बदलते समय और जीवनशैली के साथ दुनियाभर में हाईटेक और मॉड्यूलर किचन की मांग बढ़ी है. लेकिन जल्द ही काशी में भगवान विश्वनाथ और उनके भक्तों को ऐसी ही रसोई की सुविधा मिलने वाली है.
माना जाता है कि भगवान शिव की नगरी वाराणसी में कोई भूखा नहीं सोता. यहां अन्नपूर्णा की कृपा है और इसी मान्यता के कारण भगवान काशी विश्वनाथ और देवी अन्नपूर्णा के मंदिरों में सदियों से विशेष अन्न क्षेत्र संचालित हैं. यहां भक्तों को भोजन दिया जाता है. काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के एक सदस्य के मुताबिक, यहां आने वाले आगंतुकों को शुद्ध और सात्विक भोजन परोसने के लिए अन्नपूर्णा मंदिर के किचन को आधुनिक बनाया जा चुका है. अब काशी विश्वनाथ के मंदिर में भी यह कवायद शुरू की जा रही है.
ट्रस्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एके अवस्थी बताते हैं कि वर्तमान रसोई घर को मॉड्यूलर करने के लिए 15 लाख रुपये का प्रस्ताव दिया गया है. इस संबंध में आगे की चर्चा के लिए डिविजनल कमिश्नर आरएम श्रीवास्तव भी मंदिर के अधिकारियों से मुलाकात कर चुके हैं.
भगवान विश्वनाथ को सुबह हलवे का भोग लगाया जाता है. इसी रसोईघर में शाम को खीर बनाई जाती है. भगवान को भोग लगाने के बाद संन्यासियों और अन्य भक्तों को भोजन परोसा जाता है. अन्नपूर्णा मंदिर के महंत रामेश्वर पुरी का कहना है कि मंदिर में भक्तों की तादाद लगातार बढ़ने से किचन को आधुनिक बनाना पड़ा है. आगे अब यही काम काशी विश्वनाथ मंदिर में किया जा रहा है.
महंत पुरी बताते हैं कि साल 2000 में चेन्नई और कोयंबटूर की कुछ कंपनियों को अन्नपूर्णा मंदिर के 'अन्न क्षेत्र' में स्टीम प्लांट लगाने का काम सौंपा गया था. 2014 में मंदिर के दूसरे 'अन्न क्षेत्र' को भी स्टीम प्लांट को और नई तकनीक से लैस किया गया. अब इन प्लांट के जरिए 15 मिनट में 100 लोगों के लिए भोजन तैयार किया जा सकता है.