एक लकड़हारा रोज जंगल जाकर लकड़ियां काटता और गांव लेकर जाकर उन्हें बेच देता. लकड़ियां काटना और बेटना ही उसका काम था, इसी से उसका परिवार चलता था. जब वो लकड़ियां काटकर चलता तो रास्ते में राजा का महल पड़ता राजा महल की छत पर खड़ा होकर देखता कि सिर पर लकड़ियों का गट्ठर उठाए एक लकड़हारा चला जा रहा है. लकड़हारे को रोज देखकर राजा को उसपर दया आने लगी थी कि बेचारा सारा दिन कितनी मेहनत से लकड़ियां काटता है और बेचता है. वहीं लकड़हारा राजा को देखकर सोचता कि राजा कितना अच्छा है.. जानें- ये पूरी कहानी संजय सिन्हा के साथ.