भारत की शान और दुनिया के सात आश्चर्य में से एक आगरा के ताजमहल की खूबसूरती निखारी जा रही है. पिछले कुछ साल से इसकी सफेदी डीजल और जले हुए कचरे के धुएं के कारण कम हो रही थी.
इसकी मीनारों और गुंबद पर प्रदूषण के कारण पीले रंग की परतें जम गईं थीं. इससे ताजमहल अपनी सफेदी खोने लगा था.
इसीलिए पहली बार ताजमहल को 'मड-पैक थैरेपी' के जरिए पॉलिश किया जा रहा है. ताजमहल के 369 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है जब मुल्तानी मिट्टी से ताज की चमक लौटेगी.
बता दें कि 1648 ईवी में शाहजहां ने ताजमहल को बनवाया था. 17 एकड़ में फैली इस इमारत के आसपास समय के साथ शहर तो बसा ही साथ ही इंडस्ट्रियल जोन भी खड़ा हो गया.
आईआईटी कानपुर और अमेरिकी यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने यह पाया कि इंडस्ट्रियल जोन की फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं का असर ताजमहल पर इस कदर पड़ा कि इसका रंग पीला पड़ने लगा था.
इस रिपोर्ट से सरकार हरकत में आई और ताजमहल की सफेदी वापस लाने का काम 2015 में शुरू हुआ. अब तक यह काम करीब 75% पूरा हो चुका है. उम्मीद की जा रही है कि नवंबर 2018 तक यह पूरा हो जाएगा.
बता दें कि जिस थैरेपी से ताजमहल का पीलापन हटाया जा रहा है, उसमें मुल्तानी मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है. मिट्टी की पतली परत इमारत पर लगाकर उसे प्लास्टिक शीट से ढंका जाएगा.
ये परत ताजमहल के संगमरमर पर जमा ग्रीस और कार्बन सोख लेगी. बाद में पूरे ताजमहल को डिस्टल पानी से धोया जाएगा.