हम सोचते हैं कि हम एक दिन जी लेंगे, पर वो एक दिन कभी नहीं आता. जिंदगी बहुत छोटी होती है, उसे यूं ही न जाने दीजिए. जिंदगी मुट्ठी में रेत की तरह होती है, वो कब मुट्ठी से निकल जाएगी पता भी नहीं चलेगा. सुनें संजय सिन्हा की कहानी.
sanjay sinha ki kahani on 3rd november 2015