लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है. 45 वर्षीय प्रमोद कुमार सिंह को 10 अगस्त को KGMU में भर्ती कराया गया था, लेकिन 11 अगस्त को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. डेथ सर्टिफिकेट जारी होते ही गड़बड़ियां उजागर हो गईं.
सर्टिफिकेट में मृतक की उम्र 144 वर्ष दर्ज की गई, जबकि आधार कार्ड के अनुसार वह 45 वर्ष के थे. इतना ही नहीं, मृतक की पत्नी का नाम भी प्रमाण पत्र से गायब रहा. सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि सर्टिफिकेट में प्रमोद को 11 अगस्त दोपहर 3 बजे भर्ती और उसी दिन दोपहर 2 बजे मृत घोषित किया गया, यानी भर्ती से पहले ही मौत दर्ज कर दी गई.
इस पूरे प्रकरण ने KGMU की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं. हालांकि, KGMU के प्रवक्ता सुधीर सिंह ने कहा है कि मामले की जांच की जा रही है और यह देखा जा रहा है कि आखिर किस स्तर पर ऐसी गड़बड़ी हुई.
KGMU के बारे में?
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित एक प्रमुख चिकित्सा संस्थान है. इसे 1905 में 'King George’s Medical College' के नाम से स्थापित किया गया था और बाद में इसे विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया. KGMU भारत के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेजों में से एक माना जाता है.
यह विश्वविद्यालय उच्च स्तरीय मेडिकल शिक्षा, शोध और इलाज के लिए जाना जाता है. यहां MBBS, BDS, MD, MS, M.Ch और Ph.D. जैसी विभिन्न मेडिकल और पैरामेडिकल डिग्रियों के कोर्स चलाए जाते हैं.
KGMU में अत्याधुनिक लैब, ऑपरेशन थिएटर, आपातकालीन वार्ड और विशेष विभाग मौजूद हैं. यह सरकारी अस्पताल के रूप में भी कार्य करता है और प्रतिवर्ष लाखों मरीजों का इलाज करता है. विश्वविद्यालय में न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी, ऑर्थोपेडिक्स, सर्जरी, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और अन्य विशेषज्ञता वाले विभाग हैं.
साथ ही KGMU चिकित्सा अनुसंधान में अग्रणी है और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न मेडिकल प्रोजेक्ट्स और क्लिनिकल ट्रायल्स में भाग लेता है. इसका योगदान स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और शोध के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है.