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प्रयागराज में मिली महाभारत काल की सुरंग, क्या पांडव यहीं से निकले थे?

प्रयागराज में मिली महाभारत काल की सुरंग, क्या पांडव यहीं से निकले थे?
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महाभारत काल की कथा में आज भी हर भारतवासी की बेहद दिलचस्पी है और लोग उसके बारे में जानने को हमेशा उत्सुक रहते हैं. इसी वजह से तीर्थ नगरी प्रयागराज में महाभारत काल का लाक्षागृह जंगल फिर से सुर्ख़ियों में आ गया है.
प्रयागराज में मिली महाभारत काल की सुरंग, क्या पांडव यहीं से निकले थे?
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कुछ दिन पहले वहां खुदाई में एक खंडहर में पत्थरों की सुरंग देखी गई जो लोगों के लिए कौतूहल का केंद्र बन गया है. यह सुरंग करीब चार फिट चौड़ी है, लेकिन अभी सुरंग का थोड़ा हिस्सा ही दिखाई दे रहा है, क्योंकि बाकी हिस्सा मिट्टी के टीले में दबा हुआ है.
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सुरंग को लेकर लोग दावा कर रहे हैं कि यह वही सुरंग है, जिसके जरिए द्वापर युग में पांडवों ने लाख के महल से चुपचाप बाहर निकलकर अपनी जान बचाई थी. सुरंग मिलने के बाद प्रयागराज के इस खंडहर को फिर से महाभारत काल का लाक्षागृह घोषित किये जाने की मांग उठने लगी है. इस सुरंग और खंडहर को ही महाभारत काल का लाक्षागृह घोषित कर इसे पर्यटन केंद्र के तौर पर विकसित किये जाने के लिए लोगों ने आवाज उठाई है.
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बता दें कि महाभारत काल में दुर्योधन ने पांडवों को जिंदा जलाने के लिए गंगा नदी के तट पर लाख का महल तैयार कराया था. महाभारत की कथा के मुताबिक विदुर ने पांडवों को दुर्योधन की इस साजिश की जानकारी दे दी थी. यह जानकारी पाकर पांडव एक सुरंग बनाकर चुपचाप बाहर निकल आए थे और अपनी जान बचा ली थी.
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महाभारत में इस घटना का विस्तार से वर्णन तो है, लेकिन लाक्षागृह किस जगह था, इसका साफ़ जिक्र नहीं है. देश में चार-पांच ऐसी जगह है, जिसके महाभारत काल का लाक्षागृह होने का दावा किया जाता है. प्रयागराज शहर में संगम से तकरीबन पचास किलोमीटर दूर हंडिया इलाके में गंगा नदी के तट पर भी एक ऐसा खंडहर है, जिसे महाभारत काल का लाक्षागृह कहा जाता है.
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