देवउठनी एकादशी को हरि प्रबोधिनी एकादशी या फिर देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. देवशयनी एकादशी से चार माह के लिए भगवान विष्णु क्षीर सागर में सोने चले जाते हैं. इसके बाद देवउठनी एकादशी के दिन वह फिर जाग्रत हो जाते हैं.
इस तिथि से ही सारे शुभ काम जैसे, विवाह, मुंडन और अन्य मांगलिक कार्य होने शुरू हो जाते हैं. एकादशी के दिन शलिग्राम से तुलसी विवाह भी किया जाता है. देवउठनी एकादशी का व्रत करने से एक हजार अश्वमेध यज्ञ करने जितना फल प्राप्त होता है.
देवोत्थान एकादशी पर तुलसी विवाह और विष्णु पूजन का विशेष महत्व है. आइए जानें इस दिन कैसे करें तुलसी पूजन, पढ़ें विशेष मंत्र-
1 -तुलसी के पौधे के चारों तरफ स्तंभ बनाएं.
2 -फिर उस पर तोरण सजाएं.
3 -रंगोली से अष्टदल कमल बनाएं.
4 -शंख, चक्र और गाय के पैर बनाएं.
5 -तुलसी के साथ आंवले का गमला लगाएं.
6 -तुलसी का पंचोपचार सर्वांग पूजा करें.
7 -दशाक्षरी मंत्र से तुलसी का आवाहन करें.
8 -तुलसी का दशाक्षरी मंत्र-श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वृन्दावन्यै स्वाहा.
9 -घी का दीप और धूप दिखाएं.
10-सिंदूर,रोली,चंदन और नैवेद्य चढ़ाएं.
11-तुलसी को वस्त्र अंलकार से सुशोभित करें.
12 -फिर लक्ष्मी अष्टोत्र या दामोदर अष्टोत्र पढ़ें.
13 -तुलसी के चारों ओर दीपदान करें.
14-एकादशी के दिन श्रीहरि को तुलसी चढ़ाने का फल दस हज़ार गोदान के बराबर है.
15 -जिन दंपत्तियों के यहां संतान न हो वो तुलसी नामाष्टक पढ़ें.
16 -तुलसी नामाष्टक के पाठ से न सिर्फ शीघ्र विवाह होता है बल्कि बिछुड़े संबंधी भी करीब आते हैं.
17-नए घर में तुलसी का पौधा, श्रीहरि नारायण का चित्र या प्रतिमा और जल भरा कलश लेकर प्रवेश करने से नए घर में संपत्ति की कमी नहीं होती.
18 -नौकरी पाने, कारोबार बढ़ाने के लिये गुरुवार को श्यामा तुलसी का पौधा पीले कपड़े में बांधकर, ऑफिस या दुकान में रखें. ऐसा करने से कारोबार बढ़ेगा और नौकरी में प्रमोशन होगा.
19 - दिव्य तुलसी मंत्र:
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः । नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये ।।
ॐ श्री तुलस्यै विद्महे।
विष्णु प्रियायै धीमहि।
तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।।
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।
20 - 11 बार तुलसी जी की परिक्रमा करें.