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'करप्शननाथ' Vs 'कैशराज', क्या है मध्य प्रदेश में चुनावी दंगल का नया QR-code

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और बीजेपी के बीच पोस्टर वार शुरू हो गया है. खासबात ये है कि इन पोस्टर में एक-दूसरे पर हमला करने के लिए QR code का इस्तेमाल किया जा रहा है. फोन पे के QR code की शक्ल में बनाए गए पोस्टर को लोगों द्वारा स्कैन कर सच्चाई जानने की अपील की जा रही है.

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एमपी में बीजेपी और कांग्रेस के बीच पोस्टर वार
एमपी में बीजेपी और कांग्रेस के बीच पोस्टर वार

मध्य प्रदेश में अगले 5-6 महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं जिसको लेकर राज्य में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी और विपक्षी दल कांग्रेस के बीच पोस्टर वार शुरू हो चुका है. बीजेपी ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का पोस्टर लगाकर उन्हें 'वांछितनाथ' और 'करप्शननाथ' नाम दे दिया तो कांग्रेस ने भी उसी भाषा में बीजेपी पर पलटवार किया.

कांग्रेस ने कमलनाथ के पोस्टर्स को हटाकर वहां राज्य के सीएम शिवराज सिंह चौहान का पोस्टर लगा दिया जिसमें उन्हें 'कैशराज' और '50 % लाओ और फोन पे काम कराओ' वाला नेता बता दिया. ये दोनों ही पोस्टर्स ऑनलाइन पेमेंट करने वाले क्यू आर कोड की शक्ल में बनाए गए हैं.

खासबात ये है कि ये पोस्टर्स किसी भी चुनावी या आम पोस्टर्स से अलग हैं. जब आप इन खास पोस्टर्स को देखेंगे तो आपको कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस द्वारा बीजेपी सरकार के खिलाफ प्रचार अभियान में अपनाए गए तरीकों की याद आएगी क्योंकि दोनों में काफी समानता दिख रही है. 

QR-code की राजनीति

दरअसल मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी पार्टी कांग्रेस दोनों ने तैयारियांं शुरू कर दी है. बीजेपी कार्यक्रमों के माध्यम से प्रदेश की जनता को अपनी सरकार द्वारा किए गए कार्यों को गिनवाकर अपनी नई योजनाओं के बारे में बता रही है.

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वहीं कांग्रेस मंडलम सेक्टर और बूथ लेवल की मीटिंग के ज़रिए अपने कार्यकर्ताओं को एकजुट कर रही है और सभाओं के जरिए आम जनता को 15 महीने की कमलनाथ सरकार द्वारा किये गए कामों से रूबरू करा रही है. कांग्रेस ने इसे 15 साल बनाम 15 महीने की सरकार का नाम दिया है.

इसके साथ-साथ कांग्रेस कर्नाटक की तर्ज पर एमपी में भी बीजेपी के नाराज सीनियर नेताओं और पूर्व विधायकों पर डोरे भी डाल रही है और इसमें उसे शुरुआती कामयाबी भी मिल चुकी है. इसी वजह से कांग्रेस पर निशाना साधने के लिए राजधानी भोपाल में पोस्टर्स लगाए गए.

बीते शुक्रवार की सुबह जब लोग सोकर उठे तो उन्हें भोपाल के शाहपुरा इलाके में सार्वजनिक जगहों पर कमलनाथ का पोस्टर नजर आने लगा जिसमें उन्हें 'वांटेड' और 'करप्शननाथ' बताया गया. इस पोस्टर के साथ में एक QR-code भी दिया गया था जिस पर लिखा था कि स्कैम (घोटाले) से बचने के लिए स्कैन करें और  करप्शननाथ के कांड जानें.  कमलनाथ के बारकोड के साथ लगे पोस्टर पर पे फोन की जगह 'पे-नाथ' लिखा हुआ था. 

कमलनाथ

जैसे ही पोस्टर लगने की जानकारी कांग्रेस नेताओं-कार्यकर्ताओं को मिली वह तुरंत ही शाहपुरा इलाके पहुंचे और जहां-जहां कमलनाथ के पोस्टर लगे हुए थे उन्होंने उन पोस्टर को निकाल दिया. इसके साथ ही कांग्रेस नेता इलाके के चुनाभट्टी थाना पहुंचे और एफआईआर दर्ज करवाने की मांग करने लगे.

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हालांकि पुलिस द्वारा आवेदन देने के लिए कहे जाने पर कांग्रेस नेता नहीं माने और काफी देर तक वहीं धरना देते रहे और बाद में वहां से चले गए. कमलनाथ के खिलाफ पोस्टर लगने के बाद कमलनाथ के मीडिया सलाहकार पीयूष बबेले ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे बीजेपी की घटिया सोच और निम्न स्तर की राजनीति बताया. उन्होंने सीएम शिवराज से ऐसे पोस्टर लगाने वालों को गिरफ्तार करने की मांग की.

