उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के सेवानिवृत्त सुपरिटेंडेंट इंजीनियर रमेश चंद्र और उनकी पत्नी नीलम 70 दिनों तक 'डिजिटल अरेस्ट' के खौफनाक जाल में फंसे रहे. साइबर ठगों ने सीबीआई अधिकारी बनकर और बच्चों की जान का डर दिखाकर कानपुर निवासी दंपति से उनकी जीवनभर की कमाई 53 लाख रुपये लूट लिए. अब हालात यह हैं कि दोनों किडनियां खराब होने के कारण तड़प रहे रमेश चंद्र के पास अपने डायलिसिस तक के पैसे नहीं बचे हैं.
घर बना 'जेल', वीडियो कॉल पर 24 घंटे पहरा
दंपती को उनके ही घर के एक कमरे में कैद कर दिया गया था. ठगों ने निर्देश दिया था कि मोबाइल को बेड के सामने कुर्सी पर रखकर वीडियो कॉल चालू रखें. इस दौरान टीवी देखने, किसी से बात करने या दूसरे कमरे में जाने तक की मनाही थी. यहां तक कि रसोई या वॉशरूम जाने के लिए भी ठगों से अनुमति लेनी पड़ती थी. 5 दिनों तक नौकरानी को अंदर नहीं आने दिया गया. ठग धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलते थे और खुद को सीबीआई और सर्विलांस अधिकारी बताते थे.
पाई-पाई को मोहताज हुए बुजुर्ग दंपति
'आजतक' से बातचीत में रमेश चंद्र फूट-फूटकर रो पड़े. उन्होंने बताया कि उनकी दोनों किडनियां खराब हैं और हफ्ते में दो बार डायलिसिस कराना पड़ता है. ठगी के बाद उनके पास केवल 14 हजार रुपये बचे थे, जिनमें से 3 हजार आज डायलिसिस पर खर्च हो गए. अब खाते में सिर्फ 11 हजार रुपये बचे हैं. उनकी पत्नी नीलम ने रोते हुए कहा कि उन्होंने कभी अपना घर नहीं खरीदा ताकि बेटों को पढ़ा सकें, लेकिन ठगों ने पूरी जमा-पूंजी साफ कर दी.
बच्चों की जान का डर दिखाकर लूटी ईमानदारी की कमाई
रमेश चंद्र ने अपने पूरे करियर में कभी रिश्वत नहीं ली थी. ठगों ने उन्हें डराया कि उनके खाते में 538 करोड़ रुपये का अवैध लेनदेन हुआ है. जब दंपती बैंक पैसे निकालने जाते, तो ठग वीडियो कॉल और व्हाट्सएप चैट के जरिए उन पर नजर रखते थे. ठगों ने धमकी दी थी कि यदि किसी को बताया तो अमेरिका में पढ़ रहे बड़े बेटे और नोएडा में पढ़ रहे छोटे बेटे का भविष्य बर्बाद कर दिया जाएगा. इसी डर ने उन्हें 70 दिनों तक खामोश रखा.
सुप्रीम कोर्ट की फर्जी सुनवाई का मायाजाल
ठगों ने रमेश को भरोसा दिलाने के लिए वीडियो कॉल पर बाकायदा सुप्रीम कोर्ट की फर्जी सुनवाई दिखाई, जिससे पूरा माहौल अदालत जैसा ही लगा. ठगों ने संतोष, ए. अनंतराम और उमेश मच्छंदर जैसे फर्जी नाम बताए थे. उन्होंने झांसा दिया कि निर्दोष साबित होने पर सुप्रीम कोर्ट उनके पैसे वापस कर देगा. इसके बाद 3 अक्टूबर को 21 लाख और 20 नवंबर को 23 लाख रुपये समेत कुल 53 लाख रुपये अलग-अलग किस्तों में ट्रांसफर करा लिए गए.