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संत से सियासत तक, राम मंदिर आंदोलन की धुरी, 12 साल की उम्र में रामविलास वेदांती ने छोड़ दिया था घर

अयोध्या में बाबरी विध्वंस और राम मंदिर आंदोलन के अगुवाई करने वाले डॉ. रामविलास वेदांती का सोमवार को मध्य प्रदेश के रीवा में निधन हो गया है. वेदांती 12 साल की उम्र में अपना घर छोड़कर अयोध्या आ गए थे और संत से सियासत तक का सफर तय किया.

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राम मंदिर आंदोलन के धुरी रहे रामविलास वेदांती का निधन (Photo-PTI)
राम मंदिर आंदोलन के धुरी रहे रामविलास वेदांती का निधन (Photo-PTI)

राम मंदिर आंदोलन का चेहरा रहे पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती का सोमवार सुबह निधन हो गया. 77 साल की उम्र में वेदांती ने अंतिम सांस अपने क्षेत्र मध्य प्रदेश के रीवा में ली. एक कथा महोत्सव के दौरान अचानक उनकी तबीयत बिगड़ी और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका निधन हो गया. 

90 के दशक में राम विलास वेदांती बीजेपी और हिंदुत्व की राजनीति के प्रमुख चेहरा हुआ करते थे. बाबरी विध्वंस का जिन नेताओं पर आरोप लगे थे, उनमें वेदांती का नाम का भी शामिल था. राम विलास वेदांती का पार्थिव शरीर देर शाम तक अयोध्या पहुंचेगा, जहां मंगलवार को अंतिम संस्कार किया जाएगा. 

कौन थे डॉ. राम विलास वेदांती

डॉ. रामविलास वेदांती का जन्म 7 अक्टूबर 1958 को मध्य प्रदेश के रीवा में हुआ था. उन्होंने 12 साल की उम्र में संन्यास ले लिया था. वह अपना घर-परिवार छोड़कर राम नगरी अयोध्या आ गए. अयोध्या में हनुमानगढ़ी के महंत अभिराम दास के शिष्य बन गए. संस्कृत के प्रकांड विद्वान माने जाने वाले वेदांती सरयू किनारे स्थित हिंदू धाम पर रहते थे, उनका खुद का 'वशिष्ठ भवन' एक आश्रम भी है.

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सीएम योगी आदित्यनाथ के गुरु अवैद्यनाथ स्वामी परमहंस के साथ-साथ अस्सी के दशक में डा. रामविलास दास वेदांती राम मंदिर मंदिर आंदोलन से जुड़े गए. लालकृष्ण आडवाणी, मुरलीमनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह और विनय कटियार के साथ रामविलास वेदांती भी राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरा हुआ करते थे. 

देश और प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में रामविलास वेदांती जाकर राम मंदिर आंदोलन की अलख जगाई, जिसके चलते उन्हें एक मजबूत पहचान मिली थी. राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका के चलते उन्हें राम मंदिर जन्मभूमि न्यास का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था. 

संत से सियासत तक का सफर
डा. रामविलास वेदांती ने संत से सियासत तक का सफर तय हुआ है. हनुमानगढ़ी के महंत अभिराम दास के शिष्य के तौर पर संत बने और राम मंदिर आंदोलन से पहचान मिली तो सियासत में भी कदम रख दिया. 1991 में बाबरी विध्वंस के मामले में वेदांती को भी आरोपी बनाया गया था, जिसके बाद उन्हें आक्रमक हिंदुत्व राजनीति को धार देने लगे.

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बीजेपी ने उन्हें जौनपुर-प्रतापगढ़ की विधानसभा सीट को मिलाकर बनी मछली शहर सीट से 1996 में प्रत्याशी बनाया. वेदांती लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने. इसके बाद 1998 में प्रतापगढ़ सीट चुनाव लड़े और फिर एक बार जीतने में सफर रही. इस तरह 1996 और 1998 में दो बार सांसद रहे. 

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बाबरी विध्वंस के मुख्य आरोपी रहे
6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने बाबरी विध्वंस किया तो उसमें राम विलास वेदांती भी मुख्य आरोपी थी.  हालांकि, कोर्ट ने अपने फैसले में सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है. इस फैसले से पहले और कोर्ट में चार महीने पहले दर्ज करवाए बयान में राम विलास वेदांती ने कहा था हमने किसी मस्जिद को नहीं मंदिर के खण्‍डहर को तोड़ा था. 

वहां केवल और केवल मंदिर था, जिसे राजा विक्रमादित्य ने 84 कसौटी के खंभे पर बनवाया था. उस मंदिर पर रामलला विराजमान थे। वह खंडहर हो चुका था, इसलिए हमने खंडहर को तोड़वाकर नया मंदिर बनवाने का संकल्प लिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने पूरा करने का काम किया है. 

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