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आज है बहुला चतुर्थी, व्रत रखने वाली स्त्री भूलकर भी न करें ये 3 काम

भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को बहुला चौथ या बहुला गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है. महिलाएं इस व्रत को संतान की रक्षा का व्रत भी मानती हैं. इस साल यह व्रत आज यानी 19 अगस्त को रखा जाएगा. बहुला चतुर्थी व्रत में गौ-पूजन का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है.

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प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को बहुला चौथ या बहुला गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है. महिलाएं इस व्रत को संतान की रक्षा का व्रत भी मानती हैं. इस साल यह व्रत आज यानी 19 अगस्त को रखा जाएगा. बहुला चतुर्थी व्रत में गौ-पूजन का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है.

इस व्रत में पुत्रवती स्त्रिया अपनी संतान की रक्षा के लिए रखती है. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से संतान के सारे कष्ट अपने आप ही शीघ्र खत्म हो जाते हैं. यह व्रत निःसंतान को संतान तथा संतान को मान-सम्मान एवं ऐश्वर्य प्रदान करने वाला माना जाता है.

पौराणिक मान्यता -

बहुला चौथ की पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन स्त्रियां अपने बच्चों की खुशहाली और लंबी उम्र के लिए कुम्हारों द्वारा मिट्टी से भगवान शिव-पार्वती, कार्तिकेय-श्रीगणेश तथा गाय की प्रतिमा बनवाती हैं. इसके बाद मंत्रोच्चारण तथा विधि-विधान के साथ इस प्रतिमा को स्थापित करके उसकी पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि ऐसा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति शीघ्र होती है.

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बहुला चतुर्थी व्रत विधि-

इस व्रत में महिलाएं पूरा दिन निराहर रहकर शाम को मिट्टी की गाय और सिंह बनाकर उसकी पूजा करती हैं. पूजा में भगवान को भोग लगाने के लिए कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं. इस प्रासद को बहुला को अर्पित किया जाता है. जिसे बाद में गाय और बछड़े को खिला दिया जाता है. व्रत रखने वाली स्त्री को इस दिन बहुला कथा का पाठ भी करना चाहिए. बहुला की पूजा के साथ इस दिन भगवान गणेशजी की भी पूजा की जाती है. कहा जाता है कि इस दिन उनकी पूजा करने से सुख समृद्धि का वरदान मिलता है.

बहुला चतुर्थी व्रत से लाभ-

-सकट चतुर्थी का व्रत रखने से मन की इच्छाएं पूर्ण होती हैं.

-इस व्रत को करने से शारीरिक तथा मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है.

-यह व्रत निःसंतान को संतान का सुख देता है.

-इस व्रत को करने से धन धन्य में वृद्धि होती है.

-व्रत करने से व्यावहारिक तथा मानसिक जीवन से सम्बन्धित सभी संकट दूर होते हैं.

-संतान के ऊपर आने वाले कष्ट दूर हो जाते है.

-यह व्रत निःसंतान को संतान तथा संतान को मान-सम्मान एवं ऐश्वर्य प्रदान करने वाला माना जाता है.

सकट चौथ के दिन क्या नही करना चाहिए-

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-इस दिन गाय के दूध से बनी हुई कोई भी खाद्य सामग्री नहीं खानी चाहिए.

-गाय के साथ साथ उसके बछड़े का भी पूजन करना चाहिए.

-भगवान श्रीकृष्ण और गाय की वंदना करना चाहिए.

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