वेनेजुएला के पास कभी दुनिया का सबसे बड़ा तेल भंडार था और यह लैटिन अमेरिका के सबसे समृद्ध देशों में शुमार था लेकिन पिछले कुछ सालों में महंगाई की मार से देश की अर्थव्यवस्था बेहाल हो चुकी है. चीजों के दाम इतने ज्यादा बढ़ चुके हैं कि लोग एक पैकेट ब्रेड के लिए भी बोरियों में भरकर पैसे ले जा रहे हैं. इसी मुश्किल को देखते हुए वेनेजुएला के केंद्रीय बैंक बहुत बड़े मूल्य के बैंक नोट जारी करने जा रहा है.
वेनेजुएला के केंद्रीय बैंक ने बुधवार को ऐलान किया कि वह ज्यादा राशि के नए बैंकनोट जारी करेगी. केंद्रीय बैंक के मुताबिक, मंगलवार से 10,000, 20,000 और 50,000 बोलिवर (वेनेजुएला की मुद्रा) के नए नोट जारी करेगी ताकि सुविधाजनक भुगतान और व्यावसायिक लेन-देन किया जा सके. हालांकि, सबसे बड़े बैंक नोट से भी यहां आप मुश्किल से केवल 1 किलो सेब खरीद पाएंगे.
वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मदुरो ने पिछले वर्ष एक लाख की मुद्रा से पांच
जीरो हटा दिए थे और इसकी कीमत 1 बोलिवर कर दी थी. यह कदम कैश की किल्लत को दूर करने के लिए उठाया गया था
ताकि डेबिट और क्रेडिट पर निर्भरता कम की जा सके.
2018 में मुद्रास्फीति की मार के बाद सबसे ज्यादा मूल्य के नोट 500 बोलिवर्स के थे लेकिन अब इसकी इतनी भी कीमत नहीं रह गई है कि इससे एक कैंडी खरीदी जा सके. वर्तमान में सबसे बड़े बैंक नोट की कीमत सिर्फ 8 अमेरिकी डॉलर ही है.
कागजी मुद्रा के अवमूल्यन की वजह से पेंशनरों को एटीएम की लंबी-लंबी कतारों में लगना पड़ रहा है. बैंक जितना कैश निकालने की अनुमति दे रहे हैं, उसकी कीमत सिर्फ एक डॉलर के बराबर ही है. बैंक में घंटों कतारों में लगने के बाद लोग एक डॉलर की कीमत के बराबर दर्जनों बोलिवर नोट हाथ में लेकर निकलते हैं.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का अनुमान
है कि वेनेजुएला में 2018 के अंत तक महंगाई 10 लाख प्रतिशत की दर तक बढ़
जाएगी. यह अनुमान सच भी साबित हुआ. विपक्षी दल कांग्रेस के मुताबिक, इस साल महंगाई दर के 17 लाख फीसदी के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद मई में इसमें गिरावट आई लेकिन अब भी यह 8 लाख फीसदी है.
6 अंकों की मुद्रास्फीति की वजह से वेनेजुएला की मुद्रा का अब कोई मोल नहीं रह गया है. उपभोक्ता या तो प्लास्टिक या इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर करने को मजबूर हैं या फिर डॉलर का रुख कर रहे हैं. लेकिन बसों समेत कई सुविधाओं के लिए बोलिवर्स में ही भुगतान जरूरी है.
वेनेजुएला में महंगाई का आलम यह है कि एक किलो मीट के लिए लाखों
बोलिवर चुकाने पड़ रहे हैं. गरीबी और भुखमरी से बचने के लिए करीब 30 लाख लोग वेनेजुएला छोड़कर ब्राजील, चिली, कोलंबिया, एक्वाडोर और पेरू जैसे देशों में जाकर बस गए हैं.
33 वर्षीय रिनाल्डो रिवेरा भी वेनेजुएला छोड़कर चले गए हैं. वह कहते हैं, अपनी पत्नी और 18 महीने के बेटे को लेकर देश छोड़ना ही खुद को जिंदा रखने का एक मात्र विकल्प बचा था. वेनेजुएला में आप पूरे महीने काम करके सिर्फ दो दिन खा सकते हैं. यह जीने और मरने का सवाल था, या तो हम देश छोड़ते या फिर भूख से मर जाते.'
यहां अंधेरा होते ही दुकानों में लूटपाट शुरू हो जाती है. शाम होने के साथ ही इस देश में जिंदगी अपनी वीभत्स रंग दिखाने लगती है.
काराकस के तेराजस डेल क्लब के निवासी माजोरी गुस्से में कहती हैं, 'मेरा दो
साल का बच्चा है. मेरे घर के पास की एक दुकान को लूटा गया और एक पड़ोसी ने मुझे उबले हुए
चावल खाने को दिए. माजोरी ने कहा, मैंने इसमें पानी डाला, थोड़ी सी चीनी
डाली और अपने बेटे को खिलाया. हम वयस्क हैं और पानी
पीकर काम चला सकते हैं लेकिन बच्चे क्या करें?
काराकस के चाकाओ के निवासी 40 वर्षीय जुले गोजालेज कहते हैं, "हम अब ऐसी
स्थिति में पहुंचने वाले हैं जहां हम एक-दूसरे को खा रहे होंगे."
2014 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत घटने के बाद वेनेजुएला समेत कई देश प्रभावित हैं.
वेनेजुएला
के कुल निर्यात में 96% हिस्सेदारी अकेले तेल की है. चार साल पहले
तेल की कीमत पिछले 30 साल के सबसे निचले स्तर पर आ गई थी. वित्तीय संकट की
वजह से सरकार लगातार नोट छापती रही जिससे हाइपर मुद्रास्फीति की स्थिति
पैदा हो गई और वहां की मुद्रा बोलिवर की कीमत लगातार घटती रही.
मदुरो अपने देश की आर्थिक खस्ताहाली के लिए ओपेक (तेल उत्पादक देशों का समूह) देशों के प्रतिबंधों को जिम्मेदार ठहराते हैं. यूएस ने वेनेजुएला की सत्ता से मदुरो को बाहर निकालने के लिए आर्थिक प्रतिबंधों के जरिए दबाव बनाने की कोशिश की. हालांकि, मदुरो के आलोचकों का कहना है कि देश की हालत दो दशकों तक मदुरो के शासनकाल में फैली अव्यवस्था और भ्रष्टाचार की वजह से खराब हुई है.