बॉलीवुड इंडस्ट्री में जहां कैमरे के सामने चमकते सितारों को सराहा जाता है, वहीं पर्दे के पीछे काम करने वाले निर्माता-निर्देशक भी किसी सितारे से कम नहीं होते. ऐसे ही एक महत्वपूर्ण नाम हैं सलीम अख्तर (Salim Akhtar), जिनका योगदान हिंदी सिनेमा में सराहनीय रहा है. 8 अप्रैल 2025 की शाम सलीम अख्तर का निधन हो गया.
सलीम अख्तर ने फिल्म निर्माण की दुनिया में एक ऐसे समय में कदम रखा जब बॉलीवुड नई दिशा की तलाश में था. उन्होंने न केवल मनोरंजन पर जोर दिया, बल्कि कई ऐसी फिल्में भी बनाईं जो सामाजिक मुद्दों को दर्शकों के सामने लाने का साहस करती थीं.
सलीम अख्तर को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में नए टैलेंट को पहचानने और लॉन्च करने के लिए जाना जाता है. सबसे प्रसिद्ध उदाहरण हैं बॉलीवुड अभिनेता गोविंदा, जिन्हें उन्होंने अपनी फिल्म 'इल्ज़ाम' (1986) के जरिए लॉन्च किया था. यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट रही और गोविंदा को रातोंरात स्टार बना दिया.
उन्होंने रानी मुखर्जी और तमन्ना भाटिया को भी ब्रेक दिया था.
उनके मुख्य फिल्मों में 'चोरों की बरात', 'कयामत', 'लोहा', 'बंटवारा', 'फूल और अंगारे', 'बाजी', 'इज्जत' और 'बादल' शामिल है.
सलीम अख्तर ने अपने करियर में कई फिल्मों का निर्माण किया, जिनमें मनोरंजन, रोमांस और सामाजिक संदेश का अद्भुत मिश्रण देखने को मिला. उनकी फिल्मों में आम दर्शक के जीवन की झलक मिलती थी, जिससे वे सीधे तौर पर जुड़ाव महसूस करते थे.