कांग्रेस के आरोप पर बीजेपी ने पलटवार करते हुए इसे कांग्रेस की अन्तर्कलह और गुटबाजी का नतीजा बताया. बीजेपी प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली कि भोपाल के मनीषा मार्केट और कई जगहों पर पोस्टर लगे हैं, अब यह पोस्टर किसने लगाया हमें जानकारी नहीं है.  उन्होंने इससे किनारा करते हुए इसका ठीकरा कांग्रेस नेताओं पर ही फोड़ दिया और इसे अन्तर्कलह-गुटबाजी का नतीजा बताया.

QR-code के जरिए ही कांग्रेस का बीजेपी पर पलटवार

इसके बाद शुक्रवार को शाम होते-होते राजधानी भोपाल में सीएम शिवराज सिंह चौहान के पोस्टर नजर आने लगे जिसमें कमलनाथ के लगे पोस्टर स्टाइल में ही उनपर जवाबी हमला किया गया था. भोपाल की महत्वपूर्ण जगहों जैसे कि वल्लभ भवन ,सतपुड़ा भवन, 5 नंबर बस स्टॉप ,शौर्य स्मारक सहित कई जगहों के आस पास अज्ञात लोगों द्वारा सीएम शिवराज के खिलाफ दो तरह के पोस्टर लगा दिए गए. 

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इनमें से एक पोस्टर में शिवराज नहीं 'घोटाला राज' लिखा हुआ था, इसके साथ ही व्यापम घोटाला, ई टेंडरिंग घोटाला, डंपर घोटाला, यूनिफॉर्म घोटाला, पेपर लीक घोटाला आदि का जिक्र किया गया था. वहीं दूसरे पोस्टर में शिवराज के 18 साल के घपले और घोटालों का भी जिक्र किया गया था.

     शिवराज

फोन पे की शक्ल में लगाए गए पोस्टर पर QR-code की जगह शिवराज सिंह चौहान की तस्वीर लगी हुई थी और उस पर ऊपर लिखा था, '50% लाओ, फोन पे काम कराओ' वहीं QR-code के नीचे Accepted Mama लिखा हुआ था.

शिवराज सिंह के खिलाफ लगाया गया पोस्टर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कमलनाथ के मीडिया सलाहकार पीयूष बबेले ने कहा कि सबको अपने कर्मों का हिसाब यहीं देकर जाना है. भाजपा ने सुबह षडयंत्रपूर्वक कमलनाथ को अपमानित करने वाले पोस्टर लगवाए. मध्य प्रदेश की जनता ने ईंट का जवाब पत्थर से देते हुए शिवराज की सच्चाई पूरे भोपाल में चस्पा कर दी.

राजधानी भोपाल में पोस्टर वार होने से सत्ता के गलियारों में इसकी चर्चाएं तेज हो गई हैं क्योंकि मध्य प्रदेश की सियासत का मिजाज कभी पहले इस तरह का नहीं रहा है. पिछले दिनों कर्नाटक चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस में जमकर पोस्टर वार हुआ था.

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अब एमपी में वैसे ही पोस्टरों को देखकर अंदाजा लगाया जा रहा कि यहां भी कांग्रेस कर्नाटक स्टाइल में ही विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में क्योंकि कर्नाटक में उसे इसमें सफलता मिल चुकी है. जहां बीजेपी कर्नाटक में की गई गलतियों को मध्य प्रदेश में दोहराने से बचने की कोशिश कर रही है, वहीं कांग्रेस कर्नाटक में अपनी जीत को मध्य प्रदेश में भी कायम रखने की कोशिश में है.

पोस्टर पर कमलनाथ ने क्या कहा?

मध्य प्रदेश में शुरू हुए पोस्टर वार पर सोमवार की सुबह पीसीसी दफ्तर पहुंचे कमलनाथ से जब मीडिया ने सवाल किया तो उसके जवाब में उन्होंने कहा, पोस्टर की शुरुआत किसने की? कमलनाथ ने कहा कि बड़े तरीके से बीजेपी ने पहले एक थर्ड पार्टी के जरिए पोस्टर लगवाना शुरू किया. उसके बाद अपने लोग भी लग गए, किसको रोकें. शुरुआत तो उन्होंने ही की है.

वहीं इस मामले में बीजेपी प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि कमलनाथ जी ने स्वीकार कर लिया कि कांग्रेस पार्टी इस प्रकार से पोस्टरबाजी कर रही है. भारतीय जनता पार्टी इस तरह की गंदी राजनीति में विश्वास नहीं करती है. हम विकास की राजनीति करते हैं. बाकी उत्तर जनता देगी.

