अक्सर ऐसा होता है हम ऊंचे ओहदे पर पहुंचने के बाद अपने से नीचे वालों को महत्व नहीं देते. लेकिन असल में कोई काम छोटा-बड़ा नहीं होता. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसी काम के लिए हमें कितने पैसे दिए जा रहे हैं. बल्कि फर्क इससे पड़ता है काम करने का तरीका क्या है.