झारखंड का पहला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर, जिसे 23 साल की उम्र में टीम इंडिया में बुलावे की खबर मिली. इस विकेटकीपर बल्लेबाज ने मौका नहीं गंवाया और मैदान पर धूम मचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. अपने 5वें वनडे में 148 रन और फिर 5वें टेस्ट में भी 148 रन ठोक दिए.
चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ इन दो शुरुआती धुआंधार शतकों से इस करामाती क्रिकेटर ने इतनी सुर्खियों बटोरीं कि वह आगे चलकर टीम इंडिया का 'भविष्य' बन गया. जी हां! बात हो रही है आईसीसी की तीनों विश्व प्रतियोगिताएं जीतने वाले इकलौते कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की, जिनका आज (7 जुलाई) जन्मदिन है. वह 39 साल के हो गए.
One man, countless moments of joy! 🇮🇳🙌
Let’s celebrate @msdhoni's birthday by revisiting some of his monstrous sixes! 📽️💪#HappyBirthdayDhoni
— BCCI (@BCCI) July 6, 2020Advertisement
दरअसल, महेंद्र सिंह धोनी बीसीसीआई के प्रतिभा अनुसंधान विकास विभाग (टीआरडीडब्ल्यू) की खोज थे. उनकी प्रतिभा को देखते हुए इस प्रोगाम से जुड़े आयु संबंधी नियम में ढील देनी पड़ी थी. इस पर चर्चा करने से पहले आइए धोनी के अंतरराष्ट्रीय करियर पर नजर डालें.
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखते ही धोनी की तुलना ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज एडम गिलक्रिस्ट से की जाने लगी. साथ ही अंतिम ओवर तक जीत का पीछा करने में माहिर माही में फिनिशर के तौर पर माइकल बेवन की झलक मिली. तीन साल के अंदर धोनी को वनडे और टी-20 का कप्तान नियुक्त कर दिया गया. उनकी कप्तानी में 2007 में भारत ने टी-20 वर्ल्ड कप पर कब्जा जमाया और अगले साल ऑस्ट्रेलिया में सीबी सीरीज का फाइनल जीता.
One of the biggest hitters we've ever seen!
MS Dhoni turns 39 today, and here are his best sixes in Australia! 🥳 pic.twitter.com/AtBBFMib3F
— cricket.com.au (@cricketcomau) July 7, 2020
इसके बाद धोनी ने 2008 में टेस्ट कप्तानी संभाली और ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड पर यादगार सीरीज जीत दर्ज की दिसंबर 2009 में भारत टेस्ट क्रिकेट में नंबर-1 बन गया. लेकिन उनकी कप्तानी में 2011 और 2012 में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की धरती पर भारत को लगातार 8 हार मिली और इन शर्मनाक पराजयों से भारत ने शीर्ष रैंकिंग गंवा दी.
लेकिन धोनी हार मानने वाले नहीं थे. 2011 में उन्होंने भारत को विश्व कप खिताब दिलाया. उन्होंने 2013 में ऑस्ट्रेलिया को अपने घर में 4-0 से धोया और फिर उसी साल अजेय रहते हुए इंग्लैंड में चैम्पियंस ट्रॉफी जीती और अगले साल वर्ल्ड टी-20 वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचे.

दिसंबर 2014 में धोनी ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज के बीच में ही अचानक टेस्ट कप्तानी छोड़ी. इतना ही नहीं उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से तत्काल रिटायर होने की भी घोषणा कर दी. 2017 में धोनी ने कप्तानी (सीमित ओवरों के प्रारूप से) छोड़ने का फैसला किया और विराट कोहली को अपना उत्तराधिकारी बनाने का रास्ता बनाया.
वर्ल्ड कप-2019 में महेंद्र सिंह धोनी की सुस्त बल्लेबाजी आलोचकों के निशाने पर रही. भारत के सेमीफाइनल में हार के बाद से वह क्रिकेट से दूर हैं. उनकी संन्यास की अटकलें भी जोरों पर रहीं. उम्मीद की जा रही थी वह इस साल आईपीएल के साथ वापसी करेंगे, लेकिन कोविड-19 महामारी की वजह से यह टी-20 लीग अनिश्चित काल के लिए स्थगित है.
