तुलसी गौड़ा, पर्यावरणविद्
तुलसी गौड़ा (Tulsi Gowda) कर्नाटक राज्य के होनाली गाँव (Honnali village Karnataka) की एक भारतीय पर्यावरणविद् हैं (Environmentalist). वृक्ष संरक्षण में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें 2020 के पद्मश्री से सम्मानित किया. पद्मश्री भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है (Tulsi Gowda Padma Shri 2020). इससे पहले भी तुलसी गौड़ा को पर्यावरण संरक्षण के लिए 'इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्ष मित्र अवॉर्ड, 'राज्योत्सव अवॉर्ड' और 'कविता मेमोरियल' जैसे कई अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है (Tulsi Gowda Awards).
तुसली अब तक 30,000 से अधिक पौधे लगा चुकी हैं साथ ही, वन विभाग की नर्सरी की देखभाल भी करती हैं (Forest Department). औपचारिक शिक्षा न होने के बावजूद उन्होंने पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में अपना योगदान दिया है. भारत सरकार और विभिन्न संगठनों ने उनके काम को सम्मानित किया गया है (Tulsi Gowda Works).
तुलसी गौड़ा का जन्म 1944 में कर्नाटक के एक गांव होनाली स्थित हक्काली जनजाति में हुआ (Date of Birth). उनकी शादी 11 साल की छोटी उम्र में हो गई थी. बचपन से तुलसी पेड़-पौधों का ख्याल रखा करती थीं. तुलसी के पिता बचपन में ही गुजर गए थे जिसके बाद उन्होंने दिहाड़ी मज़दूर के रूप में काम शुरू कर दिया. वो अपनी मां के साथ एक स्थानीय नर्सरी में काम करती थीं. काम की वजह से उनकी औपचारिक शिक्षा पूरी नहीं हो पाई, लेकिन नर्सरी में पेड़-पौधों के बीच रहकर उन्हें समझने का काफी मौका मिला (Tulsi Gowda Life).
वनस्पति संरक्षण में उनकी दिलचस्पी बढ़ती गई और वे राज्य की वनीकरण योजना में कार्यकर्ता के तौर पर शामिल हो गईं. साल 2006 में उन्हें वन विभाग में वृक्षारोपक की नौकरी मिली और चौदह साल के कार्यकाल के बाद वे सेवानिवृत्त हो गईं. इस दौरान उन्होंने अनगिनत पेड़ लगाए हैं और जैविक विविधता संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. अपनी पूरी जिंदगी पेड़ों को समर्पित करने वाली तुलसी को पेड़-पौधों की गजब की जानकारी है. जिसकी वजह से उन्हें जंगल का इनसाइक्लोपीडिया भी कहा जाता है (Tulsi Gowda Encyclopedia of Forest).
पीएम मोदी ने उत्तर कन्नड़ जिले के अंकोला में कर्नाटक के पद्म पुरस्कार से सम्मानित तुलसी गौड़ा और सुकरी बोम्मगौड़ा से मुलाकात की.