सियालकोट (Sialkot), पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित एक ऐतिहासिक और औद्योगिक शहर है. यह शहर भारत-पाकिस्तान सीमा के निकट स्थित है और अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, औद्योगिक प्रगति और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है. सियालकोट न केवल प्राचीन काल में एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र रहा है, बल्कि आज यह पाकिस्तान का प्रमुख औद्योगिक शहरों में से एक है.
सियालकोट का इतिहास अत्यंत प्राचीन है. ऐसा माना जाता है कि यह शहर महाभारत काल में भी अस्तित्व में था और इसे "सगत" या "सगला" नाम से जाना जाता था. यह अलेक्जेंडर के आक्रमण के समय एक प्रमुख शहर था और ग्रीक इतिहास में इसका उल्लेख मिलता है. बाद में यह बौद्ध संस्कृति का भी एक केंद्र रहा. मुगल काल में यह एक समृद्ध शहर बन गया और औद्योगिक दृष्टि से विकसित हुआ.
सियालकोट रावी नदी के निकट स्थित है और लाहौर से लगभग 130 किलोमीटर दूर है. यह शहर अपने रणनीतिक स्थान के कारण ऐतिहासिक रूप से भी महत्वपूर्ण रहा है.
सियालकोट को पाकिस्तान की "स्पोर्ट्स इंडस्ट्री की राजधानी" कहा जाता है. यहां फुटबॉल, क्रिकेट गियर, हॉकी स्टिक, दस्ताने और अन्य खेल सामग्री का विश्व-स्तरीय निर्माण होता है. यहां बनाए गए फुटबॉल FIFA World Cup में भी उपयोग किए जा चुके हैं. इसके अलावा सर्जिकल उपकरण, चमड़े के उत्पाद और परिधान उद्योग भी यहां की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा हैं.
सियालकोट शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में भी अग्रणी रहा है. महान शायर अल्लामा इकबाल का जन्म यहीं हुआ था. उनका घर अब एक संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है जो पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है.
सियालकोट की संस्कृति में पंजाबी परंपराएं गहराई से रची-बसी हैं. यहां के लोग मेहमाननवाज और मेहनती होते हैं. सियालकोट किला, इकबाल मंजिल,Clock Tower, और हजरत इमाम अली-उल-हक का मकबरा इस शहर के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं.
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