रायबरेली के सलोन क्षेत्र में फर्जी जन्म प्रमाणपत्र के जरिए संदिग्ध पाकिस्तानी और बांग्लादेशी घुसपैठियों को भारतीय नागरिकता दिलाने की बड़ी साजिश का पर्दाफाश हुआ है. जिस इलाके में यह फर्जीवाड़ा हो रहा था, कार्रवाई शुरू होते ही वहां की झुग्गियां अचानक खाली मिल रही हैं. लोग रातों-रात अपने टेंट और झोपड़ियां छोड़कर गायब हो गए हैं. पुलिस अब इन सभी संदिग्धों की तलाश कर रही है.
जांच में सामने आया है कि रायबरेली में 52,846 से ज्यादा फर्जी जन्म प्रमाणपत्र तैयार किए गए, जिनमें बड़ी संख्या बांग्लादेशी रोहिंग्या और संदिग्ध पाकिस्तानी नागरिकों के नाम शामिल हैं. इन प्रमाणपत्रों को वोटर लिस्ट में भी जोड़ दिया गया था. अब जब प्रशासन ने फर्जी दस्तावेजों पर शिकंजा कसना शुरू किया, तो जिला मुख्यालय और सलोन ब्लॉक में विशेष जांच टीमें तैनात कर दी गईं.

रोजाना सैकड़ों प्रमाणपत्र रद्द किए जा रहे हैं. एक प्रमाणपत्र को निरस्त करने में औसतन आठ मिनट लग रहे हैं और मंगलवार को 558 फर्जी प्रमाणपत्र एक ही दिन में कैंसिल किए गए. सबसे ज्यादा फर्जी सर्टिफिकेट पाल्हीपुर, नुरुद्दीनपुर और पृथ्वीपुर ग्राम पंचायतों में मिले.
सलोन के उस सेंटर पर पहुंचने पर आजतक की टीम ने पाया कि जहां से फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनते थे, वह जगह पूरी तरह खाली हो चुकी है. टेंट और टूटे हुए ढांचे मौजूद हैं, लोग गायब हैं. पुलिस मौके पर पहुंचकर आधार कार्ड और दस्तावेज जांच रही है. कई लोग अपना आधार तक नहीं दिखा पाए. आसपास के लोगों ने बताया कि प्रशासन की कार्रवाई शुरू होते ही सभी संदिग्ध लोग रातों-रात यहां से निकल गए.

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फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाने के आरोप में गिरफ्तार जीशान और रिजवान के पिता रियाज ने कैमरे पर दावा किया कि उसे इस खेल की जानकारी नहीं थी. उसने कहा कि हमें नहीं पता कि इतने कार्ड कैसे बन गए. बाबू ने पासवर्ड दिया था, वही जानता है.
जांच एजेंसियों के अनुसार, ग्राम विकास अधिकारी की आईडी और पासवर्ड का दुरुपयोग कर सरकारी पोर्टल सीआरएस में फर्जी एंट्री की जाती थी. इस रैकेट में ग्राम विकास अधिकारी विजय यादव, जन सेवा केंद्र संचालक जीशान खान, सुहेल और रियाज की भूमिका सामने आई है. यह नेटवर्क कई राज्यों तक फैला हुआ था और सिर्फ 600 रुपये में जन्म प्रमाणपत्र बनवाए जाते थे.

जांच में यह भी सामने आया कि जिन नामों पर जन्म प्रमाणपत्र जारी किए गए, उनके पते जालंधर, लुधियाना, अहमदाबाद, गया और झारखंड तक फैले हुए थे. लेकिन जब उन पतों का वेरीफिकेशन किया गया, तो वहां ऐसे किसी व्यक्ति का अस्तित्व नहीं मिला. इससे साफ होता है कि यह नेटवर्क देशभर में सक्रिय था और विदेशी नागरिकों को भारत में वैध पहचान दिलाई जा रही थी.

साल 2023 में मुंबई में पकड़े गए चार बांग्लादेशियों और जम्मू में गिरफ्तार रोहिंग्या घुसपैठियों के पास भी सलोन से जारी फर्जी जन्म प्रमाणपत्र मिले थे, जिनका इस्तेमाल उन्होंने पासपोर्ट और नागरिकता दस्तावेज बनवाने में किया. एजेंसियों को संदेह है कि यह पूरा नेटवर्क पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए अवैध घुसपैठियों को देश के अंदर पहचान दिलाने का बड़ा रास्ता बना हुआ था.

रायबरेली जिले में कुल 52,846 संदिग्ध जन्म प्रमाणपत्र निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक कई संदिग्ध पाकिस्तानी नागरिक हैं और कुछ बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में घुसे थे. NIA को जांच में पता चला कि ग्राम विकास अधिकारी की आईडी और पासवर्ड का दुरुपयोग कर सीआरएस पोर्टल पर फर्जी एंट्री की गई.

इस रैकेट में ग्राम विकास अधिकारी विजय यादव, जन सेवा केंद्र संचालक जीशान खान, सुहेल और रियाज की अहम भूमिका सामने आई है. नेटवर्क देशभर में सक्रिय था और 600 रुपये में जन्म प्रमाणपत्र तैयार किए जा रहे थे. पकड़े गए घुसपैठियों के तार रायबरेली से जुड़े पाए गए.
अब प्रशासन डबल शिफ्ट में काम करते हुए हर जन्म प्रमाणपत्र की दोबारा जांच कर रहा है. पुलिस लगातार उन स्थानों पर पहुंच रही है जहां कभी झोपड़ियां भरी रहती थीं, लेकिन अब सिर्फ टूटे ढांचे और खाली टेंट मिले रहे हैं. एजेंसियों ने संकेत दिया है कि आने वाले दिनों में इस नेटवर्क से जुड़े और बड़े नाम सामने आ सकते हैं और कार्रवाई का दायरा और बढ़ाया जा सकता है.