मिट्टी का बेटा हूं, मरते-मरते भी कुछ कर जाऊंगा, उखड़ती बूढ़ी सांसों से चुराकर चंद सांसें, मैं चीर कर सीना धरती का, फ़सल नई एक बो दूंगा. खेतों में फिर हरियाली की चादर जब बिछ जाएगी, उगाएगी जवानी मेरी... सांसों में सांसें भी आ जाएंगी."
ये शब्द हैं सिनेमा के उस सुपरस्टार के, जिसकी बीमारी की ख़बर ने सबको परेशान कर दिया है. पहले ख़बर आई कि धर्मेंद्र इस दुनिया को अलविदा कह गए, इस खबर पर यक़ीन नहीं हो रहा था. उस अफ़वाह ने एक पल के लिए दिल को दहला दिया था. लेकिन जैसे ही उनकी पत्नी हेमा मालिनी का ट्वीट आया और उनकी सलामती की खबर मिली तो राहत मिली. वो इंसान जिसकी छवि मेरी यादों में, मेरी पहली मुलाक़ात की उन सुनहरी तस्वीरों में हमेशा के लिए बसी हुई है, वो मुलाक़ात जिसने मुझे ज़िंदगी भर का एक अनमोल तोहफ़ा दिया था.
साल था 2011. धर्मेंद्र मेरे ऑफिस में अपनी फिल्म के प्रमोशन के लिए आए थे. हमेशा उनको स्क्रीन पर देखा था. पहली बार सामने देखा तो यकीन नहीं हुआ. मैं ये सोचकर उन्हें दूर से देख रही थी कि इतने बड़े सुपरस्टार हैं. उनकी एक झलक देख लेना ही बहुत है. अपने दोस्तों को बताऊंगी कि मैंने धर्मेंद्र को रियल देखा है. उनके पास जाकर बात करने की तो हिम्मत ही नहीं थी. उनको देखकर ही ऐसा लगा जैसे जिंदगी का बहुत बड़ा गिफ्ट मिल गया.
मेरे साथ और लोग थे जो खुद उनके पास जाकर हाथ मिला रहे थे. उनसे बातें कर रहे थे, लेकिन मैं झिझक से पीछे ही खड़ी रही. थोड़ी देर बाद धर्मेंद्र ने इशारा किया मैं अपने अगल-बगल और पीछे देखने लगी कि वो किसे बुला रहे हैं, लेकिन वहां मैं ही खड़ी थी. मुझे यकीन नहीं हुआ उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया है. मैं कांपते कदमों से उनकी तरफ बढ़ी, कुछ समझ नहीं आ रहा था कैसे रिएक्ट करूं उनसे क्या बात करूं, लेकिन धर्मेंद्र ने खुद ही आगे बढ़कर मुझे जोर की झप्पी दी और कहा बेटा खूब तरक्की करो. कहां मैं उनके सामने जाने से कतरा रही थी और उन्होंने तो मुझे पास बुलाकर खुद ही बात की. बॉलीवुड के तमाम स्टार्स से मिलने का मौका मिलता रहा है, लेकिन धर्मेंद्र एक ऐसे एक्टर हैं, जिनके साथ हुई वो मुलाकात ताउम्र नहीं भूल सकती हूं.
कुछ सालों बाद, खुशकिस्मती से धर्मेंद्र के जन्मदिन के ठीक एक दिन पहले मुझे उनका इंटरव्यू करने का मौका मिला. अपॉइंटमेंट के लिए उनका नंबर ट्राई किया तो पीए ने बताया कि वह शहर से बाहर हैं, इसलिए मैंने मोबाइल पर ही बात करने का फैसला किया. उनका नंबर तो डायल किया, लेकिन दिल में एक घबराहट थी और उम्मीद कम थी कि इतना बड़ा कलाकार मुझे फोन पर इतना समय देगा. मैंने नंबर डायल किया, एक रिंग होते ही उधर से धर्मेंद्र की जानी-पहचानी, ज़िंदादिल आवाज सुनाई दी. मैंने झट से अपना परिचय दिया और उन्हें हमारी सालों पुरानी मुलाकात की याद दिलाई. उन्होंने ऐसे प्रतिक्रिया दी, जैसे उन्हें सब याद हो, हां में हां मिलाते हुए. मैं जानती थी कि वह मेरी भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहते, इसलिए ऐसा कह रहे थे, पर उनकी गर्मजोशी ने मेरी झिझक तुरंत दूर कर दी.
