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देवी लक्ष्मी ने क्यों किया था एक चींटी को कैद... भगवान विष्णु कैसे कर पाते हैं संसार का पालन-पोषण, जानिए ये कहानी

भगवान विष्णु पालनकर्ता और जगदीश्वर हैं, जिनका कार्य देवी लक्ष्मी की कृपा से संभव होता है. देवी लक्ष्मी धन और सौभाग्य की देवी हैं, जो संसार को वैभव और संपन्नता प्रदान करती हैं. भागवत कथा के अनुसार, विष्णु तब तक भोजन नहीं करते जब तक संसार के सभी जीव भोजन ग्रहण न कर लें.

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देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु करते हैं संसार का पालन पोषण
देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु करते हैं संसार का पालन पोषण

भगवान विष्णु की आरती गाते हुए बीच में एक पंक्ति आती है..

तुम करुणा के सागर, तुम पालन कर्ता,
मैं मूरख फल कामी, कृपा करो भर्ता

इन दोनों पंक्तियों में दो शब्द आते हैं जो बेहद खास हैं, पहला है पालन कर्ता, यानी पालन करने वाले और भर्ता यानी भरण-पोषण करने वाला. 

इसी तरह देवी लक्ष्मी की आरती में भी एक पंक्ति आती है...

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

कहने का मतलब ये है कि इस संसार में जितने भी वैभव, ऐश्वर्य, संपन्नता और यहां तक कि सामान्य पालन पोषण भी इन सभी के देवता और अधिकारी भगवान विष्णु हैं. इसलिए भगवान विष्णु पालनकर्ता और जगदीश्वर कहलाते हैं, लेकिन भगवान विष्णु के लिए भी पालन का यह कार्य अकेले करना सरल नहीं है. इसमें उनकी सहायता देवी लक्ष्मी करती हैं, क्योंकि भगवान विष्णु जो भी कर रहे हैं, वह देवी लक्ष्मी की कृपा से ही कर रहे हैं. उनके पास लक्ष्मी धन की देवी हैं और इसीलिए यह दोनों युगल संसार का पालन पोषण कर पाते हैं. 

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देवी लक्ष्मी धन और सौभाग्य की देवी कैसे हैं, इसे लेकर भागवत में भी एक कथा कही जाती है. कहानी का आशय है कि 'सारा संसार जगदीश्वर भगवान विष्णु की संतान है. भगवान विष्णु तब तक भोजन नहीं ग्रहण करते हैं, जबतक कि संसार के हर जीव को कुछ न कुछ मिल न जाता हो, और भगवान विष्णु ने भोजन कर लिया है तो इसका अर्थ है कि सारे संसार ने भोजन कर लिया है.

देवी लक्ष्मी ने ली भगवान विष्णु की परीक्षा
एक बार देवी लक्ष्मी ने वैकुंठ में इसे लेकर शंका जाहिर की. उन्होंने पूछा कि, 'प्रभु क्या ये सत्य है कि आपको सभी प्राणियों के भोजन कर लेने का पता चल जाता है?' भगवान विष्णु ने हंसते हुए कहा कि, देवी, संसार को धन-धान्य (धन और अनाज) देने का काम आपका है, तो मैं आपके किसी काम में शंका कैसे जता सकता हूं. मैं तो ये मान लेता हूं कि आप सारे संसार का ठीक से ध्यान रख रही हैं.

उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता चलता है कि किसने भोजन कर लिया है और किसने नहीं, मेरी समझ में असल बात तो ये है कि, आप अपनी संतानों को भोजन कराए बिना, मुझे भोजन परोसती ही नहीं हैं.' ये सुनकर देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु की परीक्षा लेनी चाही.

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जब लक्ष्मीजी ने चींटी को किया बंद
अगले दिन उन्होंने एक डिबिया में एक चींटी को बंद कर दिया. दिन बीत गया, सारे संसार ने भोजन कर लिया, तब देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु की थाली परोसी. भोजन सामने आते ही भगवान विष्णु अलग-अलग पकवानों का आनंद लेने लगे. देवी लक्ष्मी ने कहा- क्या सारे संसार ने भोजन कर लिया है प्रभु? भगवान विष्णु बोले- 'जी देवी, मैंने कहा न कि संसार को खिलाए बगैर आप मुझे भोजन नहीं कराती हैं.'

तब देवी लक्ष्मी बोलीं 'लेकिन मुझे लगता है कि एक प्राणी ने अभी भी भोजन नहीं किया है.' तब भगवान विष्णु मुस्कुरा कर बोले- अच्छा ऐसा कौन है, मुझे भी बताइए. ये सुनकर देवी लक्ष्मी प्रमाण के लिए अपनी वही डिबिया ले आईं, जिसमें चींटी बंद थी. उन्होंने भगवान विष्णु के सामने डिबिया खोली तो खुद ही आश्चर्य में पड़ गईं.

देवी लक्ष्मी को क्यों हुआ आश्चर्य?
वहां डिबिया में कुमकुम लगे दो चावल के दाने पड़े मिले. तब भगवान विष्णु बोले कि जब आप इस डिबिया को बंद कर रही थीं तभी आपके मस्तक पर लगा ये अक्षत-कुमकुम डिबिया में गिर गया था. वह ठहाका लगाकर हंसे, और बोले कि आपके हाथों में भी रहते हुए कोई आपकी कृपा से बच जाए, विधाता ने इतना भाग्यहीन तो अभी किसी को नहीं बनाया है. ये सुनकर देवी लक्ष्मी भी खिलखिला उठीं.

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देवी लक्ष्मी इसी तरह संसार को धन और धान्य से भरा-पूरा कर देती हैं और जिस पर उनकी कृपा हो जाती है वह ऐश्वर्य और सौभाग्यशाली हो जाता है. इसीलिए दीपावली पर देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है, क्योंकि दीपावली पर देवी लक्ष्मी के साथ ही धन और स्वर्ण का प्राकट्य हुआ था.  

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