहानी सिर्फ 'कचौड़ी बेचने' की नहीं है बल्कि कहानी करोड़ों की उस ठगी की है जिसने भारत ही नहीं, जापान, चीन, अमेरिका और कई देशों में बैठे लोगों की नींद उड़ा दी है.
पूछताछ में टूटता गया सोनी का ‘हाई-प्रोफाइल’ किला
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पूछताछ के दौरान SIT ने सोनी के सामने उसके बैंक खातों, कंपनी रजिस्ट्रेशन, विदेशी फंडिंग और सहयोगियों की जानकारी रखी. ये वही कंपनियां थीं जिनका इस्तेमाल कर वह पिछले सात वर्षों से निवेशकों को ऊंचे रिटर्न का झांसा देता रहा.
एडीसीपी क्राइम अंजली विश्वकर्मा की टीम ने उससे उसके कथित हाई-प्रोफाइल रिश्तों पर भी सवाल पूछे. टीम ने अभिनेता और रेसलर के साथ उसके वीडियो दिखाए, जिनका इस्तेमाल वह निवेशकों को भरोसा दिलाने के लिए करता था. सोनी यह कहकर बचने की कोशिश करता रहा कि ये सिर्फ फॉर्मल मुलाकातें’ थीं, पर SIT लगातार उसकी कहानी में झोल ढूंढती रही. उसने स्वीकार किया कि कंपनी में कई डायरेक्टर थे और समय-समय पर सभी अपने हिस्से के पैसे निकाल लेते थे. निवेशकों का दबाव बढ़ा तो वह घबरा गया और दुबई से भागकर देहरादून जा पहुंचा.
पूछताछ के दौरान सोनी बार-बार खुद को गरीब दिखाने की कोशिश करता रहा. उसका दावा था कि वह दुबई में एक छोटे से आउटलेट पर कचौड़ी बेच रहा था, ताकि किसी तरह परिवार चल सके. लेकिन उसके पास मिले इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, बिजनेस कार्ड्स और ईमेल ट्रेल कुछ और ही कहानी कहते हैं. सोनी के दुबई स्थित दफ्तर में लाखों डॉलर का लेन-देन होता था. वह विदेशी निवेशकों को लुभाने के लिए अक्सर पांच सितारा होटलों में ग्लैमरस इवेंट आयोजित करता था, ताकि कंपनी को ग्लोबल ब्रांड की छवि मिले. उसकी मुख्य कंपनी ब्लूचिप कमर्शियल ब्रोकर 2018 से सक्रिय थी और इसके जरिए ही विदेशी निवेशकों के पैसे रियल एस्टेट और गोल्ड माइनिंग में निवेश के नाम पर घूमाए जाते थे.
दुबई से फरारी की फिल्मी कहानी
दुबई पुलिस के रिकॉर्ड में उसका देश छोड़ने का कोई उल्लेख नहीं था. इसका मतलब था वह कानूनी प्रक्रिया से नहीं, किसी और रास्ते से निकला. बाद में पता चला कि अगस्त में उसने दुबई का रेगिस्तान पैदल पार किया, एक स्मगलर गैंग की मदद से ओमान में दाखिल हुआ और वहां से भारत की फ्लाइट लेकर देहरादून आ गया. स्थानीय निवेशकों ने जब दुबई पुलिस से शिकायत की, तो उन्हें बताया गया कि सोनी देश छोड़कर जा ही नहीं सकता पर कुछ दिनों बाद जब कानपुर से उसकी गिरफ्तारी की खबर आई, तो सभी हैरान रह गए.
16 कंपनियों का जाल, 7 साल तक चलता रहा खेल
जांच में पता चला है कि सोनी की कम से कम 16 कंपनियां रजिस्टर थीं. इनमें से कई अलग-अलग नाम और प्रमोटरों पर दर्ज थीं, ताकि किसी एक कंपनी की जांच होने पर पूरा नेटवर्क प्रभावित न हो. इनमें शामिल हैं: ब्लूचिप कमर्शियल ब्रोकर, ब्लूचिप फ्रीहोल्ड रियल एस्टेट ब्रोकर्स, वॉल स्ट्रीट इन्वेस्टमेंट LLC, ब्लूचिप फाइनेंशियल मार्केट लिमिटेड ब्रांच, ब्लूचिप इन्वेस्टमेंट LLC. इन कंपनियों के जरिए वह विदेशी नागरिकों को बड़े मुनाफे का झांसा देकर निवेश कराने के लिए राजी करता था. जांच में सामने आया है कि उसके साथ काम करने वालों में गुरमीत, हितेश, धरवेश, अभिषेक सिंगल, सुरेंद्र मधुकरराव दुधवाडकर और रितु परिहार जैसे नाम भी शामिल हैं. इनमें से कई की भूमिका पर SIT की नजर है.
