सचिन तेंदुलकर का बल्ला खामोश है और उनके बल्ले की ये खामोशी ना सिर्फ उनके चाहनेवालों के लिए बल्कि सचिन के लिए भी जी का जंजाल बनी हुई है. इस मुश्किल घड़ी में बचपन में दी गई पिता की सीख ही सचिन को मजबूती दे रही है.