खैर, इंटरव्यू शुरू हुआ सवाल-जवाब का सिलसिला बड़े इत्मीनान से चलता रहा. वह हर सवाल का जवाब बड़ी शालीनता और ठहराव के साथ दे रहे थे. जब उनकी फिल्मों, उनके बच्चों और करियर पर बातें हुईं, तो माहौल खुशनुमा था. लेकिन जब जन्मदिन के बारे में बातें शुरू हुईं, तो उनकी आवाज में अचानक गहरी उदासी उतर आई. वह बड़े निराश होकर कहने लगे- "मैं अपना जन्मदिन नहीं मनाता, क्योंकि मेरी मां मेरे साथ नहीं हैं और जब जन्म देने वाली ही न हो तो क्या जन्मदिन मनाना." उनकी आवाज़ में छिपा दर्द सीधे दिल को छू गया. उन्होंने भावुक होकर बताया कि उनकी मां बड़े धूमधाम से उनका जन्मदिन मनाया करती थीं और वह हर साल उस दिन का बेसब्री से इंतज़ार करते थे. वो कहने लगे- "अब तो बस इस दिन मां की यादें ताज़ा हो जाती हैं, लेकिन मेरे चाहने वाले लोग मेरा जन्मदिन धूमधाम से मनाते हैं, इसलिए अच्छा लगता है."
बातचीत के अंत में, धर्मेंद्र मुझसे ये जानना चाहते थे कि उनका इंटरव्यू कहां छपेगा, जब मैंने उन्हें डिजिटल प्लेटफॉर्म के बारे में बताया, तो उन्होंने बड़ी मासूमियत और सादगी से कहा "माफ करना बेटा, मुझे अभी इन सबके बारे में ज़्यादा कुछ पता नहीं है. "वो पल, उनकी सादगी और जमीन से जुड़े रहने का एहसास, उस सुपरस्टार की महानता को और बढ़ा गया. उन्होंने फोन रखने से पहले मुझे ढेर सारी दुआएं दीं और ये भी कहा- आपका जब दिल करे फोन कर लिया करो.
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"ज़िंदगी मेरी दिलचस्प एक दास्तां... जो बनकर बुझारत पलों में बीत गई..." ये पंक्तियां धर्मेंद्र की उस फिल्मी सफर की कहानी है, जो 6 दशकों तक बिना रुके, बिना थके चलता रहा. जब उन्होंने 60 के दशक में फिल्मों में एंट्री की थी, तब पर्दे पर हीरो अक्सर पेड़ के इर्द-गिर्द घूमकर हीरोइन संग नज़ाकत से रोमांस किया करता था. उस दौर में, एक ऐसे नायक का उदय हुआ जो 'ही-मैन' बनकर पर्दे पर आया, जिसने रोमांस और एक्शन का नया पैगाम लिख दिया. एक ऐसा नायक जो सिर्फ गाना नहीं गाता था, बल्कि गुस्से से भरी आंखों के साथ, दुश्मन के अड्डे पर जाकर उसे चुन-चुनकर मारूंगा!" या फिर "कुत्ते! मैं तेरा खून पी जाऊंगा!" जैसे डायलॉग बोलता था. धर्मेंद्र, सादगी और शक्ति का वो मेल हैं, जिसने उन्हें भारतीय सिनेमा का 'गरम धरम' बना दिया, एक ऐसा सुपरस्टार जिसकी दास्तां एक दिलचस्प पहेली की तरह लोगों के दिलों में बसी है.
1960 में 'दिल भी तेरा हम तेरे' फिल्म से करियर शुरू करने वाले धर्मेंद्र की फिल्मों की लंबी लिस्ट है. वो ऐसे कलाकार हैं, जो कभी रिटायर नहीं हुए. जब भी लोगों को लगता है धर्मेंद्र अब फिल्मों से ब्रेक ले रहे हैं, तो वो ऐसा धमाका करते हैं कि सिर्फ उनकी ही चर्चा होती है. 2023 में रिलीज हुई फिल्म 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' में शबाना आजमी के साथ किसिंग सीन को लेकर इतनी चर्चा हुई कि उनकी तुलना उनके पोते से की जाने लगी. इसी फिल्म में रणवीर सिंह और आलिया भट्ट भी थे, लेकिन महफिल लूट गए धर्मेंद्र.
आज जब धर्मेंद्र अस्पताल में हैं जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं, तो उनका एक शेर याद आ रहा है जो उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था- 'सबकुछ पाकर भी हासिल-ए-जिंदगी कुछ भी नहीं...कमबख्त जान क्यों है जाती है जाते हुए...' धर्मेंद्र के फैंस को अब भी यही यकीन है कि एक बार फिर उनके हीरो सोशल मीडिया पर अपना वीडियो पोस्ट करेंगे और अपने अंदाज में कोई संदेश देंगे. कुछ दिन पहले ही धर्मेंद्र ने अपना एक वीडियो शेयर करते हुए कहा था- 'जिंदगी बहुत खूबसूरत है और इसकी खूबसूरती को बनाए रखने के लिए सेहत का अच्छा होना बहुत जरूरी है, सेहत है तो सबकुछ है. अपनी सेहत का ख्याल रखिए..'
अब धर्मेंद्र के फैंस भी उनकी सेहत की दुआ मांग रहे हैं और यही प्रार्थना कर रहे हैं कि वो फिर लौटकर आएंगे उसी जिंदादिली के साथ हंसते हुए मुस्कुराते हुए. वो कहा करते हैं मेरे फैंस ने जो मुझे प्यार दिया है उसका कर्ज तो क्या मैं सूद भी नहीं चुका सकता हूं. उनके फैंस के लिए उनका होना ही सबसे बड़ी बात है.
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