'पुष्पा 2' में सिनेमाई संघर्ष की शुरुआत मुख्यमंत्री के पुष्पाराज के साथ फोटो खिंचवाने से इनकार करने के साथ होती है. सीएम को लगता है कि ऐसा करना उनकी छवि के लिए अच्छा नहीं होगा. इसके बाद लाल चंदन तस्कर और सीएम के बीच संघर्ष होता है. लेकिन फिल्म से हटकर बात करें तो एक अजब संयोग है कि 4 दिसंबर को हैदराबाद के संध्या थिएटर में भगदड़ मचने से रेवती नाम की महिला की मौत हो जाती है. हैदराबाद पुलिस इस मामले में केस दर्ज कर लेती है. मामला दर्ज होने के बाद लोग इसे रेवंत रेड्डी बनाम अल्लू अर्जुन गतिरोध की तरह देखने लगे हैं.
इस बात पर अभी भी संदेह है कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया क्यों आई. जबकि अब तक टॉलीवुड के दिग्गजों के साथ आमतौर पर नरमी से पेश आया जाता रहा है. टीम रेवंत रेड्डी चाहती है कि तेलंगाना यह मान ले कि देश का कानून किसी वीआईपी को नहीं देखता और वह रेवती और उनके बेटे श्री तेज के प्रति ज्यादा सहानुभूति रखता है, जो हैदराबाद के एक अस्पताल में अपनी जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहा है.
एक्टर के बारे में यह कहना कि वह फिल्म बनाकर बिजनेस कर रहे हैं. देश की सीमा पर लड़ नहीं रहे हैं. सीएम के यह कहने से स्पष्ट तौर पर पता चलता है कि वह बड़े से बड़े एक्टर या राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाले अभिनेता या पूरे फिल्म उद्योग के बारे में ज्यादा नहीं सोचते हैं.
पहली नजर में रेड्डी की स्थिति में कोई दोष नहीं पाया जा सकता. लेकिन जिस तरह से उन्होंने और एमआईएम नेता अकबरुद्दीन ओवैसी ने तेलंगाना विधानसभा में अर्जुन पर प्रतिक्रिया दी, उससे पता चलता है कि जो दिख रहा है, उससे कहीं ज्यादा है. अंतरिम जमानत पर रिहा होने के बाद अल्लू अर्जुन के घर पर इंडस्ट्री के दिग्गजों की भीड़ देखकर सीएम नाराज लग रहे थे. उन्होंने यह भी कहा कि क्या अल्लू अर्जुन ने अपनी किडनी, पैर या आंख खो दी है? सितारों को उनसे मिलने की इतनी जल्दी क्यों थी? क्या किसी ने घायल लड़के या शोकाकुल परिवार के बारे में सोचा?
अल्लू अर्जुन को यह जवाब देना होगा क्या उन्हें पता था कि उन्हें और 'पुष्पा' टीम के दूसरे लोगों को उस शाम संध्या थिएटर में न आने के लिए कहा गया था, जैसा की इंस्पेक्टर के हस्तलिखित नोट से स्पष्ट है, जिसकी रसीद थिएटर प्रबंधन ने भी स्वीकार की गई थी. पुष्टि करने से वह मुश्किल में पड़ सकते हैं. दूसरी तरफ, यह पूछा जा सकता है कि पुलिस ने तब अभिनेता को परिसर में प्रवेश करने से मना क्यों नहीं किया. त्रासदी के मूल में प्रोडक्शन टीम और पुलिस के बीच प्रभावी संचार की कमी है, जबकि अर्जुन के प्रशंसकों को पहले से ही पता था कि वह वहां आने वाले हैं.
जहां तक उसके बाद की घटना का सवाल है, तो यह पुलिस के बयानों और अर्जुन के उस बयान के बीच का अंतर है, जब उन्हें रेवती की मौत के बारे में बताया गया था. जबकि पुलिस का कहना है कि उनकी टीम को इस त्रासदी के बारे में सूचित किया गया था और उन्हें तुरंत वहां से निकल जाना चाहिए था, अभिनेता का दावा है कि उन्हें अगली सुबह ही इस बारे में पता चला.
इंडस्ट्री के जानकारों का मानना है कि वे इस मामले में शामिल लोगों के कद, संघर्ष की प्रकृति और कठोर रुख को देखते हुए सावधानी से काम कर रहे हैं. हैदराबाद पुलिस ने अर्जुन को पूछताछ के लिए पेश होने के लिए समन भेजा है, जबकि सरकार अर्जुन की अंतरिम जमानत रद्द करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने पर विचार कर रही है, क्योंकि उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके जमानत नियमों का उल्लंघन किया है. आरोपी नंबर 11 के तौर पर उन्हें मामले को अपने पक्ष में प्रभावित करने के लिए कुछ भी नहीं कहना चाहिए था. लेकिन यह बिल्कुल स्पष्ट है कि विधानसभा में सीएम के हमले और उसके बाद पुलिस द्वारा वीडियो फुटेज जारी करने के साथ ही लोगों की अदालत में समानांतर सुनवाई भी चल रही है.
अभिनेता पर सीएम के तीखे हमले ने कुछ आसामाजिक तत्वों को कानून अपने हाथ में लेने और अर्जुन के घर के सामने तोड़फोड़ करने के लिए उकसाया. इतना ही नहीं, कांग्रेस एमएलसी टीनमार मल्लन्ना ने 'पुष्पा 2' के एक दृश्य के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें अर्जुन का किरदार एक पूल में यूरिन करता हुआ दिखाई देता है, जिसमें उसका दुश्मन, एक आईपीएस अधिकारी गिर जाता है. शिकायत में कहा गया है कि यह दृश्य पुलिस बल का अपमान करता है. हालांकि, यह तर्क दिया जा सकता है कि यह सेंसर बोर्ड के अधिकार क्षेत्र में आता है, लेकिन बिना रोक-टोक के इस आक्रामक हमले ने टॉलीवुड को स्पष्ट रूप से झकझोर दिया है.
इंडस्ट्री में कई लोग सोच रहे हैं कि क्या कोई पैटर्न उभर रहा है. इस साल अगस्त में अभिनेता नागार्जुन के एन-कन्वेंशन को झील के फुल टैंक लेवल के अंदर अनधिकृत निर्माण के आरोप में ध्वस्त कर दिया गया था. यह एक विशाल व्यावसायिक संपत्ति थी. अर्जुन मामले का नतीजा यह हुआ है कि सरकार ने किसी भी लाभकारी शो और टिकट की कीमतों में बढ़ोतरी की अनुमति नहीं देने का फैसला किया है. यह एक ऐसा कदम है, जो इंडस्ट्री को खासतौर पर तब भारी पड़ेगा, जब संक्रांति पर बड़े बजट की फिल्में रिलीज होने वाली हैं.
'पुष्पा 2' में अल्लू अर्जुन का किरदार अपने बारे में कहता है. 'फायर नहीं, वाइल्ड फायर है. वाकई बीआरएस और भाजपा दोनों ही अर्जुन के पक्ष में हैं. इसलिए यह आग फिल्मी होने के साथ-साथ राजनीतिक भी होने का खतरा है.