कहां और कैसे शुरू हुआ पॉलिटिक्स का QR कोड 

राज्यों के चुनावी कैंपेन में पेटीएम, गूगल, फोनपे जैसे ऑनलाइन पेमेंट प्लेटफॉर्म जैसे QR कोड बेस्ड पोस्टर का खूब इस्तेमाल हो रहा है. कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने इसकी शुरुआत की थी और पेटीएम की तर्ज पर पे'सीएम' कैंपेन चलाया था.  इसमें भाजपा के सीएम बोम्मई के चेहरे को स्कैन करने पर एक साइट खुलती थी. यह कांग्रेस ने बनवाई थी. इस साइट का नाम 40% commision governament था. इसमें बोम्मई सरकार में 40 फीसदी कमीशन और भ्रष्टाचार की बात कही गई थी. 

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पेसीएम

कैसे आया यह आइडिया?

कर्नाटक में ये आइडिया कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार सुनील कानूगोलू का था जिन्होंने यह कैंपेन चलाया था. कहा जाता है कि सुनील भी प्रशांत किशोर की तरह इवेंट और मीडिया मैनेजमेंट में माहिर हैं. कर्नाटक में भी कई सारे चुनावी कैंपेन उन्हीं के डिजाइन किए हुए हैं. चुनाव से पहले कांग्रेस का "PayCM" कैंपेन काफी चर्चित रहा था.

ये सुनील का ही आइडिया बताया जाता है. दरअसल, राज्य के कॉन्ट्रैक्टर्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर राज्य की बीजेपी सरकार पर बड़ा आरोप लगाया था. आरोप ये था कि राज्य सरकार हर काम के लिए 40 पर्सेंट कमीशन मांगती है. इस मुद्दे को विपक्ष ने लपक लिया. कांग्रेस ने बीजेपी सरकार को '40 पर्सेंट वाली सरकार' का तमगा दे दिया.

कौन हैं सुनील कानूगोलू

सुनील कानुगोलू प्रशांत किशोर की तरह चुनावी रणनीतिकार हैं और अमेरिका से पढ़ाई कर चुके हैं. प्रशांत किशोर के कांग्रेस से दूर होने के बाद उन्हें कर्नाटक और तेलंगाना की जिम्मेदारी मिली थी. बताया जाता है कि 2024 लोकसभा की पूरी जिम्मेदारी सुनील की टीम पर ही हैं.

40 साल के सुनील कर्नाटक के बेल्लारी जिले के रहने वाले हैं. उनके पिता कन्नड़ भाषी हैं और मां तेलुगू. शुरुआती पढ़ाई लिखाई बेल्लारी में ही हुई. फिर पूरा परिवार चेन्नई चला गया. वहां आगे की पढ़ाई की. फिर अमेरिका गए. वहां मास्टर्स की दो डिग्री लीं- एक फाइनैंस में और एक एमबीए की डिग्री. पढ़ाई के बाद मैनेजमेंट कंसल्टिंग कंपनी McKinsey में काम भी किया. साल 2009 में सुनील अमेरिका से भारत वापस आ गए. व्यक्तिगत रूप से सुनील बिल्कुल लो प्रोफाइल हैं और मीडिया की चमक-दमक से दूर रहकर पर्दे के पीछे काम करना पसंद करते हैं.

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कभी बीजेपी के लिए प्रचार करते थे सुनील

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में सुनील कानुगोलू और प्रशांत किशोर ने बीजेपी के लिए एक साथ काम किया था. नरेंद्र मोदी की 'ब्रांड पीएम' छवि बनाने के लिए एक संगठन बनाया गया था.

सिटिजन्स फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस (CAG). प्रशांत किशोर ने इस CAG में कई बड़े संस्थानों से पढ़ाई करने वाले यंगस्टर्स को जोड़ा था. विदेशी यूनिवर्सिटी, IITs और IIMs से पढ़ाई कर चुके दिग्गज जुड़े थे. सुनील भी इसी टीम का हिस्सा थे. चुनाव से पहले 'चाय पे चर्चा', 3D रैली, सोशल मीडिया प्रोग्राम, मैराथन जैसे कई कैंपेन चलाए गए थे. नरेंद्र मोदी की छवि और बीजेपी की बड़ी जीत में CAG के कैंपेन का बड़ा रोल माना जाता है.

साल 2019 सुनील बीजेपी से अलग हो गए. 2019 लोकसभा चुनाव में AIADMK के लिए कैंपेन बनाया. फिर पंजाब में अकाली दल के साथ भी काम किया. इसके बाद 2021 विधानसभा चुनाव में डीएमके की मदद के लिए आए और अब कांग्रेस में शामिल होकर 2024 की चुनावी रणनीति पर काम कर रहे हैं.

 

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