नो फ्लाई जोन
नो-फ्लाई जोन (No Fly Zone), जिसे नो-फ्लाइट जोन (No-Flight Zone NFZ), या एयर एक्सक्लूजन जोन (Air Exclusion Zone AEZ) के रूप में भी जाना जाता है, एक सैन्य शक्ति द्वारा स्थापित एक क्षेत्र है, जिस पर कुछ विमानों को उड़ान भरने की अनुमति नहीं होती है. इस तरह के क्षेत्र आमतौर पर एक संघर्ष के दौरान एक दुश्मन शक्ति के क्षेत्र में स्थापित किए जाते हैं. एयर स्पेस को डिमिलिट्राइज करने के इरादे से आमतौर पर इस क्षेत्र में सैन्य विमानों के संचालन को प्रतिबंधित कर दिया जाता है (Aerial Demilitarized Zone). नो-फ्लाई जोन लागू करने वाले राज्य एनएफजेड की शर्तों के आधार पर, संभावित उल्लंघनों को रोकने के लिए सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार रहते हैं. कुछ मौकों पर नागरिक उड़ानों के लिए भी नो-फ्लाई जोन बनाए जाते हैं, उदाहरण के लिए संवेदनशील स्थानों, या ओलंपिक खेलों जैसे कार्यक्रमों को आतंकवादी हवाई हमले से बचाने के लिए सिविल एयरक्राफ्ट को भी रोका जाता है.
नो-फ्लाई जोन 1990 के दशक में स्थापित एक घटना है. 1991 में खाड़ी युद्ध के अंत तक नो-फ्लाई जोन ने अपना आधुनिक रूप ग्रहण नहीं किया था. 1991 के खाड़ी युद्ध से पहले, हवाई लक्ष्यों पर सूक्ष्म हमले करना संभव नहीं था. बाद में, एयरोस्पेस क्षमताओं में तकनीकी प्रगति ने नो-फ्लाई जोन को राजनीतिक और सैन्य दोनों संदर्भों में व्यवहारिक बना दिया (No-Fly Zones a Modern Phenomenon Established in 1990s).
1991 के खाड़ी युद्ध के बाद, संयुक्त राज्य अमेरिका ने अन्य गठबंधन देशों के साथ इराक में दो नो-फ्लाई जोन स्थापित किए थे. इसका लक्ष्य सद्दाम हुसैन के इराकी शासन द्वारा कुर्द और शिया आबादी के खिलाफ हमलों को रोकना था (No-Fly Zone in Iraq in 1991-2003).
1992 में, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने बोस्नियाई हवाई क्षेत्र में अनधिकृत सैन्य उड़ानों को प्रतिबंधित किया था. सुरक्षा परिषद ने ऑपरेशन स्काई मॉनिटर का नेतृत्व किया, जहां नाटो ने नो-फ्लाई जोन के उल्लंघन की निगरानी की, लेकिन इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की. 1993 में, नाटो ने ऑपरेशन डेनी फ्लाइट के दौरान और ऑपरेशन डेलिब्रेट फोर्स के दौरान कुछ हवाई हमले किए (No-Fly Zone in Bosnia and Harzegovina in 1993-1995).
लीबिया में 2011 के सैन्य हस्तक्षेप के दौरान, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 17 मार्च 2011 को नो-फ्लाई जोन को मंजूरी दी थी. इस प्रस्ताव में, नागरिक लक्ष्यों पर हमलों को रोकने के लिए कई प्रावधान शामिल थे. नाटो ने गृहयुद्ध के दौरान, लीबियाई सरकारी पोजीशंस पर बमबारी किया. सुरक्षा परिषद ने सर्वसम्मति से मतदान के बाद 27 अक्टूबर को नाटो ने नो-फ्लाई जोन को समाप्त कर दिया था (No-Fly Zone in Libya in 2011).
2018 में इस क्षेत्र में लिबियन नेशनल (LNA) के आक्रमण के दौरान, देश के दक्षिण में LNA ने नो-फ्लाई जोन घोषित किया था. बाद में, इसे 2019 में 10 दिनों के लिए फिर से लागू किया गया क्योंकि LNA ने इस क्षेत्र में तेल क्षेत्रों पर नियंत्रण स्थापित कर लिया था. 2019 में पश्चिमी लीबिया पर आक्रमण के दौरान, LNA ने देश के पश्चिम में एक और नो-फ्लाई जोन घोषित किया था (No-Fly Zone in Libya in 2018 and 2019).