भारत से लेकर वियतनाम तक फैला नेटवर्क
कानपुर पुलिस कमिश्नर रघुबीर लाल ने बताया कि अब तक 700 से अधिक लोग इस ठगी का शिकार पाए गए हैं. कई पीड़ित कानपुर आकर FIR दर्ज करा चुके हैं, जबकि कई ने ईमेल के जरिए शिकायत की है. कुछ शिकायतकर्ताओं ने दावा किया कि प्रचार के दौरान सोनी की टीम ने ‘बड़े सेलेब्रिटी’ का नाम लेकर भरोसा दिलाया. कई निवेशक खली और सोनू सूद के नाम का उल्लेख कर रहे हैं. पुलिस इसका एंगल भी जांच में शामिल कर चुकी है, ताकि पता लगाया जा सके कि कहीं उनके फोटो का दुरुपयोग तो नहीं हुआ. करीब 90% पीड़ित भारतीय हैं, जबकि बाकी नेपाल, चीन, जापान, अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों से हैं. जापानी कंपनियों ने ब्लूचिप में भारी निवेश किया था और ऐसे कई जापानी निवेशक अब भी अपनी पूंजी वापस पाने के लिए कानूनी मदद मांग रहे हैं.
पीड़ितों का बढ़ता दबाव, इसलिए भागना पड़ा
सोनी ने SIT को बताया कि जैसे-जैसे विदेशी निवेशकों को रिटर्न नहीं मिला, वैसे-वैसे दबाव बढ़ने लगा. कई विदेशी नागरिक उसके दफ्तर पहुंच गए थे और दुबई में उसके खिलाफ शिकायतें दर्ज होने लगीं. उधर, उसके भारतीय नेटवर्क ने भी पैसे निकालने शुरू कर दिए, जिससे उसकी कंपनियों की नकदी और कम हो गई. इसी कारण उसने दुबई छोड़ने का फैसला लिया और बिना पासपोर्ट मोहर लगे, सीमा पार की.
SIT पूरी कहानी सुलझाने की तैयारी में
मामला बड़ा होने की वजह से पुलिस कमिश्नर ने रविवार को स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन किया था. टीम की अगुवाई एडीसीपी क्राइम अंजली विश्वकर्मा कर रही हैं. टीम में कुल छह अधिकारी शामिल हैं. यह टीम 16 कंपनियों से जुड़े वित्तीय लेन-देन की जांच, बैंक खातों और विदेशी ट्रांजैक्शन की परतें खोलना, क्रिप्टो वॉलेट्स की गतिविधियों की जांच, सोनी और उसकी टीम द्वारा अर्जित प्रॉपर्टीज का पता लगाना, विदेशों में ठगी गए निवेशकों की सूची तैयार करना आदि है. तेजी से कार्रवाई करते हुए SIT ने सोनी के लैपटॉप, मोबाइल और अन्य गैजेट्स का पूरा डेटा खंगालना शुरू कर दिया है.
SIT के सामने गिरता गया सोनी का नकली साम्राज्य
पूछताछ के अंत तक ‘कचौड़ी बेचने’ का दावा करने वाला सोनी खुद अपनी कहानी में उलझ गया था. SIT अधिकारियों के मुताबिक, सोनी बेहद चालाकी से बातें घुमाता है, लेकिन सबूत उसके खिलाफ मजबूत हैं. यह साफ हो चुका है कि मामला केवल भारत का नहीं, बल्कि बहु-देशीय धोखाधड़ी का है. जैसे-जैसे पूछताछ आगे बढ़ेगी, और बड़े नाम सामने आने की उम्मीद है