हमारा जो बहारी स्वाभाव है वो हमारे अंदरूनी स्वाभाव का एक रफि्ललक्शन होता है. एक बड़ा रूप होता है. इसलिए जैसा हम बाहर से दिखते हैं. वैसे ही हम अंदर से होते हैं. यानी अगर हमें एक बेहतर इंसान या एक अच्छा शहरी दिखना है. तो इसके लिए हमें पहले अंदर से एक अच्छा इंसान बनना पड़ेगा.