धोनी के लिए ऐसे बना इंटरनेशनल क्रिकेट का रास्ता
दिलीप वेंगसरकर को प्रतिभाओं को तलाशने के मामले में भारत के सबसे अच्छे चयनकर्ताओं में से एक माना जाता है. इस पूर्व कप्तान के चयन समिति के अध्यक्ष के तौर पर 2006 से 2008 का कार्यकाल आने वाले चयनकर्ताओं के लिए एक पैमाना बना, क्योंकि उनके चयनकर्ता रहते हुए महेंद्र सिंह धोनी कप्तान बने.
वेंगसरकर का मानना है कि वह चयन समिति के अध्यक्ष पद से न्याय करने में इसलिए सफल रहे, क्योंकि वह बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट बोर्ड) के प्रतिभा अनुसंधान विकास विभाग (टीआरडीडब्ल्यू) से जुड़े थे, जिसने धोनी जैसे क्रिकेटर की प्रतिभा को तलाशा था. टीआरडीडब्ल्यू हालांकि अब अस्तित्व में नहीं है.
धोनी और दिलीप वेंगसरकर (फाइल फोटो)
महेद्र सिंह धोनी को 21 साल की उम्र में बीसीसीआई के टीआरडीडब्ल्यू योजना में शामिल किया गया था, जबकि इसके लिए 19 साल की उम्र निर्धारित थी. इसके पीछे काफी दिलचस्प कहानी है. दरअसल, बंगाल के पूर्व कप्तान प्रकाश पोद्दार के कहने पर धोनी को टीआरडीडब्ल्यू में शामिल किया गया था. पोद्दार के आग्रह पर वेंगसरकर ने फैसला किया कि प्रतिभाशाली खिलाड़ी के लिए नियम नहीं आड़े आने चाहिए.
पोद्दार जमशेदपुर में एक अंडर-19 मैच देखने गए थे. उसी समय बगल के कीनन स्टेडियम में बिहार की टीम एकदिवसीय मैच खेल रही थी और गेंद बार-बार स्टेडियम के बाहर आ रही थी. इसके बाद पोद्दार ने उत्सुकता हुई कि इतनी दूर गेंद को कौन मार रहा है. जब उन्होंने पता किया तो धोनी के बारे में पता चला.
वेंगसरकर ने कहा, ‘पोद्दार के कहने पर 21 साल की उम्र में धोनी को टीआरडीडब्ल्यू कार्यक्रम का हिस्सा बनाया गया.’ उन्होंने बताया कि टीआरडीडब्ल्यू को पूर्व अध्यक्ष जगमोहन डालमिया ने शुरू किया था. डालमिया के चुनाव हारने के बाद हालांकि इसे बंद कर दिया गया.
🏆 2007 ICC Men's T20 World Cup
🏆 2011 ICC Men's Cricket World Cup
🏆 2013 ICC Champions Trophy
Happy birthday to one of India's greatest captains of all time, MS Dhoni 🤩 pic.twitter.com/XWRlV63D36
— ICC (@ICC) July 7, 2020
धोनी का अंतरराष्ट्रीय करियर
महेंद्र सिंह धोनी ने 350 वनडे इंटरनेशनल में 50.57 की औसत से 10773 रन बनाए, जिसमें 10 शतक और 73 अर्धशतक शामिल हैं. इस दौरान उनका उच्चतम स्कोर नाबाद 183 रन रहा. विकेट के पीछे 444 शिकार किए हैं.
धोनी ने 90 टेस्ट मैचों में 38.09 की औसत से 4876 रन बनाए. उन्होंने 6 शतक और 33 अर्धशतक लगाए हैं. उनका उच्चतम स्कोर 224 रन रहा. विकेट के पीछे 294 शिकार किए हैं.
उन्होंने भारत के लिए 98 टी-20 इंटरनेशनल मैचों में 37.60 की औसत से 1617 रन बनाए, जिसमें 2 अर्धशतक शामिल हैं. उनका उच्चतम स्कोर 56 रन रहा. विकेट के पीछे 91 शिकार किए हैं.