देश में मौतों का सिलसिला लगातार जारी है. कुछ सीमा पर शहीद हुए, कुछ पैसे लेने के लिए कतार में मरे तो कुछ ट्रेन हादसे में मरे. लेकिन इन मौतों का जिम्मेदार कोई नहीं है. दस्तक में बात क्या देश ने मौतों के साथ जीना सीख लिया है.