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फर्जी SIM, मनी लॉन्ड्रिंग और NSA का डर... बुजुर्ग बिजनेसमैन से 23 दिनों में 1.25 करोड़ की ठगी

ठाणे में साइबर ठगों ने कानून का ऐसा डर दिखाया कि एक 64 साल के बिज़नेसमैन ने 23 दिनों में 1.25 करोड़ रुपए ट्रांसफर कर दिए. ठगों ने खुद को डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड ऑफ इंडिया और नासिक पुलिस का अफसर बताकर कॉल किया और फर्जी SIM, मनी लॉन्ड्रिंग और NSA के नाम पर मानसिक दबाव बनाया.

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ठाणे में 64 साल के शख्स को साइबर अपराधियों ने किया डिजिटल अरेस्ट. (Photo: Representational)
ठाणे में 64 साल के शख्स को साइबर अपराधियों ने किया डिजिटल अरेस्ट. (Photo: Representational)

महाराष्ट्र के ठाणे में साइबर ठगों ने डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड ऑफ इंडिया और नासिक पुलिस का अधिकारी बनकर एक 64 साल के सीनियर सिटिजन से 1.25 करोड़ रुपए ठग लिए. यह पूरा मामला ठाणे के नौपाड़ा इलाके से जुड़ा है. इस मामले में शुक्रवार को भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(4) और धारा 319(2) के साथ ही इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के संबंधित प्रावधानों के तहत केस दर्ज किया गया है.

एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, शिकायतकर्ता को 11 नवंबर से 3 दिसंबर के बीच लगातार कॉल आए, जिनके जरिए उसे मानसिक दबाव में रखकर पैसे ऐंठे गए. सबसे पहले एक व्यक्ति का कॉल आया, जिसने खुद को मुंबई के खार इलाके में रहने वाला डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड ऑफ इंडिया का अधिकारी राजेश कुमार चौधरी बताया. उसने पीड़ित को बताया कि उसके नाम पर नासिक में एक SIM कार्ड जारी किया गया है.

उसके जरिए लोगों को धमकाया जा रहा है. उसे यह भी बताया गया कि इस मामले में नासिक के पंचवटी पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया है. इसके बाद साइबर अपराधियों ने नासिक पुलिस अधिकारी बनकर पीड़ित को दोबारा कॉल किए. उसे बताया गया कि उसके आधार कार्ड का इस्तेमाल करके नासिक में एक बैंक अकाउंट खोला गया है, जिसका इस्तेमाल बड़े पैमाने में मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जा रहा है. 

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ठगों ने यह दावा भी किया कि इस मामले में नेशनल सिक्योरिटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है. इन आरोपों और गिरफ्तारी के डर से घबराए पीड़ित को साइबर ठगों ने कई अलग-अलग बैंक खातों में कुल 1,25,50,280 रुपए ट्रांसफर करने के लिए मजबूर कर दिया. पुलिस ने बताया कि डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड ऑफ इंडिया एक ट्रिब्यूनल है. इस ट्रिब्यूनल का गठन इस साल नवंबर में किया गया था.

इसे डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023 के तहत प्राइवेसी कानूनों को लागू करने, डेटा ब्रीच की शिकायतों और पर्सनल डेटा के गलत इस्तेमाल से जुड़े मामलों के लिए बनाया गया है. इसी नई व्यवस्था के नाम का इस्तेमाल कर ठगों ने भरोसा जीतने की कोशिश की है. पुलिस डिजिटल फुटप्रिंट्स, बैंक ट्रांजैक्शन और कॉल रिकॉर्ड के ज़रिए आरोपियों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है. 

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