पेट में भूख के मारे चूहे कूदने और चूहों के कबड्डी खेलने की कहावतें तो आम हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि असल में पेट में चूहे नहीं बल्कि बैक्टीरिया कबड्डी करते हैं.
आपके मन में मोटापा कम करने की इच्छा है, लेकिन आप खुद को चर्बी और वसायुक्त भोजन खाने से रोक नहीं पाते? वास्तव में यह आपकी जुबान की नहीं बल्कि आपके पेट में पाए जाने वाले बैक्टीरिया के कारण होता है. एक ताजा अध्ययन में सामने आया है कि हमारे पेट में पाए जाने वाले बैक्टीरिया हमारे दिमाग को नियंत्रित करते हैं और कुछ विशेष खाद्य पदार्थों के प्रति हमारी रुचि जगाते हैं.
विज्ञान पत्रिका ‘बायोएसेज’ के ताजा अंक में प्रकाशित एक अध्ययन में अनुसंधानकर्ताओं ने कहा है कि इंसान के पेट में पाए जाने वाले ‘माइक्रोब्स’ मनुष्यों की खाने से संबंधित रुचियों को प्रभावित करते हैं. वास्तव में ये माइक्रोब्स मनुष्यों को ऐसी चीजें खाने के लिए प्रेरित करते हैं जिनसे उन्हें पनपने में ज्यादा मदद मिले.
अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय के कार्लो मैले ने अपने शोधपत्र में कहा है, ‘हमारी आंतों में पाए जाने वाले बैक्टीरिया हमारी खाने की आदतों को प्रभावित करते हैं.’ अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, मानव की आंत में पाए जाने वाले माइक्रोबियोम में मानव की भोजन संबंधी रुचियों से जुड़े जीवाणु मौजूद रहते हैं जो कुछ विशेष पदार्थों का स्राव कर भोजन को लेकर हमारे निर्णय को प्रभावित करने वाले संकेत प्रेषित करते हैं.
चूंकि हमारी आंत हमारे प्रतिरोधक तंत्र, अंतस्रावी तंत्र और नर्व सिस्टम से भी जुड़ी होती है, इसलिए आंत में इन जीवाणुओं द्वारा छोड़े गए संकेत हमारी शारीरिक और व्यावहारिक प्रतिक्रियाओं को भी प्रभावित करते हैं. अनुसंधानकर्ताओं ने हालांकि यह भी कहा है कि इन जीवाणुओं द्वारा सरलता से पचाए जा सकने वाले पदार्थों को न खाकर इन जीवाणुओं की अनुकूलता को प्रभावित किया जा सकता है. ऐसा करके हम 24 घंटे में माइक्रोबियोम में बदलाव कर सकते हैं.