आप सच्चे इंसान हो --हरदम सच बोलते हैं. कोई बेईमानी नहीं करते हो, पूजा पाठ करते हो -रोज ऊपर वाले के दरवात में माथा टेकते हो. सबकी भलाई सोचते और करते हो फिर भी लोग आपको नुकसान देते हैं. आपकी सच्चाई की जीत नहीं मिलती है तो इसीलिए हम नृसिंह जयंती मनाते हैं. इससे सच्चाई की जीत होती है. इस बार 28 अप्रैल शनिवार को नृसिंह जयंती ख़ास है. शनिवार को हस्त नक्षत्र है. आपके साथ हर काम में न्याय होगा.
नृसिंह का जन्म उत्सव मनाया जाएगा
नृसिंह देव भगवान विष्णु का ही रूप होते हैं
लोग भक्तों की रक्षा करने वाले भगवान नृसिंह जी की जयंती
बड़ी धूमधाम से मनाते हैं.
शनिवार को नृसिंह देवता की पूजा जरूर करेंगे
फल फूल चढाने से बहुत लाभ होगा
आप सच्चे रास्ते पर चलते हो तो
आपके शत्रु और झूठों की हार होगी
आपकी सच्चाई की जीत होगी
शत्रु भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे
जो लोग प्रतिदिन इस कथा को सुनते हैं
वह सब पापों से मुक्त होकर परमगति को प्राप्त करते हैं.
बच्चे भी बहादुर बनकर भगवान के भक्त बनते है
ऐसे बच्चों की रक्षा स्वयं भगवान करते हैं
नृसिंह भगवान का सिर शेर का और शरीर इंसान जैसा था
बाज़ार में उनकी फोटो मिल जाती है
क्या है कथा
दैत्य हिरण्यकशिपु के घर भक्त प्रहलाद का जन्म हुआ.
वह बालक भगवान विष्णु के प्रति भक्ति भाव रखता था
हिरण्यकश्यपु ने अपनी सारी प्रजा को भी तंग कर रखा था.
कोई भी व्यक्ति किसी भगवान की पूजा अर्चना नहीं कर सकता था.
जब हिरण्यकश्य को किसी के पूजा करने की खबर मिलती तो
वह उसे मरवा देता था.
वह बहुत घमंडी था
वह खुद को भगवान मानता था
हिरण्यकश्यपु ने प्रह्लाद को बहुत समझाया कि
भगवान की भक्ति ना करें
परंतु जब प्रहलाद न माना तो
उसने अपनी बहन होलिका के साथ षड्यंत्र किया
, होलिका को वरदान था कि आग उसे जला नहीं सकती है
होलिका के साथ मिलकर भक्त प्रहलाद को
होलिका के गोद में बिठाकर
जलाकर मारने की कोशिश की
कोई आपको बहुत परेशान करता है
उस पापी के पाप का घड़ा भर जाए तो क्या होता है
जब किसी पापी के अत्याचारों का घड़ा भरता है तो
ईश्वर किसी न किसी रुप में प्रकट होकर
पापी का नाश जरूर करते है
अपने भक्त की रक्षा अवश्य करते हैं.
भक्त प्रह्लाद ने नारायण को पुकारा तो
ब्रह्मा जी के दिए हुए वचन को पूरा करने के लिए
भगवान विष्णु स्वयं खंबे में से नृसिंह अवतार लेकर प्रकट हो गए.
उन्होंनेे हिरण्यकशिपु को उठा लिया तथा
घर की दहलीज पर ले आए
उन्होंने उसे अपनी गोद में लिटा लिया तथा
शेर मुख तथा पंजों के नाखूनों से चीर कर
हिरण्यंयकश्यपु को मार दिया.
वचन को पूरा करते हुए भगवान ने कहा कि
इस समय न दिन है न रात अर्थात संध्या का समय है,
न मैं नर हूं न पशु, अर्थात आधा शरीर पशु तथा
आधा मनुष्य का है तभी उनका नाम नृसिंह पड़ा
भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यपु को मारने के लिए अपना वचन निभाया
हिरण्यकश्यपु को साल के 12 महीनों में न मरने का वरदान था
हिरण्यकशिपु को मारने के लिए भगवान ने
पुरषोत्तम अर्थात अधिक मास बनाया.
भगवान ने नृसिंह अवतार लेकर
दुष्ट, पापी एवं अहंकारी हिरण्यकशिपु को मार कर
अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा करी.
सभी ने मिलकर प्रभु की स्तुति की तथा
भगवान ने नृसिंह रूप में ही सभी को आशीर्वाद दिया
बच्चे ऐसे बनेंगे बहादुर और होशियार
अगर बच्चों को बहादुर बनना है तो
हर साल लोग भक्तों की रक्षा करने वाले भगवान नृसिंह जी की
जयंती बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. जो लोग प्रतिदिन
इस कथा को सुनते हैं वह सब पापों से मुक्त होकर
सुखी संस्कार को प्राप्त करते हैं