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सिम निकालते ही बंद हो जाएंगे WhatsApp और दूसरे मैसेजिंग ऐप्स! क्या है सिम बाइंडिंग?

SIM-Binding को लेकर हाल में ही डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन ने एक आदेश जारी किया है. इस आदेश के तहत पॉपुलर मैसेजिंग ऐप्स को इस बात का ध्यान रखना होगा कि उनके ऐप्स उसी डिवाइस में काम करें, जिसमें रजिस्टर्ड सिम कार्ड एक्टिव हो. इस नियम को लेकर लोकल सर्किल ने सर्वे किया है, जिसमें लोगों ने अपनी राय रखी है.

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सिम बाइंडिंग को लेकर लोगों को चिंता है कि उनकी विदेश यात्रा के दौरान ऐप्स कैसे काम करेंगे. (Photo: Unsplash)
सिम बाइंडिंग को लेकर लोगों को चिंता है कि उनकी विदेश यात्रा के दौरान ऐप्स कैसे काम करेंगे. (Photo: Unsplash)

मोबाइल फ्रॉड्स और साइबर ठगी को रोकने के लिए भारत सरकार एक बड़ी तैयारी में है. दूरसंचार विभाग ज्यादातर OTT ऐप्स के लिए SIM-Binding नियम का ऐलान किया है. ऐप्स को 90 दिनों का वक्त इस नियम को लागू करने के लिए दिया गया है. इसका सीधा असर वॉट्सऐप, टेलीग्राम, सिग्नल और स्नैपचैट जैसे ऐप्स पर पड़ेगा. 

SIM-Binding का मतलब है कि कोई भी मैसेजिंग या कम्युनिकेशन ऐप उसी SIM कार्ड के साथ काम करेगा, जिस नंबर से वह रजिस्टर किया गया है. अगर आपने फोन से SIM निकाली या बदल दी, तो आपका WhatsApp अकाउंट उस फोन में काम नहीं करेगा. 

इस तरह की सुविधा बैंकिंग सिस्टम और UPI ऐप्स में पहले से मिलती. आप रजिस्टर्ड सिम कार्ड के साथ ही इस ऐप्स को इस्तेमाल कर पाते हैं. अब सरकार इस नियम को मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स के लिए भी लागू करना चाहती है. 

क्यों परेशान हैं लोग सिम बाइंडिंग को लेकर?

हालांकि, इसकी वजह से यूजर्स को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. अगर फोन में SIM नहीं है, तो WhatsApp, Telegram जैसे ऐप्स एक निश्चित वक्त के बाद ऑटो लॉगआउट हो जाएंगे. SIM चेंज करने पर वेरिफिकेशन दोबारा करना होगा. WhatsApp Web और अन्य वेब वर्जन पर बार-बार लॉगिन करना पड़ सकता है, जिसे लेकर ज्यादातर लोग परेशान हैं.

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मल्टी डिवाइस यूज करने वाले यूजर्स को परेशानी होगी. इसका सीधा असर वॉट्सऐप पर पड़ सकता है, जिसके कंपैनियन मोड में 4 डिवाइस पर एक ही अकाउंट को यूज करने की सुविधा मिलती है. इस बदलाव को लागू करने के लिए कंपनियों को 90 दिनों का वक्त दिया गया है. 

1 लाख से ज्यादा लोगों ने लिया सर्वे में हिस्सा

सिम-बाइंडिंग को लेकर Local Circles ने एक सर्वे किया है. इस सर्वे में 1 लाख से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया है. इसमें 10 में से 5 लोग इस नियम से पूरी तरह से सहमत नहीं है. वहीं 39 परसेंट लोगों ने बताया है कि वे बिना SIM या अलग डिवाइस पर ऐसे ऐप्स को यूज करते हैं. 

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10 में से 7 यूजर्स ऐसे हैं, जो विदेश यात्रा करते हैं, जिन्हें सिम बाइंडिंग को लेकर चिंता है. उनका मानना है कि विदेशों में वे अपने वॉट्सऐप अकाउंट को यूज नहीं कर पाएंगे. ऐसे में उनके फोन में भारतीय सिम कार्ड में रोमिंग एक्टिव रखना जरूरी होगा. हालांकि, 66% लोगों ने माना कि इससे सुरक्षा बढ़ेगी. इससे साफ है कि लोग बेहतर सेफ्टी चाहते हैं, लेकिन उन्हें सुविधा छोड़ने में दिक्कत होगी.

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कुछ मिलाकर सिम-बाइंडिंग से साइबर फ्रॉड में कमी आएगी, अकाउंट्स ज्यादा सेफ होंगे और फर्जी अकाउंट्स पर रोक लगेगी. हालांकि, मल्टी डिवाइस जैसी सुविधा लोगों को छोड़नी होगी. विदेश यात्रा के दौरान दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है और यूजर का ओवरऑल एक्सपीरियंस प्रभावित होगा.

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